"रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल सरकार के साथ काम करें या फिर इस्तीफा दे दें." ये अटपटा बयान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल को लेकर दिया है. स्वदेशी जागरण मंच का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब सरकार और आरबीआई के बीच कई मुद्दों पर तनाव बढ़ रहा है.
मंच के सह-संयोजक अश्निनी महाजन ने कहा,
आरबीआई के गवर्नर को सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिये वरना वह इस्तीफा दे सकते हैं. केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर के साथ-साथ दूसरे अधिकारियों को सरकार के साथ किसी भी तरह की असहमति होने पर सार्वजनिक तौर पर बोलने से बचना चाहिये.
महाजन ने कहा अगर सरकार के साथ असहमति है तो उसे सार्वजनिक तौर पर नहीं बल्कि बैंक के निदेशक मंडल में उठाना चाहिये.
डिप्टी गवर्नर के बयान के बाद शुरू हुआ बवाल
दरअसल, आरबीआई और सरकार बीच की तल्खियों की खबर तब सामने आई जब आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने केंद्रीय बैंकों और स्वायत्त संस्थानों की स्वायत्ता को लेकर सरकार को चेताया था. विरल आचार्य ने कहा था कि जो सरकारें केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता का सम्मान नहीं करती हैं उन्हें वित्तीय बाजार की नाराजगी सहनी पड़ती है.
RBI से विवाद पर वित्त मंत्रालय का बयान, RBI की ऑटोनॉमी का सम्मान
सरकार और आरबीआई के इस खींचतान के बीच खबर आई कि आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं. जिसके बाद वित्त मंत्रालय की ओर से बयान जारी किया गया. सरकार ने कहा है कि RBI एक्ट के दायरे में रिजर्व बैंक को ऑटोनॉमी मिली है, जोकि जरूरी है और ये सबको मंजूर है.
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि भारत की तमाम सरकारें इस ऑटोनॉमी का सम्मान करती रही हैं. सरकार और रिजर्व बैंक दोनों जनहित और भारतीय इकनॉमी के हित के मुताबिक काम करती हैं. सरकार और रिजर्व बैंक के बीच समय-समय पर तमाम मुद्दों पर व्यापक चर्चा होती रहती है.
बयान में कहा गया है, ‘दूसरे सभी रेगुलेटर के मामलों में भी यही प्रक्रिया है. भारत सरकार ने इन चर्चाओं को कभी भी सार्वजनिक नहीं किया. सिर्फ अंतिम फैसले की जानकारी ही सार्वजनिक की जाती है. सरकार चर्चा के दौरान सामने आए मुद्दों के आकलन के आधार पर सुझाव देती है और सरकार यह प्रक्रिया जारी रखेगी.
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