नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की संवैधानिक वैधता पर गंभीर आपत्तियां जताई हैं. 106 रिटायर्ड नौकरशाहों ने सरकार को खत लिखा है. सभी नौकरशाहों ने इन कानून की वैधता पर सवाल उठाए हैं.
NPR, CAA की जरूरत नहीं
रिटायर्ड अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और एनआरआईसी की कोई जरूरत नहीं है. चिट्ठी में लिखा है,
पूर्व नौकरशाहों के हमारे समूह का यह मानना है कि एनपीआर और एनआरआईसी अनावश्यक और व्यर्थ की कवायद है, जिससे बड़े पैमाने पर लोगों को दिक्कतें होंगी. इससे सार्वजनिक खर्च बढ़ेगा और बेहतर होगा कि उसे गरीबों और समाज के वंचित वर्गों की लाभकारी योजनाओं पर खर्च किया जाए.
इन लोगों ने साथी नागरिकों से इस पर जोर देने का आग्रह किया है कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय पहचानपत्र से जुड़े नागरिकता कानून 1955 की प्रासंगिक धाराओं को निरस्त करें.
किन रिटायर्ड अधिकारियों ने लिखा है लेटर?
इनमें दिल्ली के पूर्व उप राज्यपाल नजीब जंग, तत्कालीन कैबिनेट सचिव के एम चंद्रशेखर और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला शामिल हैं.
चिट्ठी में लिखा है,
‘‘ऐसे समय जब देश की आर्थिक स्थिति पर देश की सरकार की ओर से गंभीर ध्यान दिये जाने की जरूरत है, भारत ऐसी स्थिति बर्दाश्त नहीं कर सकता जिसमें नागरिकों और सरकार के बीच सड़कों पर टकराव हो. ना ही ऐसी स्थिति वांछित है जिसमें बहुसंख्यक राज्य सरकारें एनपीआर या एनआरआईसी लागू करने को तैयार नहीं हैं जिससे केंद्र और राज्य के संबंधों में एक गतिरोध उत्पन्न हो’’
चिट्ठी में लोगों से सरकार से यह भी आग्रह करने के लिए कहा गया है कि वह विदेशी (न्यायाधिकरण) संशोधन आदेश, 2019 के साथ ही डिटेंशन कैंप निर्माण के सभी निर्देश वापस ले और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), 2019 को रद्द करे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)