रिजर्व बैंक और सरकार में कई दिनों से जारी तनातनी के बीच सोमवार को RBI के डायरेक्टर बोर्ड की मैराथन बैठक हुई. करीब 9 घंटे चली इस बैठक में फैसला लिया गया है कि सरकार को आरबीआई रिजर्व से पैसे देने पर रिव्यू के लिए कमेटी बनेगी और बाजार में लिक्विडिटी यानी पैसे का फ्लो बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाएंगे.
इस मामले में अबतक क्या-क्या हुआ?
- रिजर्व बैंक और सरकार के बीच तकरार की खबरें नवंबर में आनी शुरू हुईं
- ऐसा कहा जा रहा था कि अगर मोदी सरकार आरबीआई एक्ट के सेक्शन 7 को लागू कर सकती है
- कयास थे कि अगर सेक्शन 7 लागू होता है तो आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं
- 19 नवंबर को रिजर्व बैंक की बोर्ड मीटिंग हुई, अगली मीटिंग 14 दिसंबर को होगी
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MSME को कर्ज देने के नियमों पर भी हुई बातचीत
बताया जा रहा है कि इस बैठक में कई मुद्दों जैसे केंद्रीय बैंक को कितनी पूंजी की जरूरत है, MSME को कर्ज देने और कमजोर बैंको के नियमों पर बातचीत हुई. लगभग नौ घंटे तक चली बैठक के बारे में हालांकि, आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है. बोर्ड ने रिजर्व बैंक को MSME के लिए 25 करोड़ रुपये के लोन का भी सुझाव दिया.
14 दिसंबर को होगी अगली मीटिंग
बोर्ड की अगली मीटिंग 14 दिसंबर को होगी. फिलहाल, एक कमेटी बनाई जाएगी जो ये रिव्यू करेगी कि RBI के सरप्लस को सरकार को कैसे दिया जा सके.
9 घंटे में खत्म हुई मीटिंग
रिजर्व बैंक की बोर्ड मीटिंग करीब 9 घंटे चली. इसमें खास तौर पर RBI के रिजर्व से सरकार को पैसे देने और लिक्विडिटी बढ़ाने पर चर्चा हुई
स्वदेशी जागरण मंच का कड़ा रुख
उधर मीटिंग चल रही है, इधर आरएसएस से जुड़ी संस्था स्वदेशी जागरण मंच के अश्विनी महाजन का कहना है कि रिजर्व बैंक गवर्नर अगर सरकार के साथ तालमेल बिठाकर काम नहीं कर सकते तो उन्हें पद से हट जाना चाहिए.