राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने विपक्ष को उलझा दिया है. उत्तर प्रदेश की 10 सीटों के लिए बीजेपी ने 11 उम्मीदवार तो उतारे ही हैं साथ ही नरेश अग्रवाल को अपने साथ जोड़कर उन्होंने सपा तो नहीं लेकिन बीएसपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.
बीएसपी ने एसपी को गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में समर्थन किया जिसके बदले में एसपी के 10 विधायकों के वोट बीएसपी के राज्यसभा उम्मीदवार को मिलने हैं. लेकिन, बीजेपी ने ऐसा मास्टर स्ट्रोक खेला है कि पूरा समीकरण ही बिगाड़ दिया है.
दरअसल बीएसपी के यूपी में सिर्फ 19 विधायक हैं इसलिए वो अपनी दम पर कोई राज्यसभा सीट जीतने की हालत में नहीं है, और उसने इसके लिए एसपी और कांग्रेस से गठजोड़ किया है.
क्या कहता है यूपी के राज्यसभा चुनाव का गणित?
उत्तर प्रदेश में 10 राज्यसभा सीट हैं. हर राज्यसभा सीट के लिए 37 विधायकों के वोट चाहिए. बीजेपी के पास सहयोगी दलों को मिलाकर यूपी में कुल 324 विधायक हैं. जिससे बीजेपी की आठ राज्यसभा सीटें तो पक्की हैं. लेकिन इसके बाद भी बीजेपी के पास 28 विधायकों के वोट बचेंगे. जिसके जरिए वो बीएसपी की सीट पर रुकावट खड़ी कर सकती है.
बीजेपी का खेल
- राज्यसभा चुनाव के ऐन पहले समाजवादी पार्टी नेता नरेश अग्रवाल को बीजेपी में शामिल कर लिया गया.
- नरेश अग्रवाल ने ऐलान किया कि समाजवादी पार्टी से विधायक उनका बेटा नितिन अग्रवाल बीजेपी के उम्मीदवार को वोट करेगा. इससे समाजवादी पार्टी का एक वोट कम हो जाएगा
- इसके अलावा तीन निर्दलीय विधायकों पर भी बीजेपी की नजर है. ऐसे में बीजेपी के पास कुल 32 विधायक हो जाएंगे. इस तरह सीट जीतने के लिए उसे महज 5 और विधायकों की जरूरत होगी.
अतिरिक्त उम्मीदवारों से नामांकन करवाने पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा, 'जिनके पास संख्या नहीं है, वो भी अपना उम्मीदवार उतार रहे हैं. हमारे पास 28 विधायक ज्यादा हैं, इसलिए हमने भी अपने ज्यादा उम्मीदवार उतारने का फैसला किया. जो राज्य के लिए अच्छा चाहेगा और जिसका लोकतंत्र में विश्वास होगा, वो हमारे उम्मीदवार के लिए वोट करेगा.'
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने इस मामले पर कहा, 'जिसकी टेंशन बढ़ती हो, बढ़ती रहे, हम रिलेक्स हैं.'
कैसे गड़बड़ हुआ बीएसपी का गणित?
यूपी में बीजेपी की आठ और समाजवादी पार्टी की एक सीट पक्की है. अब झगड़ा सिर्फ एक सीट का है, जिस पर बीएसपी और बीजेपी दोनों की नजरें जमी हुईं हैं. बीएसपी के पास कुल 19 विधायक हैं, लिहाजा उसे अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए 18 और विधायकों की जरूरत है.
जिसमें समाजवादी पार्टी के बचे हुए 10 ,कांग्रेस के 7 और आरएलडी के एक विधायक के वोट मिलाकर 37 वोट मिल जाते, लेकिन अगर समाजवादी पार्टी के विधायक नितिन अग्रवाल ने बीजेपी को वोट दिया तो एसपी के पास सिर्फ 9 अतिरिक्त वोट रह जाएंगे यानी बीएसपी के उम्मीदवार को जिताने के लिए जरूरी वोट से एक कम यानी 36 वोट.
मायावती शायद बीजेपी का खेल भांप गई थीं
राज्यसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले माना जा रहा था कि बीएसपी की ओर से एक सीट के लिए मायावती खुद नामांकन करेंगी. बाद में मायावती के भाई आनंद कुमार की चर्चा चली. लेकिन बीएसपी ने भीमराव अंबेडकर को अपना उम्मीदवार बनाया.
इसकी वजह यही लगती है कि मायावती को शायद राज्यसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार की जीत पर अड़ंगे का अंदेशा रहा हो. यही वजह है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने वाली मायावती ने राज्यसभा चुनाव में अपनी इमेज को दांव पर नहीं लगाया.
गुजरात में चार सीटों के लिए 6 उम्मीदवार
यूपी जैसा ही हाल गुजरात का भी है. इस बार राज्यसभा की चार सीटों के लिए छह उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों दो-दो सीटें जीतने की स्थिति में हैं, लेकिन जब बीजेपी ने तीन उम्मीदवार उतारे तो कांग्रेस ने भी दो उम्मीदवार के साथ एक निर्दलीय को समर्थन का एलान कर दिया.
यानी दोनों पक्षों के छह उम्मीदवार, जबकि सीट हैं चार.
बीजेपी ने पुरुषोत्तम रुपाला, मनसुख मंडाविया और कृति सिंह राणा को उतारा है. जबकि कांग्रेस ने अमि याग्निक, नारायण राठवा के अलावा निर्दलीय उम्मीदवार पीके वलेरा को समर्थन दिया है.
चार सीटों पर छह उम्मीदवार खड़े होने के चलते क्रॉस वोटिंग की आशंका बनी हुई है. बता दें कि अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव के वक्त भी कुछ विधायको ने क्रॉस वोटिंग की थी.
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