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नए राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद के संबोधन की 10 बड़ी बातें

रामनाथ कोविंद अच्‍छे वक्‍ता हैं. अपने संबोधन में उन्‍होंने समाज के किसी वर्ग को आंखों से ओझल नहीं होने दिया.

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भारत
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देश के 14वें राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शपथ ग्रहण के बाद संसद के सेंट्रल हॉल में जो छोटा-सा भाषण दिया, वह कई मायने में बेजोड़ कहा जा सकता है. उनके संबोधन में देश की गौरवशाली परंपरा की झलक मिलती है और दुनिया की महाशक्‍त‍ि बनने की ओर मजबूती से कदम बढ़ाते भारत की तस्‍वीर भी दिखती है.

नए राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद के संबोधन की 10 बड़ी बातों और उनके मायने की चर्चा आगे की गई है:

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1. असहमति के बावजूद दूसरों के विचारों का सम्‍मान

रामनाथ कोविंद ने अपने भाषण की शुरुआत में जिक्र किया कि संसद भवन के इस सेंट्रल हॉल से उनका जुड़ाव पुराना है. उन्‍होंने पुराने दिनों का जिक्र करते हुए कहा कि इसी हॉल में अपने साथी सांसदों के साथ चर्चा करते हुए वे कई बार एक-दूसरे के विचारों से सहमत होते थे, कई बार असहमत.

कोविंद ने बेहद कम शब्‍दों में बता दिया कि असहमति के बावजूद एक-दूसरे के विचारों का सम्‍मान करना ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबसूरती है.
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2. गरीबों के लिए खुले हैं अवसर के दरवाजे

कोविंद ने बताया कि वे मिट्टी के घर में पले-बढ़े और आज इतनी बड़ी जिम्‍मेदारी संभाल ली. उन्‍होंने कहा कि ये यात्रा सिर्फ उनकी नहीं है, पूरे देश-समाज की यही गाथा है.

जाहिर है, अपनी इस कामयाबी से उन्‍होंने देश की उस बड़ी आबादी को जोड़ लिया, जो आज भी तरक्‍की के सफर में कहीं पीछे छूट गई है.

कोविंद ने ऐसे लोगों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि इस महान देश में न्‍याय, स्‍वतंत्रता, समानता और बंधुत्‍व के मूल मंत्र का पालन किया जाता है.

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3. चार पूर्व राष्‍ट्रपति के नाम लिए

रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन में केवल 4 पूर्व राष्‍ट्रपति के नाम का जिक्र किया. उन्‍होंने डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सर्वपल्‍ली डॉ. राधाकृष्‍णन, डॉ. एपीजे अब्‍दुल कलाम और डॉ. प्रणब मुखर्जी का नाम लिया. उन्‍होंने कहा कि वे इन महान विभूतियों के पद-चिह्नों पर चलने जा रहे हैं.

इन नामों को देखकर समझा जा सकता है कि उन्‍होंने 2 नाम सबसे पहले के राष्‍ट्रपति के चुने. बाद के 2 नामों का चुनाव उन्‍होंने थोड़ा सोच-समझकर किया. डॉ. कलाम और प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल के बीच राष्‍ट्रपति रह चुकी प्रतिभा पाटिल का नाम उन्‍होंने नहीं लिया. वैसे, इस खास मौके पर अब तक के सभी राष्‍ट्रपति के नाम का जिक्र करने की कोई जरूरत भी नहीं थी.

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4. बापू, पटेल और अंबेडकर को याद किया

वैसे तो देश में महान विभूतियों की कमी नहीं रही है, लेकिन कोविंद ने बड़ी समझदारी से वे नाम चुने, जिन्‍हें सही मायने में राष्‍ट्र-निर्माता कह सकते हैं. उन्‍होंने महात्‍मा गांधी, सरदार वल्‍लभभाई पटेल और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का नाम लिया.

एक के नेतृत्‍व में देश ने आजादी की लड़ाई लड़ी, एक ने देसी रियासतों का विलय कर राष्‍ट्र का एकीकरण किया और एक ने संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई.

अपने भाषण में कोविंद ने दीनदयाल उपाध्‍याय के योगदान का भी जिक्र करते हुए कहा कि देश को उनके बताए रास्‍ते पर चलना है.

