अमेरिकी लेखक डेल कार्नेगी, जिन्होंने पब्लिक स्पीकिंग पर किताब लिखी थी, ने एक बार कहा था: "आपके द्वारा वास्तव में दिए गए हर भाषण के लिए हमेशा तीन भाषण होते हैं. एक आपने अभ्यास किया, एक आपने दिया, और एक जिसे आप चाहते हैं कि आप देते."
लेकिन 2023 में, संभवतः भाषण का एक चौथा प्रकार भी है - एआई चैटबॉट द्वारा लिखा गया भाषण, खासतौर पर ChatGPT से लिखा हुआ भाषण.
पिछले साल नवंबर में लॉन्च होने के बाद से, चैटजीपीटी ने कुछ लोगों को निराश किया है तो कुछ लोगों को चकित करने में कामयाबी हासिल की है.
हालांकि, इसी दौरान हमारे दिमाग में भी एक बात आई कि जब भारत अपना 74वां गणतंत्र दिवस (Republic Day) मना रहा है तब अगर महात्मा गांधी, डॉक्टर बीआर अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू जैसे भारत को आकार देने वाले अहम लोग होते तो 26 जनवरी 2023 को भारतीयों को कैसे संबोधित करते? हमने चैटजीपीटी के सामने इन लोगों के भाषण तैयार करने का अनोखा प्रस्ताव रखा. और फिर हमें जो जवाब ChatGPT पर मिला वो आप आगे पढ़ेंगे.
दरअसल, ChatGPT का पूरा नाम होता है Generative Pre-trained Transformer है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में रिसर्च करने वाली एक कंपनी OpenAI ने बनाया है. ChatGPT आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है जो गूगल की तरह आपके सवालों का जवाब देता है. हालांकि गूगल से थोड़ा फर्क है. ये आपको सर्च करने पर गूगल की तरह कई लिंक नहीं दिखाता है बल्कि तुरंत जवाब देता है. जैसे कि Apple का सिरी या Alexa.
महात्मा गांधी
द क्विंट का सुझाव: 26 जनवरी 2023 को महात्मा गांधी के भाषण की कल्पना कीजिए.
यहां देखें चैटजीपीटी की पूरी प्रतिक्रिया:
मैं भारत के 74वें गणतंत्र दिवस पर महात्मा गांधी के सिद्धांतों और विश्वासों के आधार पर उनके भाषण की कल्पना कर सकता हूं. भाषण कुछ ऐसा होगा:
"मेरे प्यारे देशवासियो,
हमारे प्यारे भारत के इस 74वें गणतंत्र दिवस पर मैं भारी मन से आपके सामने खड़ा हूं. मैं एक ऐसे देश को देखता हूं जो बंटा हुआ है, एक ऐसा देश जहां नफरत और असहिष्णुता ने प्यार और करुणा की जगह ले ली है. मैं एक ऐसे देश को देखता हूं, जहां गरीब और गरीब होता जा रहा है और अमीर और अमीर होता जा रहा है. मैं एक ऐसे देश को देखता हूं जहां ताकतवर कमजोरों के अधिकारों को रौंदते हैं.
लेकिन मैं एक महान क्षमता वाला देश भी देखता हूं. विविध संस्कृतियों और धर्मों का राष्ट्र, जो हमारी मातृभूमि से प्रेम के लिए एकजुट है. एक ऐसा राष्ट्र जो दुनिया को अहिंसा और शांति के रास्ते पर ले जाने की ताकत रखता है. मेरे प्यारे दोस्तों, हमें याद रखना चाहिए कि सच्ची आजादी का मतलब केवल विदेशी शासन के हटाना नहीं है, बल्कि गरीबी, असमानता और अन्याय के जुए को हटाना भी है. हमें याद रखना चाहिए कि सच्ची स्वतंत्रता केवल मतदान करने और अपने मन की बात कहना नहीं है, बल्कि सम्मान के साथ जीने में भी है.
हमें याद रखना चाहिए कि सच्ची एकता सिर्फ समान भौगोलिक सीमाओं में एक साथ रहने के बारे में नहीं है, बल्कि प्रेम और करुणा की भावना से एक साथ रहने के बारे में भी है.
