राजस्थान (Rajasthan) के अलवर में 20 जून को एक मस्जिद में आग लगा दी गई थी. इस घटना को अंजाम देने का जिन लोगों पर आरोप है, उसमें भारतीय जनता पार्टी के अलवर मंडल के पूर्व उप-जिला प्रमुख का नाम भी शामिल हैं. अलवर के बहादुरपुर गांव में स्थानीय लोगों ने दोपहर करीब तीन बजे शाह जमाल मस्जिद से धुएं की लपटें निकलती देखीं. इसके बाद वहां लोगों की भीड़ जमा हो गयी.
जिला वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष मौलाना हनीफ ने द क्विंट को बताया कि “यह बहुत पुरानी मस्जिद है. इसमें कई स्थानीय लोग नियमित रूप से प्रार्थना करते थे. मस्जिद को जलाने के साथ-साथ उसके लोहे के गेट भी तोड़ दिए गए''. उन्होंने कहा, मस्जिद वक्फ की जमीन पर बनी है.
अलवर सदर थाने में दर्ज घटना की FIR में शिकायतकर्ता का कहना है कि यह "गुंडों और असामाजिक तत्वों" द्वारा किया गया है, जो "हमें नियमित रूप से धमकी देते थे."
किन धाराओं में दर्ज हुआ केस?
जानकारी के अनुसार, IPC की धारा 143 (गैरकानूनी सभा), 153 ए (किसी भी पूजा स्थल के खिलाफ अपराध), 295 ए (धर्म का अपमान करने का कार्य), 427 (नुकसान या क्षति पहुंचाने वाली शरारत), 436 (आग से शरारत), 504 (शांति भंग करने के इरादे से किया गया अपमान) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत 14 लोगों के साथ-साथ अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है.
आरोप में स्थानीय बीजेपी नेता का नाम भी शामिल है
14 आरोपियों में अलवर के पूर्व उप जिला अध्यक्ष रमन गुलाटी का नाम भी शामिल है.
हालांकि, अलवर सदर पुलिस ने द क्विंट से बात करते हुए कहा कि गुलाटी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है.
द क्विंट ने गुलाटी से संपर्क किया लेकिन अभी तक उधर से कोई जवाब नहीं आया.
स्थानीय लोगों को संदेह है कि इस साल दिसंबर में होने वाले राजस्थान चुनाव से पहले मामले को "सांप्रदायिक" बनाने के लिए मस्जिद में आग लगाई गई है.
हमारे गांव में बड़ी संख्या में हिंदू और मुस्लिम आबादी है और हम ज्यादातर शांति से रहते हैं. इस तरह की घटनाएं समुदायों के बीच तनाव पैदा करने और चुनाव से पहले ध्रुवीकरण करने के लिए की जाती है.साहुन खान, गांव के सरपंच
जानकारी के अनुसार, शिकायतकर्ताओं में साहून का नाम भी शामिल है.
आग लगने से पहले दरगाह से जुड़ा विवाद
स्थानीय लोगों के मुताबिक, मस्जिद के पास मौजूद एक दरगाह पर हुए विवाद के तीन दिन बाद मस्जिद में आग लगा दी गई. एक स्थानीय निवासी जावेद ने द क्विंट को बताया कि “सभी धर्मों के लोग दरगाह पर मत्था टेकने जाते हैं. यह दशकों से होता आ रहा है. लेकिन कुछ दिनों पहले कुछ निर्माण कार्य की वजह से दरगाह के गेट पर अस्थायी रूप से ताला लगा दिया गया था . लोगों ने झूठी अफवाह फैला दी कि दरगाह में हिंदू समुदाय के लिए प्रवेश बंद कर दिया गया है. इससे तनाव पैदा हो गया.“
'दरगाह में प्रवेश किसी के लिए प्रतिबंधित नहीं'
गांव के सरपंच ने द क्विंट को बताया कि ये "निराधार अफवाहें थीं. दरगाह में प्रवेश किसी के लिए प्रतिबंधित नहीं है."
मामले की जांच कर रहे इंस्पेक्टर दिनेश चंद मीना ने कहा कि पुलिस ''दोनों पक्षों से बातचीत कर रही है.''
इंस्पेक्टर मीना ने द क्विंट को बताया, ''हम नहीं चाहते कि मामला और बढ़े इसलिए, हम सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं.'' बीजेपी नेता रमन गुलाटी के आरोपी होने के सवाल पर इंस्पेक्टर ने कहा कि उन्हें अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है, लेकिन 'जांच जारी है'.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)