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Rajasthan: भीलवाड़ा में आयरन और तांबे के भंडार मिलने के संकेत

22 अगस्त को भीलवाड़ा के चांदगढ़ में आयरन ओर के 3500 मीटर ड्रिलिंग का कार्य शुरू करवाया था

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राजस्थान (Rajasthan) के भीलवाड़ा जिले के चांदगढ़ में आयरन ओर (लोह अयस्क) के एक्सप्लोरेशन के दौरान (तांबा) कॉपर के भंडार मिलने के संकेत मिले हैं. विभाग द्वारा आरएसएमईटी के माध्यम से गांव में आयरन ओर के लिए 3500 मीटर ड्रिलिंग का कार्य करवाया जा रहा है. एक्सप्लोरेशन के शुरुआती दौर में ही आयरन ओर के साथ ही कॉपर के भंडार मिलने के संकेत मिले हैं.

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    ड्रिलिंग के दौरान अभी तक 3 बोरहोल्स में तांबा और आयरन ओर मिला है.

    (फोटो: माइनिंग डिपार्टमेंट राजस्थान)

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    आयरन ओर के साथ ही तांबे के भंडार के नमूने मिलना अच्छे संकेत के रुप में देखा जा रहा है।

    (फोटो: माइनिंग डिपार्टमेंट राजस्थान)

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    मिश्रधातु के रूप में इसका उपयोग पीतल, कांसा और स्टेनलेस स्टील बनाने में प्रमुखता से किया जाता है.

    (फोटो: माइनिंग डिपार्टमेंट राजस्थान)

एसीएस माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि विभाग ने 22 अगस्त को भीलवाड़ा के चांदगढ़ में आयरन ओर के 3500 मीटर ड्रिलिंग का कार्य शुरू करवाया था, जिसमें अधिकतम 100 मीटर गहराई के 35 बोर होल्स कार्य प्रगतिरत है. ड्रिलिंग के दौरान अभी तक 3 बोरहोल्स में तांबा और आयरन ओर मिला है. राजस्थान राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट द्वारा करवाए जा रहे ड्रिलिंग से क्षेत्र में स्टेटेजिक मिनरल मिलना एक बड़ी उपलब्धि के रुप में देखा जा रहा है. अभी तक की गई कोर ड्रिलिंग के कोर के अध्ययन से क्षेत्र में खनिज तांबा और आयरन ओर के प्रचुर भंडार मिलने की संभावनाएं हैं.

शुरुआती अंवेषण ऐर कोर ड्रिलिंग से मामूली गहराई 5-6 मीटर, 20-25 मीटर और 55-60 मीटर गहराई पर ही आयरन ओर के साथ ही तांबे के भंडार के नमूने मिलना अच्छे संकेत के रुप में देखा जा रहा है.अग्रवाल ने बताया कि क्षेत्र में करीब 1.5 किमी से 2 किमी लंबाई और करीब 250 मीटर से 300 मीटर की चौड़ाई क्षेत्र में कॉपर खनिज की संभावना है, साथ ही क्षेत्र में 500 मीटर से 700 मीटर की गहराई पर छिद्रण कार्य किए जाने से खनिज कॉपर के वृहद भंडार मिलने की पूर्ण संभावना है. कॉपर हमारे जीवन में इस्तेमाल होने वाली मुख्य धातु है.

विद्युत सुचालक होने की वजह से इसका मुख्य इस्तेमाल विद्युत उपकरण और विद्युत उद्योग में किया जाता है. मिश्रधातु के रूप में इसका उपयोग पीतल, कांसा और स्टेनलेस स्टील बनाने में प्रमुखता से किया जाता है.

निदेशक माइंस संदेश नायक ने बताया कि देश में सर्वाधिक लगभग 54 प्रतिशत कॉपर के भंडार राजस्थान में हैं. राजस्थान के बाद झारखंड और मध्यप्रदेश का स्थान आता है, उन्होंने बताया कि भीलवाड़ा में आयरन ओर के साथ कॉपर के डिपोजिट मिलने की संकेत से आशा का संचार हुआ है.

निदेशक नायक ने बताया कि राज्य में कॉपर झुंझुनू के खेतड़ी में पाया जाता है, इसके अतिरिक्त झुंझुनूं के ही मदान-कुदान-कोलिहान, बनवास अकवाली, सिंघाना-मुरादपुर, देवपुरा- बनेरा बेल्ट भीलवाड़ा, डेरी-बसंतगढ़ सिरोही, खो-दरिबा खेड़ा, मुंडिया अलवर और अंजनी, बेडावल चाटी-मानपुरा जिला उदयपुर में भी कॉपर के भंडार पाये गए हैं.

आरएसएमईटी के मुख्य कार्यकारी एनपी सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र में साइंटिफिक और आधुनिक तकनीक से अन्वेषण कार्य और अधिक गहराई में ड्रिलिंग कराये जाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिए गए है, जिससे खनिज तांबा औप आयरन ओर के प्रचुर भंडार सुनिश्चित किये जा सकेंगे.

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