ADVERTISEMENTREMOVE AD

रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड: रवीश कुमार का ट्रोल्स को जवाब- मैं आ गया हूं

पत्रकार रवीश कुमार को रेमन मेग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित किया गया

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

'नमस्कार भारत चांद पर पहुंचने वाला है, गौरव के इस पल में मेरी नजर चांद पर भी है और जमीन पर भी, जहां चांद से भी ज्यादा गड्ढे हैं. दुनियाभर में सूरज की आग से जलते लोकतंत्र को चांद की ठंडक चाहिए...' भारतीय पत्रकार रवीश कुमार ने एशिया का नोबेल कहे जाने वाले रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड लेने से पहले अपने भाषण की शुरुआत कुछ इसी तरह से की.

रवीश ने फिलीपींस के मनीला पहुंचकर ये अवॉर्ड लिया. इससे पहले पिछले महीने उन्हें रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित करने की घोषणा हुई थी. इस प्रतिष्ठित सम्मान को पाने वाले रवीश पहले हिंदी मीडिया के पत्रकार हैं. रवीश कुमार को हिंदी टीवी पत्रकारिता में उनके योगदान और काम के लिए ये अवॉर्ड मिला है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

रवीश कुमार ने मनीला पहुंचकर अवॉर्ड लेने से पहले एक लंबा भाषण दिया. जिसमें उन्होंने कहा कि सिर्फ मैं यहां नहीं आया हूं, मेरे साथ पूरी हिंदी पत्रकारिता आई है, जिसकी हालत इन दिनों बेहद शर्मनाक है. गणेश शंकर विद्यार्थी और पीर मुनिस मोहम्मद के साहस वाली पत्रकारिता आज डरी हुई है.

रवीश कुमार ने अपने भाषण में सही सूचनाओं का मतलब बताया. उन्होंने कहा, सूचना जितनी पवित्र होगी, नागरिकों के बीच भरोसा उतना ही गहरा होगा. देश सही सूचनाओं से बनता है. फेक न्यूज, प्रोपेगेंडा और झूठे इतिहास से हमेशा भीड़ बनती है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मैं आ गया हूं...

रवीश कुमार ने ट्रोल्स को अपने अंदाज में जवाब देते हुए कहा कि आपका इस हॉल में भी स्वागत है- मैं आ गया हूं. उन्होंने मेग्सेसे अवॉर्ड के लिए आने वाले फोन कॉल का जिक्र करते हुए कहा,

“मैं प्राइम टाइम की तैयारी में डूबा हुआ था, तभी एक कॉल आया जिसकी कॉलर आईडी में फिलीपींस लिखा हुआ था. मुझे लगा किसी ट्रोल का फोन आया है, क्योंकि यहां से कई ट्रोल्स ने मुझे कॉल किया है. अगर वो लोग वाकई में यहां रहते हैं तो वो लोग इस हॉल में भी आ सकते हैं- मैं यहां आ गया हूं.”
ADVERTISEMENTREMOVE AD

बढ़ रही है सत्ता की निगरानी

रवीश कुमार ने जिम्मेदार नागरिक होने का मतलब समझाते हुए कहा, यह समय नागरिक होने का इम्तिहान है. नागरिकता को फिर समझने का समय है. इस समय में नागरिकता पर चौतरफा हमला हो रहा है और सत्ता की निगरानी-नियंत्रण बढ़ती जा रही है. जो एक व्यक्ति के तौर पर और एक समूह के तौर पर इस हमले से खुद को बचा लेगा और इस लड़ाई में मांज लेगा, वही नागरिक भविष्य को बेहतर समाज और सरकार की बुनियाद रखेगा.

