सालभर से जारी किसान आंदोलन के विरोध के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया है. जिसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किसानों को एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें राहुल गांधी ने प्रदर्शनकारियों को उनकी ऐतिहासिक जीत पर बधाई दी है. राहुल गांधी ने किसानों से भविष्य में पूरे समर्थन का वायदा भी किया है.
किसानों को लिखे पत्र में राहुल गांधी ने कहा कि संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है. उन्होंने पीएम मोदी को संबोधित करते हुए कहा कि वे फिर से "कुछ पूंजीपतियों द्वारा किसानों को अपनी ही भूमि में गुलाम बनाने की साजिश करने की हिम्मत न करें. इसके अलावा राहुल गांधी ने मोदी को 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के अपने वादे के बारे में याद दिलाया और उनसे इसे पूरा करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया.
वो लिखते हैं, "इसके लिए उन्हें जल्द से जल्द भविष्य की योजनाओं का रोडमैप भी जारी करना चाहिए, प्रधानमंत्री जी, यह मत भूलिए कि सत्ता सेवा का माध्यम है और किसी भी लोकतंत्र में लूट, हठ और अहंकार के लिए कोई स्थान नहीं है."
राहुल गांधी ने किसानों के संघर्ष को 'सत्याग्रह' बताया
कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद राहुल गांधी ने किसानों के इस संघर्ष को सत्याग्रह बताया जो महात्मा गांधी द्वारा आजादी की लड़ाई के वक्त इस्तेमाल किया गया था.
पत्र में कहा गया है कि, "करीब 12 महीने की कड़ाके की ठंड, भीषण गर्मी, बारिश, और पिछले लगभग पूरे साल में उन पर किए गए सभी कष्टों और अत्याचारों के बावजूद किसानों ने जीत हासिल की है. यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में अद्वितीय है."
राहुल गांधी ने कहा कि गांधीवादी तरीके से किसानों ने "एक निरंकुश शासक के अहंकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी और उसे अपना निर्णय वापस लेने के लिए मजबूर किया, यह झूठ पर सच्चाई की जीत का एक आदर्श उदाहरण है."
"किसानों और मजदूरों के बलिदान को नमन"
राहुल गांधी ने पत्र के माध्यम से कहा कि "इस संघर्ष में 700 से अधिक किसानों और मजदूरों के बलिदान को नमन".
एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने देश को अपने संबोधन में कहा, "हमने सभी तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है, इस महीने शुरू होने वाले संसद सत्र में प्रक्रिया शुरू करेंगे. मैं किसानों से अपने परिवारों के घर लौटने का आग्रह करता हूं और आइए हम नए सिरे से शुरुआत करें.”
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