ADVERTISEMENTREMOVE AD

बाबरी मस्जिद: 25 सालों से चला आ रहा अदालती और कानूनी दांव-पेंच 

शुरू से लेकर अबतक हुई अदालती कार्रवाई. 

Updated
भारत
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड हुआ. करीब 25 सालों से कानूनी दांव-पेंच और अदालतों के भंवरजाल में फंसे इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया.

लाल कृष्ण आडवाणी समेत वरिष्ठ भाजपा नेताओं पर अपराधिक साजिश का मामला चलाया जाएगा. आडवाणी के अलावा इस मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता मुरली मनोहर जोशी और केंद्रीय मंत्री उमा भारती पर भी मुकदमा चलेगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अबतक की अदालती कार्रवाई

दिसंबर 1992: सीबीआई ने इस केस में दो एफआईआर दर्ज किए.

एफआईआर नंबर 197/1992 उन अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ थी जिन्होंने विवादित ढांचे को गिराया था. दूसरी एफआईआर 198/1992 में अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, एल के आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विष्णु हरि डालमिया, विनय कटियार, उमा भारती, अशोक सिंघल और साध्वी ऋतम्भरा के खिलाफ दर्ज की गई थी. इन नेताओं पर सांप्रदायिक और उकसाने वाला भाषण देने का आरोप लगा.

5 अक्टूबर 1993: सीबीआई की ओर से लखनऊ की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में ज्वाइंट चार्जशीट फाइल की गई. आडवाणी और संघ परिवार के दूसरे नेताओं के खिलाफ विवादित ढांचा गिराये जाने की साजिश रचे जाने का आरोप लगाया गया.

4 मई 2001: लखनऊ की कोर्ट ने आडवाणी, उमा भारती, बाल ठाकरे समेत दूसरे आरोपी नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश की धारा हटा दी.

2 नवंबर 2004: सीबीआई ने इस फैसले को अलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के सामने चैलेंज किया. कोर्ट ने नोटिस जारी की.

20 मई 2010: अलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. सीबीआई की पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने आडवाणी, कल्याण सिंह और ठाकरे समेत 21 अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा स्थगित करने के आदेश को सही ठहराया.

9 फरवरी 2011: सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर मांग की कि हाई कोर्ट के इस आदेश को खारिज किया जाए.

6 मार्च 2017: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भाजपा नेताओं के खिलाफ लगे साजिश के आरोप पर विचार किया जा सकता है.

21 मार्च: सुप्रीम कोर्ट ने नए सिरे से मामले को सुलझाने की बात कही.

6 अप्रैल: सुप्रीम कोर्ट ने मामले में मुकदमे को समय-सीमा में पूरा किए जाने का समर्थन करते हुए सीबीआई की याचिका को रिजर्व रखा.

19 अप्रैल: मामले में आडवाणी, जोशी और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री उमा भारती समेत कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का आरोप बरकरार रखते हुए और नेताओं और कारसेवकों के खिलाफ लंबित मामले में ट्रायल का आदेश दिया.

0

आडवाणी के खिलाफ गंभीर आरोप:-

सीबीआई ने धारा 153 ए (वर्गों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने) के तहत लालकृष्ण आडवाणी पर चार्ज लगाया था.

  • 6 दिसंबर, 1992 को हुए इस कांड के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने दो एफआईआर 197 और 198 रजिस्टर की.
  • 19 सितंबर 1993 में यूपी सरकार ने एफआईआर 197 को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया.
  • 8 अक्टूबर 1993 में एफआईआर 198 को भी ट्रांसफर करने का कार्यकारी आदेश जारी किया गया.
  • 4 मई 2001 में आडवाणी के खिलाफ साजिश का आरोप हटा दिया गया था.
  • हाईकोर्ट ने आदेश जारी करने से मना कर दिया, एफआईआर के लिए ताजा अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया.
  • 2001 में मायावती सरकार ने नई अधिसूचना जारी करने से मना कर दिया.
  • 2010 में, हाईकोर्ट ने साजिश के आरोप को बरकरार रखा.
  • 2011 में सीबीआई ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर आडवाणी से जवाब की मांग की.
  • 6 मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने आडवाणी के खिलाफ साजिश रचने के आरोप पर फिर से विचार करने का संकेत दिया.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×