रेल एक्सीडेंट और गाड़ियों की देरी से चलने के प्रमुख कारणों में से एक है सिग्नल का फेल होना. लेकिन अब इंडियन रेलवे अपने इस मैनुअल मेंटनेंस सिस्टम को बदलने की तैयारी में है. अब इंडिया में भी ब्रिटेन की तरह सिग्नल की रिमोट मॉनिटरिंग होने वाली है. दरअसल सिग्नल फेल होने की आशंकाओं को रोकने के लिए रेलवे जल्द ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बेहतर इस्तेमाल करेगा.
काफी अहम है सिग्नल
सही तरीके से रेल के संचालन (ऑपरेशन) के लिए सिग्नल सिस्टम काफी अहम होता है. रेलवे वास्तविक समय की जानकारी के साथ सिग्नल पर पूरी तरह से निर्भर रहता है. फिलहाल रेलवे में मैनुअल मेंटेनेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही अनुमान एवं बचाव के तरीके के कमियों को ढूंढ़ कर उसे ठीक करने का तरीका अपनाता है.
इस प्रोजेक्ट के साथ जुड़े रेल मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, "अब हम रिमोट कंडीशनिंग और मॉनिटरिंग का इस्तेमाल करेंगे, जिसमें सेंसर्स होंगे. इसमें सिग्नल्स, ट्रैक सर्किट, एक्सेल काउंटर और इंटरलॉकिंग सब-सिस्टम, रिले, टाइमर, वोल्टेज और बिजली आपूर्ति की सेंसर से लगातार मॉनिटरिंग की जा सकेगी. ये किसी भी प्रकार की गड़बड़ी का पहले ही अनुमान लगा लेगा."
ये होगा फायदा
ये सिस्टम पहले से तय समय-समय पर जानकारियां जुटाने का काम करेगा और उसे एक तय मॉनिटरिंग सेंटर में भेजेगा. इससे सिग्नल सिस्टम में किसी भी प्रकार की खामी या परेशानी का पता वास्तविक समय में लगाया जा सकेगा. इससे देरी और दुर्घटनाओं की आशंका से बचा जा सकेगा.
ऐसे करेगा काम
फिलहाल सिगनल्स की रिमोट मॉनिटरिंग ब्रिटेन में होती है. ये सिस्टम 3जी, 4जी और हाई स्पीड मोबाइल जैसे वायरलेस मीडियम के जरिए ट्रांसफर किए गए डाटा का आकलन करता है. इन जानकारियों के आधार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए सिग्नल खराब होने की भविष्यवाणी की जाती है.
यहां होगा ट्रायल
रेलवे ने फैसला किया है कि इसका ट्रायल पश्चिम रेलवे और दक्षिण पश्चिम रेलवे के दो हिस्सों- अहमदाबाद-वड़ोदरा और बेंगलुरू-मैसूर में किया जाएगा. इससे मिले फीडबैक आधार पर, इस सिस्टम को धीरे-धीरे अन्य सेक्शन तक बढ़ाया जाएगा.
(इनपुटः IANS से)
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