‘नफरत के माहौल और सूचनाओं के सूखे में कोई है, जो इस रेगिस्तान में कैक्टस के फूल की तरह खिला हुआ है. रेत में खड़े पेड़ कभी यह नहीं सोचते कि उसके यहां होने का क्या मतलब है, वह दूसरों के लिए खड़ा होता है, ताकि दूर से दिख जाए कि यहां भी हरियाली होती है. जहां कहीं भी लोकतंत्र हरे मैदान से रेगिस्तान में सबवर्ट किया जा रहा है, वहां आज नागरिक होने और सूचना पर उसके अधिकारी होने की लड़ाई थोड़ी मुश्किल जरूर हो गई है. मगर असंभव नहीं है.’
रवीश कुमार
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मीडिया पर सत्ता का कंट्रोल

रवीश कुमार ने मीडिया की मौजूदा हालात पर भी सवाल उठाए और कहा कि मीडिया फिलहाल बिजनेस और सत्ता के कंट्रोल में है. उन्होंने कहा, 'मीडिया अब सर्विलांस स्टेट का पार्ट है, जो निगरानी करता है. प्राइवेट और सरकार मीडिया का अंतर पूरी तरह से मिट गया है. इसका काम किसी की राय को फैलाना नहीं है, बल्कि उसे कंट्रोल करना है. ऐसा दुनिया के कई देशों में हो रहा है.’

मीडिया की भाषा में दो तरह के नागरिक हो गए हैं. एक नेशनल और एंटी नेशनल. एंटी नेशनल वो है जो सवाल करता है और असहमति रखता है. असहमति लोकतंत्र और नागरिकता की आत्मा है. उस आत्मा पर रोज हमला होता है. जब नागरिकता ख़तरे में हो या उसका मतलब ही बदल दिया जाए, तब उस नागरिक की पत्रकारिता कैसी होगी. नागरिक तो दोनों हैं. जो खुद को नेशनल कहता है, और जो एन्टी-नेशनल कहा जा रहा है वो भी नागरिक है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

रवीश कुमार ने कश्मीर में मौजूदा हालात पर कहा, ‘कश्मीर में कई दिनों के लिए सूचनातंत्र को ही बंद कर दिया गया. एक करोड़ की आबादी को सरकार ने सूचना तंत्र से अलग कर दिया. इंटरनेट बंद कर दिया गया.’ उन्होंने कहा,

‘सरकार के अधिकारी प्रेस का काम करने लगे और प्रेस के लोग सरकार का काम करने लगे. क्या आप बगैर कम्युनिकेशन और इन्फॉर्मेशन के सिटिजन की कल्पना कर सकते हैं? वो बेचैनियां क्या होती होंगी. क्या होगा जब मीडिया, जिसका काम सूचनाएं जुटाना है. वही मीडिया उसका समर्थन करने लगे कि जो हो रहा है वो सही हो रहा है.’
ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के रवैये पर सवाल

रवीश कुमार ने कश्मीर पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के रवैये पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, ‘जब 'कश्मीर टाइम्स' की अनुराधा भसीन सुप्रीम कोर्ट जाती हैं, तो उनके पीछे प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया भी कोर्ट चला जाता है. यह कहने कि कश्मीर घाटी में मीडिया पर लगे बैन का वह समर्थन करता है. मेरी राय में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और पाकिस्तान के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी का दफ्तर एक ही बिल्डिंग में होना चाहिए. दोनों देशों के नागरिकों को सोचना चाहिए, लोकतंत्र एक सीरियस बिजनेस है. प्रोपेगंडा के जरिये क्या वह एक दूसरे में भरोसा पैदा कर पाएंगे? होली नहीं है कि इधर से गुब्बारा मारा, तो उधर से गुब्बारा मार दिया.’

ADVERTISEMENTREMOVE AD

रवीश कुमार सहित कुल चार लोगों को रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड दिया गया है. रवीश के अलावा म्यांमार के को सी विन, थाइलैंड की अंगहाना नीलपाइजित, फिलिपींस के रमेंड और दक्षिण कोरिया के किम जोंग को रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड दिया गया है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×