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‘मेवात (नूहं) को नाम नहीं, काम की जरूरत’

खट्टर सरकार ने हरियाणा के 21वें और सबसे पिछड़े जिले मेवात (नूहं) से हटाया ‘मेवात’ शब्द.

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भारत
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हरियाणा सरकार ने ‘मेवात’ को एक भौगोलिक और सांस्कृतिक इकाई बताते हुए हरियाणा के 21वें और सबसे पिछड़े जिले मेवात (नूहं) से ‘मेवात’ शब्द निकाल दिया.

12 अप्रैल को हरियाणा कैबिनेट द्वारा किए गए इस बदलाव के बाद सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि मेवात एक भौगोलिक इकाई है, यह कोई शहर नहीं. वहीं मेवात जिले का मुख्यालय नूंह शहर में ही था, जिसके नाम पर जिले का नाम रखा गया है.

सरकार ने यह दावा भी किया कि इलाके के लोग मेवात का नाम बदल कर नूंह करने की मांग कर रहे थे.

नूहं जिले में मेव मुसलमान बहुसंख्यक हैं. यह एक जनजातीय समूह है, जो सदियों से इसी इलाके में बसा हुआ है और मेवात को अपनी पहचान मानता आया है. इस समुदाय के ज्यादातर लोग सरकार के इस फैसले को उनकी संस्कृति और इतिहास पर चोट करार दे रहे हैं.

‘द क्विंट’ ने इन लोगों से बात की और पाया कि इस इलाके को नाम से ज्यादा काम की जरूरत है. आर्थिक रूप से पिछड़ चुके इस इलाके में बुनियादी चीजों जैसे पानी, बिजली और यातायात का भारी आभाव है.

मेव समाज के अलावा नूहं जिले में अन्य 36 बिरादरियां भी हैं. हिंदू-मुस्लिमों के आपसी संबंध इस इलाके में अच्छे हैं और सभी लोग रोजगार को लेकर चितिंत नजर आते हैं. ऐसे में सिर्फ नाम में किया गया बदलाव, क्या कुछ काम कर पाएंगा इस इलाके के लिए? सभी के चेहरे पर यही सवाल है.

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