केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को लेकर बड़ा फैसला लिया है. गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य से आर्टिकल 370 हटाने का फैसला किया, जिसे राष्ट्रपति से मंजूरी भी मिल गई है. इसके साथ ही शाह ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक और जम्मू-कश्मीर आरक्षण दूसरा संशोधन बिल भी पेश किया. इस फैसले और बिलों के कारण जम्मू-कश्मीर में कई बड़े बदलाव हो जाएंगे. यहां आपको समझाते हैं इन फैसलों और विधेयकों के मायने क्या हैं और इसका देश पर क्या असर पड़ेगा.
जम्मू-कश्मीर पर क्या हुआ- 4 फैसले
- आर्टिकल 370 हटाने का संकल्प, सिर्फ खंड एक लागू रहेगा (खंड 1 के तहत केंद्र, राज्य सरकार की सहमति से संविधान की व्यवस्थाएं जम्मू-कश्मीर में लागू करता है)
- जम्मू-कश्मीर के दो टुकडे़ होंगे
- लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा
- जम्मू-कश्मीर विधानसभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश होगा
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने का फैसला लिया है. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक लागू होने के बाद जम्मू कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश रहेगा, वहीं लद्दाख दूसरा केंद्र शासित प्रदेश होगा. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी.
सरकार ने ये कदम सीमा पार आतंकवाद के लगातार खतरे को देखते हुए उठाया है. लद्दाख के लोग लंबे समय से उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग कर रहे थे और यह फैसला स्थानीय जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए लिया गया है.अमित शाह, गृह मंत्री
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के मायने
- पहले जम्मू-कश्मीर में दोहरी नागरिकता होती थी, अब सारे भारत के नागरिक होंगे
- जम्मू-कश्मीर में धारा 356 लागू नहीं होती थी, अब धारा 356 लागू होगी
- पहले राज्यपाल शासन का अधिकार होता था, अब राष्ट्रपति शासन का अधिकार होगा
- राज्य में अल्पसंख्यकों को आरक्षण नहीं मिलता था, अब अल्पसंख्यकों को आरक्षण मिलेगा
सरकार के फैसले से जम्मू-कश्मीर में क्या बदलेगा?
- जम्मू-कश्मीर अब विशेष राज्य नहीं
- जम्मू-कश्मीर के लोगों की दोहरी नागरिकता खत्म
- जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा नहीं होगा
- आरटीआई और सीएजी जैसे कानून लागू होंगे
- बाहरी लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन संपत्ति खरीद पाएंगे
- राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान दंडनीय होगा
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