मेरे प्यारे दोस्तों, आइए हम एक ऐसे राष्ट्र के निर्माण के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लें जो असल में स्वतंत्र, और एकजुट हो. आइए हम एक ऐसे राष्ट्र के निर्माण के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लें जो वास्तव में न्यायपूर्ण, वास्तव में शांतिपूर्ण और वास्तव में समृद्ध हो.
आइए हम एक ऐसे राष्ट्र के निर्माण के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लें जो वास्तव में हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और हमारे संस्थापक पिताओं के सपनों के योग्य होय
जय हिन्द!"
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि यह एक काल्पनिक भाषण है जिसे मैंने महात्मा गांधी के सिद्धांतों और विश्वासों के आधार पर बनाया है, यह महात्मा गांधी के किसी वास्तविक भाषण या विचार का प्रतिनिधित्व नहीं करता है.
हमनें क्या पाया
शुरुआत में, महात्मा गांधी के रूप में ChatGPT का भाषण सामान्य लग सकता है और यह एक तरह से बहुत सी बातों को सही तरीके से कहता है. उदाहरण के लिए, भाषण में गांधी जी से जुड़े कीवर्ड अहिंसा और शांति का इस्तेमाल हुआ.
लेकिन आपने ChatGPT के द्वारा तैयार इस भाषण की गलती देखी? दरअसल, भाषण के आखिर में, एक पंक्ति है जिसमें लिखा है "हमारे संस्थापक पिता" (our founding father), ये ऐसा शब्द है जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी शायद नहीं कहेंगे.
जवाहरलाल नेहरू
द क्विंट का सुझाव: 26 जनवरी 2023 को जवाहरलाल नेहरू के भाषण की कल्पना कीजिए.
चैटजीपीटी का जवाब:
"मेरे प्यारे साथी भारतीयों,
आज जब हम अपने महान राष्ट्र के 74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर यहां एकत्रित हुए हैं, तो मैं उन सभी के लिए गर्व और कृतज्ञता से भर गया हूं, जिन्हें हमने मिलकर पूरा किया है. स्वतंत्रता के लिए हमारा संघर्ष लंबा और कठिन था, लेकिन हमारे लोगों के बलिदान और दृढ़ संकल्प के जरिए, हम एक ऐसे गणतंत्र के रूप में उभरे हैं जो दुनिया के लिए लोकतंत्र और बहुलवाद का एक चमकदार उदाहरण है.
लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यहां तक का हमारा सफर आसान नहीं रहा है. हमने कई चुनौतियों का सामना किया है और हम भविष्य में भी उनका सामना करते रहेंगे. लेकिन यह हमारे लोगों की ताकत और लचीलेपन के जरिए है कि हम इन चुनौतियों पर काबू पाने और आगे बढ़ना जारी रखने में सक्षम हैं.
जैसा कि हम इस मील के पत्थर का जश्न मनाते हैं, आइए हम उन लोगों के बलिदानों को याद करें जो हमसे पहले थे - स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया. आइए हम उन चुनौतियों को भी याद करें जिनका हम आज भी सामना कर रहे हैं, जैसे कि गरीबी, असमानता और भेदभाव. लेकिन हमें निराश नहीं होना चाहिए.
आइए हम इसके बजाय धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र और समाजवाद के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करें जिन्होंने हमें अब तक निर्देशित किया है. आइए हम एक ऐसे समाज के निर्माण के लिए मिलकर काम करें जो असल में समावेशी हो, जहां हर व्यक्ति को, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो, सम्मान और पूर्णता का जीवन जीने का अवसर मिले.
हमें एक ऐसे समाज के लिए कोशिश करते रहना चाहिए, जहां सभी के लिए समान अवसर हों और वे स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता का जीवन जी सकें. हमें गरीबी, भेदभाव और असमानता के खिलाफ लड़ाई जारी रखनी चाहिए. हमें एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण जारी रखना चाहिए जहां हर कोई सद्भाव और शांति से रह सके.
जैसा कि हम इस दिन को मनाते हैं, आइए हम याद रखें कि हमारा गणतंत्र केवल एक राजनीतिक व्यवस्था के बारे में नहीं है, यह लोगों, नागरिकों के बारे में है, जो इस देश की रीढ़ हैं. आइए हम एक आधुनिक और प्रगतिशील राष्ट्र के निर्माण के लिए प्रयास करते हैं, जो वास्तव में स्वतंत्र, वास्तव में न्यायपूर्ण और वास्तव में एकजुट हो.
