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IIT बॉम्बे में शोभा यात्रा, TISS में विरोध रहा 'बैन': राम मंदिर से जुड़े आयोजन पर बंटे छात्र

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन IIT, IISc, IISER, FTII और TISS जैसे संस्थानों में क्या कुछ हुआ?

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अयोध्या (Ayodhya) के राम मंदिर (Ram Mandir) में प्राण प्रतिष्ठा के साथ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (IIT Bombay) में 'गौशाला' का उद्घाटन, 'रामधुन' और 'शोभा यात्रा' निकालने जैसे कई कार्यक्रमों की घोषणा की गई थी. इस बीच, मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) ने कथित तौर पर अपने छात्रों को 22 जनवरी को राम मंदिर उद्घाटन समारोह के खिलाफ परिसर में किसी भी विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं लेने की चेतावनी दी और पुलिस-प्रशासन द्वारा ऐसे छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात भी कही गई.

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आईआईटी बॉम्बे के एक छात्र संगठन, अंबेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्कल (एपीपीएससी) ने 19 जनवरी को एक्स पर आरोप लगाया गया कि कॉलेज प्रशासन ने "भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को छोड़ कर हिंदुत्ववादी राजनीतिक ताकतों के सामने घुटने टेकना शुरू कर दिया है."

छात्र संगठन ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजकों द्वारा उन्हें भेजे गए कथित ईमेल के स्क्रीनशॉट भी साझा किए.

ईमेल में में लिखा है कि, “यह बहुत खुशी की बात है कि हम देवी पद्मावती मंदिर के पीछे सुरम्य झील के किनारे के क्षेत्र में एक नई और बेहतर गौशाला के निर्माण पूरा होने की घोषणा करते हैं… नई गौशाला का उद्घाटन समारोह 22 जनवरी, 2024 (सोमवार) को 12 बजे होगा."

उद्घाटन में आईआईटी बॉम्बे के निदेशक सुभाशिष चौधरी और बीएमसी के अतिरिक्त नगर आयुक्त अश्विनी भिडे शामिल होंगे.

इस बीच, गीत रामायण पर आधारित 'रामधुन' नामक एक और सांस्कृतिक कार्यक्रम 20 जनवरी को संस्थान के आईडीसी ऑडिटोरियम में निर्धारित किया गया था.

'रामधुन' और 'शोभायात्रा'

एपीपीएससी ने जो कथित स्क्रीनशॉट साझा किया वो संस्थान के पीआरओ का एक ईमेल है, जिसमें छात्रों को "आयोजकों की ओर से" कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है:

“कार्यक्रम, रामधुन में, राम के कुछ भजनों की प्रस्तुती होगी. कलाकार आईआईटी-बी से जुड़े हैं, जिनमें कर्मचारियों और फैकल्टी मेंबर्स के पति/पत्नी और बच्चों के साथ-साथ कुछ छात्र भी शामिल हैं."

ऐसे ही एक अन्य स्क्रीनशॉट में छात्रों को शोभा यात्रा में शामिल होने का निमंत्रण मिला, जिसमें लिखा है - एक जुलूस जिसमें "रामायण के पात्रों के रूप में कपड़े पहने हुए बच्चे होंगे और उनके साथ पारंपरिक वाद्ययंत्र होंगे."

कथित 'यात्रा' अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से एक दिन पहले होने वाली थी और देवी पद्मावती मंदिर में समाप्त होने से पहले आईआईटी बॉम्बे के हॉस्टल 12,13 और 14 से होकर गुजरनी थी.

छात्र संगठन ने इन सभी समारोह की निंदा करते हुए इसे "दक्षिणपंथी राजनीतिक ताकतों के सामने इस संस्थान का आत्मसमर्पण" करार दिया है.

साथ ही संगठन ने आईआईटी बॉम्बे द्वारा हाल ही में जारी सर्कुलर को भी दोहराया, जिसमें लिखा है कि संसथान "अराजनीतिक" रहेगा.

