ट्रेन हादसों पर रोक लगाने के लिए रेलवे नई तकनीकी पर काम कर रहा है. ट्रेन की पटरियों का सिकुड़ना या फैलना, रेल हादसे की प्रमुख वजहों में से एक है. रेलवे के रिसर्च डिजाइन एंड स्टैडर्ड आर्गेनाइजेशन ने अल्ट्रासोनिक ब्रोकन रेल डिटेक्शन (यूबीआरडी) के रूप में एक नई तकनीक विकसित की है. इस तकनीक की मदद से पटरियों के सिकुड़ने या फैलने की वजह से होने वाली घटनाओं पर लगाम लगाई जा सकेगी. अधिकारियों के मुताबिक दो रेलखंडों में इसका ट्रायल भी शुरू हो गया है.
आरडीएसओ के एक अधिकारी ने बताया कि गर्मी में फैलाव और सर्दियों में पटरियों के सिकुड़ने के कारण होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए जल्द ही अल्ट्रासोनिक किरणों की एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा.
आरडीएसओ के एडीजी जोगेश सिंह ने बताया-
अल्ट्रासोनिक ब्रोकन रेल डिटेक्शन पर काम चल रहा है. इस तकनीक में अल्ट्रासोनिक किरणें रेल फ्रैक्चर और पटरियों के जोड़ की जानकारी देती हैं. इन किरणों से टूटी हुई पटरियों की जानकारी मिलते ही अलार्म बजने लगता है. इससे लोको पायलट सतर्क हो जाता है.
जोगेश सिंह ने बताया कि उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद डिवीजन और उत्तर रेलवे के मुरादाबाद डिवीजन में इस तकनीक का ट्रायल चल रहा है. ट्रायल के लिए 25-25 किलोमीटर का सेक्शन चुना गया है जहां इस सिस्टम को लगाया गया है. ट्रायल के जल्द पूरा होने की उम्मीद है, जिसके बाद इस तकनीक का इस्तेमाल शुरू हो सकेगा.
मैनुअल मेंटनेंस सिस्टम को भी बदलेगा रेलवे
इंडियन रेलवे ने रेल एक्सीडेंट और गाड़ियों की देरी से बचने के लिए अपने मैनुअल मेंटनेंस सिस्टम को भी बदलने की तैयारी कर रहा है. रेलवे ने ब्रिटेन की तरह सिग्नल की रिमोट मॉनिटरिंग करने का फैसला किया है.सिग्नल फेल होने की आशंकाओं को रोकने के लिए रेलवे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बेहतर इस्तेमाल करेगा. ये सिस्टम पहले से तय समयपर जानकारियां जुटाने का काम करेगा और उसे एक तय मॉनिटरिंग सेंटर में भेजेगा. इससे सिग्नल सिस्टम में किसी भी तरह की खामी या परेशानी का पता वास्तविक समय में लगाया जा सकेगा. इससे देरी और दुर्घटनाओं की आशंका से बचा जा सकेगा.
कोहरे से लड़ने की तकनीक पर भी परीक्षण कर रहा है रेलवे
रेलवे कोहरे से लड़ने के लिए नई तकनीक पर परीक्षण कर रहा है और इसके लिए कई तकनीकी कदम भी उठाए हैं. इसके तहत ट्रेन प्रोटेक्शन वॉर्निग सिस्टम (टीपीडब्ल्यूएस), ट्रेन कोलिजन एवायडेंस सिस्टम (टीसीएएस) और टैरिन इमेजिंग फॉर डीजल ड्राइवर्स (ट्राई-एनईटीआरए) सिस्टम के साथ ही नए एलईडी फॉग लाइट्स लगाने की तैयारियां चल रही हैं, ताकि विजिबिलिटी में सुधार हो. लेकिन अभी इन तकनीकों पर परीक्षण चल रहा है.
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