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राहुल गांधी, क्या पीएम मोदी को चुनौती दे सकते हैं? पांच चार्ट से समझिए क्या बदला

सर्वे के अनुसार, 26 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे 'राहुल गांधी को हमेशा पसंद करते हैं'

Published
भारत
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प्रधानमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार के रूप में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कितने लोकप्रिय हैं? क्या कांग्रेस (Congress) के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को प्रभावी चुनौती दे सकते हैं? एनडीटीवी और सीएसडीएस द्वारा हाल ही में किया गया सर्वे इन सवालों पर बहुत ही रोचक जानकारी देता है. राहुल गांधी के लिए सर्वे में बहुत सारी सकारात्मक बातें सामने आई हैं, लेकिन कुछ ऐसे आंकड़े भी हैं जो दिखाते हैं कि उन्हें अभी भी पीएम के लिए एक प्रभावी चुनौती देने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है. आइए एक नजर इस सर्वे के पांच प्रमुख पहलुओं पर नजर डालते हैं.

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1. राहुल गांधी की लोकप्रियता में बढ़ोत्तरी

NDTV-CSDS के सर्वे के मुताबिक, 27 प्रतिशत लोगों ने अपनी पसंद के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में राहुल गांधी को चुना. इसमें 2019 के सीएसडीएस सर्वे से चार प्रतिशत अंक और 2014 के सर्वे से 13 अंक की बढ़ोत्तरी है.

यह राहुल गांधी को दृढ़ता से पीएम मोदी के मुख्य चुनौतीकर्ता के रूप में दिखाता है. दिलचस्प बात यह है कि यह बड़ी बढ़ोत्तरी 2014 और 2019 के बीच हुई है. 2019 के बाद से बढ़ोत्तरी तुलनात्मक रूप से सीमित रही है.

हालांकि इस पर CSDS का कोई डेटा नहीं है, लेकिन अन्य सर्वे डेटा से पता चलता है कि 2019 और 2022 के बीच राहुल गांधी की लोकप्रियता में गिरावट आई थी, खासकर लोकसभा की हार और कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में उनके इस्तीफे के बाद. इसलिए यह संभव है कि 2022 और 2023 के बीच बढ़ोत्तरी, 2019 से 2023 के आंकड़े से तेज हो सकती है.

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2. पीएम मोदी की तुलना में 'नापसंद' का स्तर कम

इस सर्वे की एक अहम बात यह है कि जिन पार्टिसिपेंट्स ने कहा है कि वे राहुल गांधी को 'नापसंद' करते हैं, उनका प्रतिशत पीएम मोदी को 'नापसंद' कहने वालों की तुलना में कम है. सर्वे के अनुसार, 23 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे पीएम मोदी को नापसंद करते हैं, जबकि 17 प्रतिशत ने कहा कि वे राहुल गांधी को नापसंद करते हैं.

3. भारत जोड़ो यात्रा का प्रभाव

सर्वे के अनुसार, 26 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे 'राहुल गांधी को हमेशा पसंद करते हैं' जबकि 15 प्रतिशत ने कहा कि वे भारत जोड़ो यात्रा के बाद उन्हें पसंद करने लगे हैं.

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4. कांग्रेस का उदय, राहुल गांधी के उदय से बड़ा है

2019 में राहुल गांधी की लोकप्रियता कांग्रेस के वोट शेयर से थोड़ी अधिक थी. 2019 के सीएसडीएस के चुनाव के बाद के सर्वे के अनुसार, 23 प्रतिशत राहुल गांधी को पीएम के रूप में देखना चाहते थे, जबकि 19.5 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी को वोट दिया था.

यह संभव है कि राहुल गांधी को पीएम के रूप में चाहने वाले लोगों ने अभी भी गैर-कांग्रेसी दलों को वोट दिया हो, उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में कई एसपी-बीएसपी मतदाताओं या केरल में वामपंथी मतदाताओं के मामले में शायद ऐसा ही हुआ हो.

यह पैटर्न अब बदल गया है. 2023 के सीएसडीएस सर्वेक्षण में, 27 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे चाहते हैं कि राहुल गांधी पीएम बनें. जबकि 29 प्रतिशत ने कहा कि वे कांग्रेस को वोट देना चाहते हैं. 2019 की तुलना में राहुल गांधी की लोकप्रियता में चार प्रतिशत अंक की बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन कांग्रेस को अपनी वोटिंग पसंद के रूप में चुनने वालों में 2019 की तुलना में लगभग 10 अंक की बढ़ोत्तरी हुई है.

इस दौरान बीजेपी या पीएम मोदी को लेकर तरजीह में कोई खास गिरावट नहीं आई है.

इसलिए, मुख्य बदलाव गैर-बीजेपी मतदाताओं का प्रतीत होता है, जिन्होंने 2019 में किसी भी कारण से कांग्रेस का समर्थन नहीं किया होगा, अब सक्रिय रूप से पार्टी को वोट देने पर विचार कर रहे हैं.

कांग्रेस के लिए लोकप्रियता में यह बढ़ोत्तरी पार्टी के कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य चुनावों में अपनी ताकत दिखाने के कारण हो सकती है.

यह संभव है कि राहुल गांधी की लोकप्रियता में बढ़ोत्तरी आंशिक रूप से गैर-बीजेपी क्षेत्र में कांग्रेस के पीछे बढ़ते एकीकरण की वजह से हो सकती है.

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5. मोदी वोटरों को राजी करना अभी भी एक टास्क है

सर्वे के मुताबिक जब लोगों से पूछा गया कि 'पीएम मोदी के लिए मुख्य चुनौती कौन है?' 34 प्रतिशत ने राहुल गांधी, 11 प्रतिशत ने अरविंद केजरीवाल, 5 प्रतिशत ने अखिलेश यादव और 4 प्रतिशत ने ममता बनर्जी कहा.

अब, यह एक ऐसा सवाल है जिसमें मोदी स्वाभाविक रूप से एक विकल्प नहीं हैं, इसलिए कई मोदी समर्थकों को विपक्षी नेताओं में से चुनने का मौका मिलता है. यह मानते हुए कि राहुल गांधी को पीएम की पसंद के रूप में चुनने वाले सभी 27 प्रतिशत ने भी उन्हें चुनौती देने वाले प्रश्न में चुना, इसका मतलब है कि राहुल गांधी को मोदी के विकल्प नहीं होने के कारण जो बढ़ोत्तरी मिली, वह लगभग 7 अंक है. केजरीवाल के लिए भी 7 अंक की बढ़ोतरी हुई है. 'अन्य' या 'कोई नहीं' कहने वालों में क्रमशः 7 और 9 अंक की बढ़ोत्तरी हुई है.

यह तुलनात्मक रूप से छोटी संख्या है और यह दिखाता है कि मोदी के विकल्प नहीं होने पर भी मोदी मतदाता शायद राहुल गांधी के बारे में ज्यादा उत्साहित नहीं हैं.

ज्यादा मोदी वोटर्स को अपनी ओर शिफ्ट करने में सक्षम नहीं होना राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए मुख्य बाधा बनी हुई है. कांग्रेस अभी भी इसे राज्य स्तर पर पूरा करने में कामयाब रही है, जैसा कि हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के परिणामों से साफ है. लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर यह करना अब भी एक चुनौती नजर आता है.

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