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गणतंत्र दिवस परेड से केरल भी बाहर, मंत्री बोले- राजनीति से प्रेरित

परेड के लिए झांकी के 56 में से 22 प्रस्ताव चुने गए

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भारत
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गणतंत्र दिवस की परेड में बंगाल और महाराष्ट्र के बाद अब केरल की झांकी भी दिल्ली में नजर नहीं आएगी. केंद्र सरकार ने केरल की झांकी के प्रस्ताव को भी मंजूरी नहीं दी है.

केरल ने अपनी झांकी के लिए थेय्यम और कलामंडलम के पारंपरिक कला का प्रस्ताव रखा था. लेकिन केंद्र सरकार ने केरल की झांकी का प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया. इस पर केरल सरकार ने नाराजगी जाहिर करते हुए फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया है.

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केरल के कानून मंत्री एके बालन ने कहा, "गणतंत्र दिवस की परेड के लिए केरल की झांकी का प्रस्ताव स्वीकार न करने का फैसला राजनीति से प्रेरित है."

परेड के लिए झांकी के 56 में से 22 प्रस्ताव चुने गए

गणतंत्र दिवस परेड 2020 के लिए आए झांकियों के 56 प्रस्तावों में से 22 चुने गए हैं जिनमें राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के 16 और केंद्रीय मंत्रालयों के छह प्रस्ताव हैं. मंत्रालय को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से झांकियों के 32 और केंद्रीय विभागों से 24 प्रस्ताव मिले थे.

परेड के लिए झांकी के 56 में से 22 प्रस्ताव चुने गए
परेड के लिए झांकी के 56 में से 22 प्रस्ताव चुने गए
(फोटो: ANI)

केंद्र सरकार की ओर से जारी लिस्ट में दिल्ली, बिहार, हरियाणा की झांकी को भी मंजूरी नहीं दी गई है.

TMC, शिवसेना ने उठाए सवाल

26 जनवरी को राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में झांकियों के लिए पहले केंद्र सरकार से इजाजत लेनी होती है. केरल से पहले पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र की झांकियों के प्रस्ताव भी केंद्र सरकार ने रद्द किए थे. टीएमसी ने इसे बंगाल के लोगों का अपमान और शिवसेना ने इसे साजिश करार दिया है.

टीएमसी नेता मदन मित्रा ने कहा, "मोदी सरकार ने ऐसा करके बंगाल के लोगों का अपमान किया है. बंगाल में लगातार नागरिकता कानून का विरोध हुआ, इसलिए ऐसा किया गया."

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वहीं शिवसेना के फायरब्रांड नेता संजय राउत ने कहा, “महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की झांकी न दिखना कोई राजनीतिक साजिश है क्या? ज्यादातर बार महाराष्ट्र के रथ को पहला पुरुस्कार भी मिला. लेकिन इस बार महाराष्ट्र के रथ को इजाजत न देकर केंद्र सरकार क्या साबित करना चाहती है.”

संजय राउत के अलावा एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने भी केंद्र के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि कुछ राज्यों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है? सुप्रिया सुले ने ट्विटर पर लिखा, "ये देश का उत्सव होता है. ऐसे में देश के उत्सव में हर राज्य प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन इस बार महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के साथ भेदभाव क्यों किया गया."

क्या कहते हैं नियम?

26 जनवरी की झांकियों के प्रस्ताव के चयन के लिए केंद्र के अपने नियम हैं. उनके मुताबिक रक्षा मंत्रालय सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों से प्रस्ताव मांगता है. इन प्रस्तावों पर एक एक्सपर्ट कमेटी विचार करती है. कमेटी में कला, संस्कृति, पेंटिंग, मूर्ति कला, संगीत, आर्किटेक्चर और कोरियोग्राफी से जुड़ी हस्तियां होती हैं.

इन प्रस्तावों को झांकी में शामिल करने सिफारिश इनकी थीम, कॉन्सेप्ट, डिजाइन और विजुअल इम्पैक्ट के आधार पर की जाती है. मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि वक्त की कमी की वजह से सीमित संख्या में झांकियों के प्रस्ताव मंजूर किए गए.

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