बुधवार को देश एक और ट्रेन हादसे का गवाह बना. आजमगढ़ से आ रही कैफियात एक्सप्रेस ट्रेन के 10 डिब्बे औरैया के पास पटरी से उतर गए. ट्रेन हादसों के इस दौर में खबर है कि इन रेल हादसों से सबक लेते हुए इंडियन रेलवे अगले कुछ सालों में 2 लाख कर्मचारियों की भर्ती करेगा.
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस भर्ती का मुख्य उद्देश्य रेलवे सेफ्टी और ग्राउंड पेट्रोलिंग को मजबूत करना है. बता दें कि इंडियन रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है जिससे हर दिन लाखों यात्री सफर करते हैं, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से इसका रिकॉर्ड कुछ खास अच्छा नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 3 सालों में, ट्रेन हादसों में कम से कम 650 लोगों की मौत हो गई है.
हाईटैक ट्रैक निरीक्षण प्रणाली की तैयारी
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इंडियन रेलवे के करीब 16 फीसदी सेफ्टी पोस्ट, जोकि निचले स्तर के पोस्ट हैं वो खाली हैं. यानी ऐसे पदों को अब तक भरा नहीं गया है. इस वजह से 64 हजार किमी लंबे रेल नेटवर्क के रख रखाव और पेट्रोलिंग में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
ऐसे में रेलवे सेफ्टी और रख रखाव के लिए ही ये नियुक्तियां अगले कुछ सालों में करेगा. साथ ही, गैंगमैन, जो गश्त और ट्रैक को फिक्स करते हैं उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से ट्रेनिंग देने की योजना है. रेलवे 100 से अधिक ट्रैक निरीक्षण व्हीकल खरीदने की भी योजना बना रहा है.
रेलवे के बड़े अधिकारी ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि एक ऐसे सेंसर टेक्नॉलजी का पायलट रन भी किया जा रहा है जिसके जरिए ट्रैक पर किसी भी तरह की क्रैक का पता लगाया जा सकेगा. अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा से संबंधित कार्यों की फाइनेंशियल जरूरतों को पूरा करने के लिए 'राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष' बनाया गया है. उन्होंने बताया कि रेलवे ने ICF कोचों के उत्पादन को रोकने का भी फैसला किया है, जो असुरक्षित माना जाता है.
ट्रैक की हालत खराब
रेलवे की इन कोशिशों का हादसे रोकने में कितना असर होता है ये तो अभी नहीं कहा जा सकता. लेकिन, इतना जरूर है कि एक हफ्ते में हुए दो ट्रेन हादसों ने यात्रियों को डरा जरूर दिया है. अप्रैल, 2017 में पब्लिश इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर, 2016 और मार्च 2017 के दौरान पटरी से ट्रेन के पलटने की हर घटना के पीछे रेलवे ट्रैक का अत्यधिक इस्तेमाल ही वजह बनी है.
ट्रेन की संख्या में इजाफा, ट्रैक का क्या?
15 सालों के दौरान पैसेंजर ट्रेन की दैनिक संख्या में 56% का इजाफा हुआ है. साल 2000-01 में 8,520 से बढ़कर साल 2015-16 में 13,313 हो गया.
इसी समय के दौरान माल गाड़ियों की संख्या में 59% की बढ़ोतरी हुई. लेकिन 15 सालों में इन सभी ट्रेनों के लिए चल रहे ट्रैक की लंबाई में केवल 12% का विस्तार हुआ. ट्रैक की लंबाई 81,865 किमी से बढ़ कर 92,081 किमी हुआ है.
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