RSS मानहानि केस में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के वकील कपिल सिब्बल को जिस बड़े दांव की जरूरत रही होगी, वो गुरुवार सुबह उन्हें बड़ी आसानी से हासिल हुआ.
इसके उत्साह में राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने तुरंत एक ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, “नाथूराम गोडसे और वीर सावरकर के संबंधी सत्यकी सावरकर ने यह कबूल किया है कि ‘नाथूराम गोडसे को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने कभी भी संगठन से नहीं निकाला, न ही गोडसे ने कभी RSS को छोड़ा.’ तो क्या इस बयान के लिए संघ सत्यकी पर भी मानहानि का मुकदमा करेगा?”
2 साल से कांग्रेस को रहा होगा ऐसे किसी बयान का इंतजार...
नाथूराम गोडसे के पारिवारिक सदस्य मानते हैं कि महात्मा गांधी की हत्या के आरोपी गोडसे हमेशा RSS के निष्ठावान और कट्टर सदस्य रहे. उन्होंने कभी भी संघ का साथ नहीं छोड़ा. साथ ही RSS ने भी कभी गोडसे को निर्वासित नहीं किया.
दैनिक अखबार इकोनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में नाथूराम गोडसे और वीर सावरकर के संबंधी सत्यकी सावरकर ने वह बयान दिया, जिसका जिक्र गुरुवार को कपिल सिब्बल ने अपने ट्वीट में किया है. सत्यकी ने कहा,
नाथूराम ने साल 1932 में संघ जॉइन किया था. उन दिनों वो सांगली (महाराष्ट्र) में थे. वो मरते दम तक बौद्धिक कार्यवाहक रहे. उन्हें कभी संघ ने खारिज नहीं किया. यह बात अलग है कि संघ गांधी जी की हत्या का समर्थन नहीं करता. लेकिन तथ्यों को झुठलाते हुए वो यह नहीं कह सकता कि नाथूराम कभी संघ स्वयंसेवक नहीं रहे.
‘मुक्तिसंग्राम’ के सिपाही को संघ ने भुला दिया?
सत्यकी ने दावा किया कि नाथूराम साल 1938-39 में हुए ‘मुक्तिसंग्राम’ के दौरान संघ स्वयंसेवकों के साथ थे. वो उस समय हैदराबाद में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ लड़ रहे थे. उनके द्वारा उस दौर में लिखे गए लेख आज भी परिवार के पास मौजूद हैं.
सत्यकी सावरकर नाथूराम के भाई गोपाल गोडसे की बेटी हिमानी सावरकर के पुत्र हैं.
सत्यकी से मिलते-जुलते तथ्य साल 1994 में एक इंटरव्यू में गोपाल गोडसे ने भी दिए थे. उन्होंने कहा था कि तीनों गोडसे बंधु (नाथूराम, दत्तात्रेय और गोपाल) हमेशा संघ के सदस्य रहे.
संघ ने न सिर्फ नाथूराम गोडसे को भुला दिया है. बल्कि वो वीर सावरकर के ‘सशक्त हिंदू राष्ट्र’ के सपने को भी भूल चुका है.सत्यकी सावरकर
...संघ के हाथ से निकल गई ये बाजी?
RSS से जुड़े वकीलों के संगठन अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के कई वकीलों का मानना है कि मानहानि मामले में संघ ने पहले जो बाजी जीती थी, वह बाद में उसके हाथ से निकल गई.
गांधी जी की हत्या के मामले में राहुल गांधी के पीछे न हटने वाले बयान से राहुल गांधी को हीरो बनने का मौका मिला है.अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद (ABAP)
कांग्रेस का रुख हुआ आक्रामक
कांग्रेस ने इस मामले में अब पीछे न हटने का मन बना लिया है. इसका प्रत्यक्ष साक्ष्य है उनकी ऑफिशियल वेबसाइट से जुड़ा यह स्पेशल पेज, जिसमें आरआरएस को ही गांधी जी की हत्या का जिम्मेदार ठहराया गया है.
क्या है RSS मानहानि केस, 2014
- 2014 लोकसभा चुनाव में मुंबई के पास भिवंडी में राहुल गांधी ने बयान दिया था- ‘आरएसएस के लोगों ने महात्मा गांधी की हत्या की.’
- RSS के लोकल हेड राजेश कुंते ने इस बयान पर राहुल को कोर्ट में घसीटा.
- सुप्रीम कोर्ट में राहुल के वकील सिब्बल ने कहा- राहुल ने RSS को एक संगठन के तौर पर कभी दोषी नहीं ठहराया, बल्कि संगठन के एक सदस्य पर उन्होंने आरोप लगाए थे.
- एबीएपी ने मांग की- राहुल कहें कि वह यह नहीं मानते कि RSS गांधी जी की हत्या की जिम्मेदार है.
- कपिल सिब्बल ने दिया करारा जवाब- राहुल अपने शब्दों पर कायम रहेंगे और वो इस मामले में ट्रायल झेलने को तैयार हैं.
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