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बजाज ने की आलोचना तो वित्त मंत्री बोलीं - देश का नुकसान हो सकता है

राहुल बजाज के बयान पर उनके बेटे की भी प्रतिक्रिया सामने आई है

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इन दिनों बजाज ग्रुप के चेयरमैन राहुल बजाज काफी चर्चा में हैं. इसकी वजह है, मुंबई में एक अवॉर्ड कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सामने की गई उनकी टिप्पणी. इस कार्यक्रम को द इकनॉमिक टाइम्स ने आयोजित किया था, जिसमें शाह के अलावा केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल भी मौजूद थे.

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कार्यक्रम में राहुल बजाज ने केंद्रीय मंत्रियों के सामने कहा था, ‘’आप (सरकार) अच्छा काम कर रहे हैं, उसके बाद भी हम खुले तौर पर आपकी आलोचना करें, हमें भरोसा नहीं है कि आप उसका स्वागत करोगे.’’

जहां एक तरफ सरकार के कई मंत्रियों और बीजेपी आईटी सेल ने बजाज के बयान के खिलाफ प्रतिक्रिया दी है, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष से लेकर कारोबारियों तक ने बजाज के बयान का समर्थन किया है.

बजाज के समर्थन में आए ये लोग

कांग्रेस नेता मिलिंद देवरा ने कहा, ''मैंने हमेशा से राहुल बजाज को अराजनीतिक, प्रचंड राष्ट्रवादी और बेहद ईमानदार शख्स के तौर पर जाना है. कल उनके बयान वैसे ही थे, जैसा मुझे MSME, बैंकर और उद्योगपति बता रहे हैं. अगर कारोबारी भावनाओं में जल्द सुधार नहीं हुआ तो भविष्य में और बुरे नतीजे सामने आ सकते हैं.’’

पत्रकार तवलीन सिंह ने कहा, '' मोदी सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों को राहुल बजाज के खिलाफ आक्रामक रूप से जवाब देने की जरूरत पड़ी, इससे पता चलता है कि उन्होंने (बजाज ने) क्या कहा था. प्राइवेट सेक्टर बुरी स्थिति से जूझ रहा है, लेकिन ज्यादातर कारोबारी इसे कहने में डर रहे हैं.''

कांग्रेस नेता सलमान सोज ने इस मामले पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की प्रतिक्रिया वाली एक न्यूज रिपोर्ट शेयर करते हुए ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, ''राहुल बजाज की आलोचना राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचा सकती है: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. केवल असुरक्षित, असक्षम और असहिष्णु सरकार ही इतना नीचे गिरेगी कि वो सरकार की आलोचना को राष्ट्रीय हितों के खिलाफ बताए.''

बायकॉन की चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर किरण मजूमदार शॉ ने कहा, ''उम्मीद है कि कंजंप्शन और ग्रोथ में फिर से जान डालने के लिए सरकार देश के कॉर्पोरेट सेक्टर तक पहुंचेगी. अब तक हम सभी अछूत हैं और सरकार अर्थव्यवस्था की कोई भी आलोचना सुनना नहीं चाहती.''

बजाज के बयान के खिलाफ आईं ये प्रतिक्रियाएं

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मामले का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ''राहुल बजाज ने जो मुद्दे उठाए, उन पर किस तरह ध्यान दिया गया, गृह मंत्री अमित शाह ने इसका जवाब दिया. सवालों/आलोचनाओं को सुना जाता है और उन पर जवाब/ध्यान दिया जाता है. अपनी उस निजी धारणा, जिसे बढ़ावा मिलने से राष्ट्रीय हितों को नुकसान हो सकता है, उसे फैलाने की बजाए उस पर जवाब मांगना बेहतर तरीका होता है.''

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इस मामले पर लिखा, ''देखिए गृह मंत्री अमित शाह ने बजाज के उस दावे पर प्रतिक्रिया दी कि लोग अपनी बातों को जाहिर करने में डरते हैं. (उन्होंने कहा) ''आपका सवाल सुनने के बाद मुझे संदेह है कि कोई भी इस दावे पर भरोसा करेगा कि लोग डरे हुए हैं.''

केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी की आईटी सेल के इंचार्ज अमित मालवीय ने इस मामले पर कहा, ''गृह मंत्री अमित शाह से पूछे गए राहुल बजाज के सवाल को अब सत्ता से सच बोलने के तौर पर देखा जा रहा है, इस (सवाल) पर बराबर विस्तृत प्रतिक्रिया भी दी गई. अगर कोई अपनी बात कह सकता है, तो डर कहां है?''

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बजाज के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''दुनिया में ऐसी सोसाइटीज हैं, जो डर के जरिए शासित की जाती हैं. मगर एक ऐसी सोसाइटी जहां नागरिक झूठी धारणाएं बुन सकते हैं और सरकार की छवि खराब करने वाली बातें कर सकते हैं, उस सोसाइटी को डर के जरिए शासित सोसाइटी नहीं कहा जा सकता. ऐसी सोसाइटी को अनुसाशनहीन सोसाइटी कहा जा सकता है.''

इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''राहुल बजाज अमित शाह के सामने खड़े होकर आजादी से अपनी बातों को रख पाए. इससे साफ दिखता है कि भारत में अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतांत्रिक मूल्य जिंदा हैं.''

बेटे ने कहा- लोग दूर से ही बजाते हैं पिता की बातों पर तालियां

इस मामले पर राहुल बजाज के बेटे राजीव बजाज की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने इकनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा है, ''मुझे नहीं पता कि सार्वजनिक कार्यक्रम में ऐसे संवेदनशील मुद्दों को उठाना कितना सही है. मगर वह (राहुल बजाज) हमेशा इस बारे में निडर रहते हैं और लोग इसके लिए उन्हें पसंद करते हैं.

इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''मुझे याद है कि मैंने कहीं पढ़ा था 'बहादुरी यह जानते हुए भी कोई काम करना है कि इससे आपको नुकसान हो सकता है. बेवकूफी भी इसी तरह की बात है. और इसी से जीवन मुश्किल हो जाता है.' इसी वजह से कोई उनके साथ जुड़ता नहीं और लोग दूर से उनके लिए तालियां बजाते हैं.

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