भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने लगातार सातवीं बार रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. RBI गवर्नर शशिकांत दास ने 5 अप्रैल को इसकी जानकारी दी. रेपो वह दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक अल्पावधि के लिए बैंकों को पैसा उधार देता है.
रेपो रेट पर क्या बोले RBI गवर्नर?
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि एमपीसी की खाद्य मुद्रास्फीति पर नजर रखेगी. छह सदस्यीय दर-निर्धारण पैनल ने 5:1 के बहुमत से ब्याज दरों को बरकरार रखने का समर्थन किया.
GDP ग्रोथ पर क्या बोले RBI गवर्नर?
आरबीआई गवर्नर ने घोषणा की कि वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी वृद्धि पूर्वानुमान में कोई बदलाव नहीं होगा. केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए GDP 7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है.
"महंगाई का हाथी वापस जंगल की ओर गया"
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा "पहले महंगाई हाथी जैसा विशाल लग रहा था, लेकिन अब यह हाथी वापस जंगल की ओर चला गया है " उन्होंने कहा कि यानी महंगाई दर वापस कम होने लगी है.
वित्त वर्ष 2025 में महंगाई दर के 4.5% पर रहने का अनुमान
मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी ने वित्त वर्ष 2025 में महंगाई दर के 4.5% पर रहने का अनुमान लगाया है. मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी ने कहा कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित महंगाई दर के पहली तिमाही में 4.9 फीसदी रहने, दूसरी तिमाही में 3.8 फीसदी रहने, तीसरी तिमाही में 4.6 फीसदी रहने और चौती तिमाही में 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है.
रेपो रेट समान रहने से लोन पर होम लेनेवालों के लिए अच्छी खबर है. यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि लोन पर घर खरीदने वालों की मासिक किश्त (ईएमआई) स्थिर रहेगी. यह संभावित घर खरीदारों के लिए सामर्थ्य बढ़ाता है. पिछले वर्ष के दौरान शीर्ष सात शहरों में आवास की कीमतें बढ़ने के साथ, अपरिवर्तित होम लोन दरें घर खरीदारों को कुछ राहत प्रदान करती हैं. ऐसा अनुमान है कि इससे होम लोन की ब्याज दरों में कमी आएगी, सामर्थ्य बढ़ेगी और बिक्री में अपेक्षित वृद्धि के साथ बाजार में तेजी आएगी.
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में Bankbazaar.com के सीईओ, आदिल शेट्टी ने कहा, “होम लोन की ब्याज दरें कम होने से संभावित घर खरीदारों के बीच आशावाद का माहौल बनता है, जिससे घर के स्वामित्व की तलाश करने वालों में आत्मविश्वास और उत्साह पैदा होता है. कम ब्याज दर होने से लोन पर घर लेनेवाले खरीदार आसानी से मासिक भुगतान कर सकते हैं. यानी उनपर बोझ नहीं पड़ता है. इससे आवासीय संपत्तियों में निवेश करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए सामर्थ्य बढ़ जाती है. यह मौजूदा घर मालिकों को अपने गृह ऋण को अपग्रेड करने या चुकाने पर विचार करने के लिए भी प्रोत्साहित करती है.
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