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5. केवल राजनीतिक ही नहीं, आर्थिक-सामाजिक आजादी भी चाहिए

कोविंद ने इशारों में इस बात का जिक्र कर दिया कि सवा अरब देशवासियों को केवल राजनीतिक आजादी ही नहीं, बल्‍कि आर्थिक और सामाजिक आजादी भी चाहिए.

6. आर्थिक तरक्‍की जरूरी, पर नैतिक मूल्‍यों से समझौता नहीं

नए राष्‍ट्रपति ने बताया कि आजादी के 70 साल होने को आए हैं और देश की उपलब्‍ध‍ि शानदार है. उन्‍होंने याद दिलाया कि हमारे देश को दुनिया को आर्थिक नेतृत्‍व देने से साथ ही नैतिक आदर्श भी पेश करना चाहिए.

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रामनाथ कोविंद अच्‍छे वक्‍ता हैं. अपने संबोधन में उन्‍होंने समाज के किसी वर्ग को आंखों से ओझल नहीं होने दिया.
रामनाथ कोविंद के साथ प्रणब मुखर्जी
(फोटो: PTI)
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7. विविधता हमारी खूब, एकता कामयाबी का मूलमंत्र

रामनाथ कोविंद ने याद दिलाया कि देश में अलग-अलग राज्‍य, क्षेत्र, पंथ, भाषाएं और जीवन-शैलियां हैं. उन्‍होंने जोर देकर कहा कि ये विविधता ही दुनिया में हमें अद्वितीय बनाती है.

नए राष्‍ट्रपति ने कहा कि सवा सौ करोड़ देशवासी किसी मायने में एक-दूसरे से भले ही अलग हो सकते हैं, पर एकता के सूत्र में बंधे हैं, एकजुट हैं.

8. परंपराओं का सम्‍मान, औद्योगिक विकास पर ध्‍यान

राष्‍ट्रपति ने देश की गौरवशाली परंपराओं की याद दिलाते हुए कहा कि हम पुरातन मूल्‍यों का सम्‍मान करते हुए विकास की राह तलाशें. उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि जीवन मूल्‍यों से समझौता किए बिना भारत दुनिया में चौथी औद्योगिक क्रांति को विस्‍तार देने में समर्थ हो सकेगा.

कोविंद ने साफ किया इन बातों में कहीं कोई विरोधाभास नहीं है. उन्‍होंने कहा कि परंपरा, प्रौद्योगिकी, प्राचीन भारत के ज्ञान, समकालीन भारत के विज्ञान को साथ लेकर चलना है.

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9. ग्राम पंचायत और डिजिटल राष्‍ट्र

रामनाथ कोविंद ने अपने बेहद छोटे-से भाषण में ग्राम पंचायतों का जिक्र किया, साथ-साथ इसी क्रम में डिजिटल राष्‍ट्र की भी बात कही.

एक ओर उन्‍होंने ग्राम पंचायतों का जिक्र कर सत्ता के विकेंद्रीकरण और आज के भारत में गांवों और ग्राम पंचायतों की अहमियत की याद दिलाई. दूसरी ओर उन्‍होंने डिजिटल राष्‍ट्र का जिक्र कर विकास की ओर बढ़ते देश की सुनहरी तस्‍वीर दिखाई.

गौर करने वाली बात यह है कि उन्‍होंने सरकारी टर्म ‘डिजिटल इंडिया’ कहने से बचते हुए ‘डिजिटल राष्‍ट्र’ शब्‍द का चुनाव किया.
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10. कम बोलते हैं, पर अच्‍छा बोलते हैं

रामनाथ कोविंद के बारे में कहा जाता है कि वे नपा-तुला बोलते हैं और अच्‍छे वक्‍ता हैं. संसद के सेंट्रल हॉल में उनके इस भाषण को सुनकर अब किसी को इस बात में शक नहीं रह जाना चाहिए.

कोविंद ने देश की विविधता की झांकी पेश करते हुए उसे एक सूत्र में पिरोने और विज्ञान की ताकत के दम पर देश को आगे ले जाने का सपना दिखाया. बड़ी बात यह है कि संबोधन में उन्‍होंने समाज के किसी वर्ग को अपनी आंखों से ओझल नहीं होने दिया.

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