आम लोगों के लिए अब हफ्ते में 4 दिन खुलेगा राष्ट्रपति भवन. अधिकारिक बयान के मुताबिक, "गुरुवार से यहां प्रवेश के लिए आगंतुकों को 50 रुपये देने होंगे जिसमें 8 साल से कम उम्र के बच्चों को छूट दी गई है. गैजेटेड छुट्टियों को छोड़कर ये गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे के बीच लोगों के लिए खुला रहेगा."
क्या है नियम?
दर्शक राजपथ पर गेट नंबर 2 से, हुकमी माई मार्ग नंबर 37 से और चर्च रोड में गेट नंबर 38 से प्रवेश कर सकेंगे और बाहर जा सकेंगे. इसके लिए टिकट की बुकिंग ऑनलाइन हो सकेगी. बयान के मुताबिक, यहां एंट्री लेते समय भारतीय नागरिक को एक वैध फोटो आईडी लाना जरूरी है. विदेशी नागरिकों को ओरिजनल पासपोर्ट लाना जरूरी है.
नियमों और कानूनों के बीच यहां देखिए राष्ट्रपति भवन की भव्यता:
1911 में जब अंग्रेजों ने कोलकाता की जगह दिल्ली को राजधानी बनाने का फैसला किया, तो वो एक ऐसी इमारत बनाना चाहते थे, जो आने वाले कई सालों तक एक मिसाल बने. रायसीना हिल्स पर वायसराय के लिए एक शानदार इमारत बनाने का फैसला किया गया. इस इमारत का नक्शा बनाया एडविन लुटियंस ने. लुटियंस ने हर्बट बेकर को 14 जून, 1912 को इस आलीशान इमारत का नक्शा बनाकर भेजा.
राष्ट्रपति भवन यानी उस समय के वायसराय हाउस को बनाने के लिए 1911 से 1916 के बीच रायसीना और मालचा गांवों के 300 लोगों की करीब 4 हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया. लुटियंस की यही तमन्ना थी कि ये इमारत दुनिया भर में मशहूर हो और भारत में अंग्रेजी राज्य का गौरव बढ़ाए.
17 साल में बना राष्ट्रपति भवन
इस इमारत को कुछ इस तरह से बनाने का फैसला किया गया कि दूर से ही पहाड़ी पर ये महल की तरह नजर आए. राष्ट्रपति भवन को बनने में 17 साल लग गए. 1912 में शुरू हुआ निर्माण का काम 1929 में खत्म हुआ. इमारत बनाने में करीब 70 करोड़ ईंटों और 30 लाख पत्थरों का इस्तेमाल किया गया.
उस वक्त इसके निर्माण में 1 करोड़ 40 लाख रुपये खर्च हुए थे. राष्ट्रपति भवन में प्राचीन भारतीय शैली, मुगल शैली और पश्चिमी शैली की झलक देखने को मिलती है. राष्ट्रपति भवन का गुंबद इस तरह से बनाया गया कि ये दूर से ही नजर आता है.
भवन में 340 शानदार कमरे
चार मंजिला राष्ट्रपति भवन में करीब 340 कमरे बनाए गए हैं. राष्ट्रपति भवन के स्तंभों पर उकेरी गई घंटियां, जैन और बौद्ध मंदिरों की घंटियों की तरह है. राष्ट्रपति भवन में बने चक्र, छज्जे, छतरियां और जालियां भारतीय स्थापत्य कला की याद दिलाते हैं.
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