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राहुल गांधी बोले- ‘हम दो हमारे दो’ चला रहे हैं देश,रोजगार हुआ खत्म

पीएम ने तीन विकल्प दिए- पहला भूख, दूसरा बेरोजगारी और तीसरा आत्महत्या

Published
भारत
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संसद के बजट सत्र के दौरान कृषि कानूनों को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है. विपक्ष जहां कई महीनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों का मुद्दा संसद में उठा रहा है, वहीं सरकार का कहना है कि उनके कानून पूरी तरह सही हैं. अब इस मामले को लेकर एक बार फिर लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किसानों के मुद्दे को लोकसभा में उठाते हुए कहा कि, ये कृषि कानून पूरी तरह से किसानों के खिलाफ हैं.

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सरकार ने तोड़ी देश की रीढ़ की हड्डी

इस दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के लोकसभा में दिए गए भाषण का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री कहते हैं कि मैंने विकल्प दिया है. हां आपने विकल्प दिया है, आपने तीन विकल्प दिए हैं. पहला भूख, दूसरा बेरोजगारी और तीसरा आत्महत्या. मामला ये है कि हिंदुस्तान का सबसे बड़ा व्यापार कृषि का है, जिससे 40 प्रतिशत आबादी इस पर जीती है. 40 लाख करोड़ रुपये का धंधा है. किसान, मजदूर और छोटे व्यापारी, जो इस देश की रीढ़ की हड्डी हैं, उसे तोड़कर बड़े व्यापारियों को दिया गया है. राहुल गांधी ने कहा,

“आपको याद होगा कि, सालों पहले एक नारा था- हम दो हमारे दो... लेकिन आज जैसे कोरोना दूसरे रूप में आ रहा है, वैसे ही ये नारा दूसरे रूप में आ रहा है. इस देश को चार लोग चलाते हैं. हम दो और हमारे दो... नाम सभी लोग जानते हैं.”

नोटबंदी से शुरू हुआ गरीबों पर हमला- राहुल

राहुल ने कहा कि, पहले कानून में दो मित्रों में से एक जो सबसे बड़ा मित्र है, उसे अनाज, फल और सब्जी को बेचने का अधिकार देना. नुकसान सिर्फ ठेले वालों और छोटे व्यापारियों का होगा, जो मंडी में काम करते हैं उनका होगा. अब दूसरे कानून का उद्देश्य दूसरे मित्र की मदद करने का है. दूसरे मित्र को पूरे देश में अनाज, फल और सब्जियों को स्टोर करने का अधिकार दिया है. राहुल गांधी ने आगे कहा-

  • ये पहला हमला नहीं है, ये काम प्रधानमंत्री ने हम दो हमारे दो के लिए नोटबंदी में शुरू किया था. आइडिया था कि गरीबों और किसानों से पैसा लो और हम दो हमारे दो की जेब में डालो. किसानों को बर्बाद कर दिया.
  • दूसरा हमला जीएसटी यानी गब्बर सिंह टैक्स था. जिसका असर उन्हीं किसानों पर उन्हीं छोटे व्यापारियों पर पड़ा. उन्हें सब कुछ झेलना पड़ा.
  • फिर कोरोना आया, फिर मजदूर बोलते हैं कि हमें ट्रेन का बस का टिकट दे दीजिए, लेकिन नहीं दिया गया, कहा गया कि नहीं मिलेगा तुम्हें, तुम ऐसे ही पैदल घर जाएंगे. दो-चार लोगों का कई लाख करोड़ कर्जा माफ कर दिया.
  • आज ये देश रोजगार पैदा नहीं कर सकता है, कल भी देश रोजगार पैदा नहीं कर पाएगा. क्योंकि आपने देश की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी है.
  • लेकिन ये मत समझिए कि ये किसानों का आंदोलन है, ये देश का आंदोलन है. किसान सिर्फ रास्ता दिखा रहा है, अंधेरे में टॉर्च दिखा रहा है, एक आवाज से पूरा देश उठने वाला है.
  • किसान एक इंच भी पीछे नहीं हटने वाला है, किसान आपको हटा देगा लेकिन पीछे नहीं हटेगा. आपको तीनों कानूनों को वापस लेना ही होगा.

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