केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लीगल एक्टिविस्ट की ओर से उन जजों के खिलाफ ‘आपत्तिजनक टिप्पणियां’ किए जाने पर सख्त ऐतराज जताया है जो उनकी याचिकाओं पर अनुकूल आदेश जारी नहीं करते. प्रसाद ने शनिवार को इसे परेशान करने वाला एक नया ट्रेंड बताया.
प्रसाद भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे द्वारा पटना हाई कोर्ट की नई बिल्डिंग के उद्घाटन के मौके पर एक समारोह को संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद थे.
प्रसाद ने जनहित याचिकाएं दायर करने वालों के अनुकूल फैसला न आने पर उनकी ओर से जजों के खिलाफ सोशल मीडिया पर ‘‘घोर अनुचित’’ टिप्पणियों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हम निश्चित रूप से एक फैसले के तर्क की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन मैं एक नया ट्रेंड देख रहा हूं जिस पर मैं आज बात करने की जरूरत समझता हूं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी चिंताओं को सार्वजनिक करने की सोच रहा था. मैंने यहां ऐसा करने के बारे में फैसला किया.’’
प्रसाद ने यह भी कहा कि सरकार एससी, एसटी और ओबीसी को उचित आरक्षण देने की इच्छा रखती है, जो न्यायपालिका को ज्यादा समावेशी बनाएगी.
सोशल मीडिया से जुड़े दिशानिर्देशों पर क्या बोले रविशंकर
प्रसाद ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए हाल ही में जारी किए गए दिशानिर्देशों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘‘हम स्वतंत्रता के समर्थक हैं. हम आलोचना के समर्थक हैं. हम असहमति के भी समर्थक हैं. लेकिन, मुद्दा सोशल मीडिया के दुरुपयोग का है. सोशल मीडिया पर किसी के लिए भी शिकायत निवारण तंत्र होना चाहिए.’’
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