संस्थान के जनसंपर्क कार्यालय (पीआरओ) ने द क्विंट को बताया कि सांस्कृतिक कार्यक्रम संस्थान की ओर से आयोजित कोई आधिकारिक कार्यक्रम नहीं था. ये परिसर के निवासियों के एक समूह द्वारा आयोजित किए गए थे. पीआरओ ने यह भी कहा:

"गौशाला खराब हालत में थी और हमने हाल ही में इसकी मरम्मत करके इसे अपग्रेड किया. इसका उद्घाटन लंबे समय से लंबित था और इसका अन्य आयोजनों से कोई लेना-देना नहीं है."

इस बीच, छात्रों के एक समूह ने इस कार्यक्रम के वीडियो शेयर किए. आईआईटी बी फॉर भारत नामक एक स्वतंत्र छात्र समूह ने X पर पोस्ट किया:

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TISS ने 18 जनवरी को जारी एक नोटिस में "छात्रों को सख्त चेतावनी दी" कि वे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के खिलाफ परिसर में किसी भी गतिविधि या प्रदर्शन में भाग न लें. समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रशासन ने कहा कि कुछ छात्र विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहे थे, वहीं टीआईएसएस के छात्र संघ ने किसी स्वतंत्र या मान्यता प्राप्त छात्र निकाय द्वारा आयोजित किसी भी विरोध प्रदर्शन से इनकार किया.

"पहले से ही 18 जनवरी 2024 का एक नोटिस था, जो नई गाइडलाइन्स तक कैंपस में सभी गतिविधियों, सभाओं और स्क्रीनिंग को बैन करता है. तो फिर 22 जनवरी, 2024 को राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठान की घटना का विशेष रूप से उल्लेख करने वाली एक अन्य अधिसूचना क्यों प्रसारित की गई? यह स्पष्ट रूप से छात्रों पर एक निश्चित राजनीतिक एजेंडा थोपा जा रहा है."

छात्र संघ ने मांग की कि प्रशासन 18 जनवरी को जारी हुए नोटिस को वापस ले और उन तारीखों को बताए जब नए गाइडलाइन्स लागू होंगे.

इस बीच, पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) के छात्र संघ ने 22 जनवरी को आधे दिन की घोषणा करने के केंद्र सरकार के फैसले के लिए "कड़ी निंदा" करते हुए एक बयान जारी किया.

FTIISA ने इस कदम को "हमारे राष्ट्र का आधार बनने वाले धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर सीधा हमला" करार दिया.

TIFR, IISER आधे दिन रहे बंद; IISc बेंगलुरु में 'प्राण प्रतिष्ठा' की स्क्रीनिंग में 600 छात्र शामिल हुए

जब पीएम मोदी अयोध्या में प्राणप्रतिष्ठा अनुष्ठान पूरा कर रहे थे, तब भारत के कई शैक्षणिक संस्थान आधे दिन के लिए बंद थे. इनमें टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर), मुंबई; भारतीय विज्ञान, शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), मोहाली; और IISER तिरुवनंतपुरम शामिल हैं.

IISc बैंगलोर के एक छात्र ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए द क्विंट को बताया कि कैंपस के बंद ऑडोटोरियम में छात्रों के एक ग्रुप ने 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह की स्क्रीनिंग आयोजित की गई थी, जिसमें कम से कम 600 छात्रों ने भाग लिया था. छात्र ने बताया कि इसके बाद एक स्थानीय मंदिर में पूजा की गई.

छात्र ने जोर देकर कहा कि स्क्रीनिंग की उचित अनुमति पहले ही मांगी गई थी और बाहरी लोगों को इसके लिए आमंत्रित नहीं किया गया था.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दिल्ली ने भी अपना निर्णय वापस लेने से पहले 22 जनवरी को आधे दिन की छुट्टी की घोषणा की थी.

बता दें कि, अयोध्या में लगभग 7,000 से ज्यादा वीआईपी मेहमान शामिल हुए. पीएम मोदी ने नेतृत्व में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई. अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मुद्दा भारत में सबसे विवादास्पद भूमि विवादों में से एक है. 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए मस्जिद की जगह पर मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था.

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