कृषि कानून के खिलाफ एक तरफ बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन जारी है, दूसरी ओर कानूनों को लेकर किसान नेताओं ने गांव-गांव जाकर बताना शुरू कर दिया है, यही कारण है कि लगातार देशभर के अलग-अलग जगहों पर महापंचायत और कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. हालांकि किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार को व्यापारियों की चिंता ज्यादा और किसानों की कम है.
हरियाणा के कुरुक्षेत्र के एक गांव में मंगलवार को एक कार्यक्रम किया जा रहा है, जहां भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत पहुंचे हुए हैं.
राकेश टिकैत ने कहा कि, कुरुक्षेत्र मीटिंग में शामिल होने पहुंचा हुआ हूं. हम इन कानूनों के बारे में गांव गांव तक बात पहुंचाएंगे, क्योंकि इससे नुकसान तो किसानों को ही हो रहा है. जब तक ये बिल वापस नहीं होंगे तब तक इस तरह देश के गांव में महापंचायत होती रहेगी. हम एक दिन छोड़ के हर दिन पंचायत करेंगे, हालांकि सरकार और किसान संगठनों की 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है.
क्या बैठक का कोई संदेश आया है? इस सवाल के जवाब में टिकैत ने कहा कि, सरकार की तरफ से अभी तक कोई फोन नहीं आया है बातचीत करने के लिए, उन्हें व्यापारी की चिंता ज्यादा है किसानों की कम है.
किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020; मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 पर किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता हेतु सरकार का विरोध कर रहे हैं.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)