कई महीनों तक पूर्वी लद्दाख में तनावपूर्ण स्थिति में रहने के बाद भारत और चीन अब अपनी सीमा पर डिमिलिट्राइज इलाके स्थापित कर रहे हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट कहती है कि इस कदम से भारत की सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े कुछ सदस्य खुश नहीं हैं.
रिपोर्ट में इस मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों के हवाले से जानकारी दी गई है. नाम न बताने की शर्त पर इन दो अधिकारियों ने कहा कि ‘दोनों देशों के सैनिक पैंगोंग सो के उत्तरी तट पर 9 किलोमीटर के एक स्ट्रेच पर अभी के लिए पैट्रॉल नहीं करेंगे.’ चीन के साथ हुए समझौते का नतीजा ये होगा कि भारत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ऊंची जगहों से पीछे हटेगा. अधिकारियों का कहना है कि ‘भारत ने पीछे साल अगस्त में इन जगहों पर कब्जा किया था.’
पैंगोंग सो झील इलाके में भारत और चीन के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा था. पिछले साल जून में झील से 150 किमी दूर गलवान नदी के पास दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे और चीन ने 19 फरवरी को माना कि उसके भी चार जवान मारे गए थे.
'डिमिलिट्राइज इलाके बनाना चीन के लिए फायदेमंद'
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों का कहना है कि पीछे हटने से अभी के लिए तनाव कम हो सकता है लेकिन भारत की सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े कुछ लोग मानते हैं कि 'डिमिलिट्राइज इलाके बनाना चीन के लिए फायदेमंद हो सकता है.'
अधिकारियों ने कहा, "चीन ने संदेह तब बढ़ा दिया था जब उसने इन इलाकों में दोनों देशों के एक दिन छोड़कर पैट्रॉल करने के प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि ये चीन की संप्रभुता पर प्रभाव डालेगा."
रिपोर्ट कहती है कि भारत के रक्षा और सुरक्षा अधिकारियों ने पैंगोंग सो के आसपास के इलाके को लेकर सरकार से चिंता जताई थी, लेकिन सरकार ने तेजी से डिसएंगेजमेंट पर जोर दिया.
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सीमा पर डिमिलिट्राइज इलाकों का बनना 'मीडिया का बनाया हुआ मुद्दा' है. 26 फरवरी को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेंबिन ने कहा कि जमीन पर स्थिति डिसएंगेजमेंट के बाद से 'आराम से ठीक' हो गई है.
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