जय हिंद!"
हमने ChatGPT के भाषण में क्या पाया
ऐसा लगता है कि नेहरू के भाषण का आर्टिफीशियल तरीके से तैयार किया गया भाषण उनके राजकीय कौशल को दर्शाता है, और इसमें भारत के बहुलवाद का एक संदर्भ है जिसे देश के पहले प्रधानमंत्री ने मनाया था. हालांकि दूसरी ओर, भाषण के कुछ अंश ऐसे थे जिसे कोई भी कह सकता था.
बीआर अंबेडकर
द क्विंट का सुझाव: 26 जनवरी 2023 को बीआर अंबेडकर के भाषण की कल्पना कीजिए.
चैटजीपीटी का जवाब:
"मेरे प्यारे साथी भारतीयों,
आज, 26 जनवरी, 2023 के इस दिन, हम भारत के गणतंत्र के 73 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं. सभी के लिए स्वतंत्रता, न्याय और समानता की नींव पर निर्मित एक गणतंत्र. एक गणतंत्र जो इस बात का एक चमकदार उदाहरण है कि जब लोग एक समान उद्देश्य के साथ एक साथ आते हैं तो क्या हासिल किया जा सकता है.
लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है. हमने कई चुनौतियों का सामना किया है और हम भविष्य में भी उनका सामना करते रहेंगे. लेकिन यह हमारे लोगों की ताकत और लचीलेपन के माध्यम से है कि हम इन चुनौतियों पर काबू पाने और आगे बढ़ना जारी रखने में सक्षम हैं.
जैसा कि हम इस मील के पत्थर का जश्न मनाते हैं, आइए हम उन लोगों के बलिदानों को याद करें जो हमसे पहले थे - स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया. आइए हम उन चुनौतियों को भी याद करें जिनका हम आज भी सामना कर रहे हैं, जैसे कि गरीबी, असमानता और भेदभाव. लेकिन हमें निराश नहीं होना चाहिए.
लेकिन हमें उपेक्षित समुदायों, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के संघर्षों को नहीं भूलना चाहिए जो अभी भी भेदभाव, सामाजिक और आर्थिक असमानता और अन्याय का सामना कर रहे हैं. आइए हम एक ऐसा समाज बनाने की दिशा में काम करने का संकल्प लें जो वास्तव में सभी के लिए न्याय और समानता के विचार का प्रतिनिधित्व करता हो.
भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार के रूप में, मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांत हमारे गणतंत्र की आधारशिला हैं. आइए हम एक ऐसा समाज बनाने की दिशा में काम करें जहां ये सिद्धांत सिर्फ कागज पर लिखे शब्द न हों बल्कि हर नागरिक के जीवन में सही मायने में परिलक्षित हों.
आइए हम एक ऐसे समाज के लिए कोशिश करते हैं जहां सभी को समान अवसर प्राप्त हों और वे स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता का जीवन जी सकें. आइए हम एक ऐसा समाज बनाने की दिशा में काम करें जहां हर कोई सद्भाव और शांति से रह सके.
आइए हम एक आधुनिक और प्रगतिशील राष्ट्र के निर्माण के लिए प्रयास करते रहें, जो वास्तव में स्वतंत्र, वास्तव में न्यायपूर्ण और वास्तव में एकजुट हो.
जय भीम"
ChatGPT के जरिए अंबेडकर के भाषण में हमने क्या देखा
अंबेडकर का भाषण, जैसा कि चैटजीपीटी द्वारा कल्पना की गई है, "हाशिए पर रहने वाले समुदायों, दलितों, आदिवासियों के संघर्ष ..." का सीधा संदर्भ देता है. एआई चैटबॉट द्वारा उठाई गई एक और सूक्ष्मता यह है कि अंबेडकर का भाषण 'जय भीम' के साथ समाप्त होता है, जबकि नेहरू और गांधी ने आखिर में 'जय हिंद' कहा. साथ ही नेहरू और अंबेडकर के भाषण के कई वाक्य भी एक जैसे थे.
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