आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन ने हुर्रियत के खिलाफ अपने कमांडर जाकिर मूसा के बयान से आज खुद को अलग कर लिया. इसके बाद से आतंकी संगठन में फूट के संकेत मिलते दिख रहे हैं.
हिजबुल मुजाहिदीन के प्रवक्ता सलीम हाशमी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद से एक बयान में कहा-
मूसा के बयान से ‘संगठन’ का कोई लेना-देना नहीं है और न ही यह संगठन को स्वीकार्य है.
मूसा के ऑडियो बयान को ‘निजी' करार देते हुए हाशमी ने आगाह किया कि भ्रम पैदा करने वाला बयान सही नहीं है. ऐसे बयान ‘‘संघर्ष के लिए ताबूत में अंतिम कील साबित हो सकता है.''
बता दें कि आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर जाकिर मूसा ने हाल ही में एक ऑडियो जारी किया था. इस ऑडियो में मुसा ने हुर्रियत नेताओं को चेताते हुए कहा है कि वे उनकी 'इस्लाम के लिए जंग' में हस्तक्षेप न करें, अन्यथा उनका 'सिर काटकर लाल चौक पर टांग देंगे.'
आतंकी हाशमी ने कहा कि संगठन मूसा के बयान पर विचार कर रहा है और जारी संघर्ष के हित में ‘‘कोई कदम उठाने या बलिदान देने से नहीं हिचकिचाएगा.''
हाशमी ने कहा,
पूरे संगठन ने पिछले साल जुलाई में हिजबुल मुजाहिदीन के बुरहान वानी के मारे जाने के बाद सभी मोर्चों पर एकता दिखाई थी, और ‘आजादी और इस्लाम के लिए संघर्ष’ को आगे ले जाने के लिए काम कर रहे हैं.
बता दें कि हिजबुल मुजाहिदीन जम्मू कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने के लिए 1989 से आतंकी गतिविधियों में सक्रिय है.
पुलिस ने जताई चिंता
इससे पहले कश्मीर पुलिस के डीजी एसपी वैद ने कहा कि पुलिस ने आवाज का विश्लेषण कराया और पाया कि ऑडियो में आवाज मूसा की है. इस क्लिप को कश्मीर में जारी आतंकवाद में एक चिंताजनक मोड आने के रुप में देखा जा रहा है, जो अब तक इस्लाम या जिहाद की जगह व्यापक रुप से आजादी या राज्य को पाकिस्तान में मिलाने तक सीमित रहा है.
क्लिप ऐसे समय सामने आई है जब हुर्रियत नेताओं ने घाटी में आईएसआईएस की विचारधारा के प्रभाव को हाल में कमतर करना चाहा.
हाल ही में सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारुक और यासीन मलिक जैसे हुर्रियत नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि कश्मीर संघर्ष का आईएसआईएस, अलकायदा और ऐसे अन्य संगठनों से कोई लेना-देना नहीं है.
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