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RNG अवॉर्ड: मीडिया पर राष्ट्रपति ने जो कहा उसे सबको सुनना चाहिए

कभी-कभी आपका मन बैठने लगता है.लेकिन फिर वो सच्ची, और साहसी आवाज अपना असर दिखाती है.

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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार

नक्कारखाने में तूती का मतलब समझते हैं आप? इसका मतलब होता है कि जब हर तरफ शोर मचा हो तो एक कमजोर आवाज को कौन सुनेगा? कई बार आप लीक से हटकर, मेन स्ट्रीम से अलग काम करते हैं. आपको 'पैरलल' करार दे दिया जाता है. कभी-कभी आपका मन बैठने लगता है.लेकिन फिर वो सच्ची, और साहसी आवाज अपना असर दिखाती है.

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जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द क्विंट और क्विंट हिंदी के चार पत्रकारों को उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए 2018 का रामनाथ गोयनका अवॉर्ड दे रहे थे तो उसे देखकर दिल में यही अहसास हो रहा था. ये भरोसा मिल रहा था कि आप सही काम करते हैं, आप सही दिशा में चलते हैं तो एक न एक दिन मंजिल नजर आने लगती है. ये अवॉर्ड और जिन विषयों पर रिपोर्टिंग के लिए ये अवॉर्ड दिए गए हैं, वो हमारे देश के इतिहास, मौजूदा समय और भविष्य के बारे में भी काफी कुछ कहते हैं.

 कभी-कभी आपका मन बैठने लगता है.लेकिन फिर वो सच्ची, और साहसी आवाज अपना असर दिखाती है.

क्विंट हिंदी के पत्रकार शादाब मोइजी को हिंदी पत्रकारिता कैटेगरी का अवॉर्ड दिया गया. शादाब ने अपनी एक शॉर्ट डाक्यूमेंट्री में मुजफ्फरनगर दंगों के पीड़ितों की पीड़ा दिखाई गई. बताया था कि कैसे 2013 में हुए दंगों के पांच साल भी पीड़ित मुजफ्फरनगर में अपने गांव नहीं जाना चाहते. कैसे वो आज भी अपनों को तलाश रहे हैं. पुलिस उन्हें आज भी लापता बता रही है. कुछ पीड़ितों ने बताया था कि उन्होंने अपने परिजनों की हत्या अपनी आंखों से देखी लेकिन उन्हें पुलिस लापता बताती है. ये कहानी थी- दर्द की, नाइंसाफी की और फिर भी ये कहानी थी मानवता की, मानवता की उम्मीद की. इसी कैटेगरी में दिति वाजपेयी को प्रिंट का अवॉर्ड मिला है.

इलेक्टोरल बॉन्ड का 'सच' सामने रखने पर अवॉर्ड

द क्विंट की पूनम अग्रवाल को अवॉर्ड मिला खोजी पत्रकारिता के लिए. पूनम ने एक के बाद एक खुलासों में बताया कि चुनावी चंदा के लिए जिस इलेक्टोरल बॉन्ड को ये कहकर लाया गया कि इससे सिस्टम पारदर्शी बनेगा, भ्रष्टाचार घटेगा, वो दरअसल बहुत काला है. पूनम ने ही सबसे पहले बताया कि बॉन्ड्स पर एक सीक्रेट नंबर है जिससे डोनर की पहचान हो सकती है.

द क्विंट की अस्मिता नंदी और मेघनाद बोस को अनकवरिंग इंडिया इनविजिबल कैटेगरी में अवॉर्ड मिला. इन दोनों को उनकी डॉक्यूमेंट्री ‘द मेकिंग ऑफ लिंचिस्तान’ के लिए अवॉर्ड मिला है. इसी कैटेगरी में में प्रिंट का अवॉर्ड हिना रोहतकी को मिला जिन्होंने मोरनी हरियाणा के लोगों की दुविधा पर स्टोरी की थी कि कैसे 20 फीट ऊंचे पाइपलाइन को पार कर स्कूल या काम पर जाते हैं लोग.

न्यूज 18 अनिरुद्ध घोषाल को सिविक जर्नलिज्म कैटेगरी में अवॉर्ड मिला है. उन्होंने यूपी सरकार के दावों को गलत बताती रिपोर्ट की थी कि यूपी में इंसेफलाइटिस का प्रकोप खत्म नहीं हुआ है.

बीबीसी हिंदी की सर्वप्रिया सांगवान को पर्यावरण और विज्ञान कैटोगरी में ब्रॉडक्रास्ट पत्रकारिता के लिए पुरस्कार दिया गया. सर्वप्रिया सांगवान की ये स्टोरी झारखंड के जादूगोड़ा में यूरेनियम से प्रभावित लोगों की कहानी कहती है और सवाल उठाती है कि क्या ये इलाका भारत के न्यूक्लियर सपनों की कीमत चुका रहा है?

दबे-कुचलों और मार्जनलाइज्ड लोगों की आवाज उठाने पर सम्मान

याद रखिएगा ये तमाम अवॉर्ड देश के राष्ट्रपति के हाथों दिए गए. ये अवॉर्ड उस जमाने में दिए गए हैं जब सरकार के खिलाफ नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भेदभाव के आरोप लग रहे हैं. देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे हैं. ये अवॉर्ड उस समय में, दबे-कुचले और मार्जिनलाइज लोगों की उस आवाज उठाने के लिए मिले हैं, जिन्हें दबाने की कोशिश हो रही है.

राष्ट्रपति कोविंद ने इस सम्मान समारोह में कहा कि आज मीडिया का एक खास हिस्सा खबरों के नाम पर मनोरंजन दिखा रहा है. सामाजिक असमानता को दिखाने वाली स्टोरी को नहीं दिखाया जा रहा है. फेक न्यूज की बाढ़ आ गई है.

सम्मान समारोह में इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के CMD विवेक गोयनका ने बताया कि ब्रॉडकास्ट कैटेगरी में टीवी चैनलों की तरफ से क्वालिटी एंट्री कम हुई. वहीं, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने कहीं ज्यादा बेहतर काम किया है.

ऐसा क्यों है, ये शोध का विषय है. लेकिन एक बात साफ है कि रात 9 बजे का शोर, चैनल पर चेहरों की भीड़, चैनल का एक बड़ा WhatsApp ग्रुप बन जाना और एंकर का एक एडमिनिस्ट्रेटर बन जाना, अच्छे काम में तब्दील नहीं हो रहा है.
विवेक गोयनका, सीएमडी, इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप

विवेक गोयनका की बातें न्यू मीडिया और डिजिटल मीडिया के लिए हौसला बढ़ाने वाली हैं. जो तमाम सीमाओं के बावजूद बाउंड्रीज तोड़ने की कोशिश कर रहा हैरामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की बातें नसीहत हैं कि पत्रकारिता का मतलब सिर्फ सियासी खबरें नहीं, सामाजिक मुद्दों और जरूरतमंदों की आाज उठाना भी है. ये सम्मान हौसला अफजाई करती हैं कि पत्रकारों को सही और सच्चा काम करते रहना चाहिए. क्योंकि ये कहीं न कहीं रजिस्टर हो रहा है. इसका असर हो रहा है.

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