जहां एक तरफ लोकसभा आरक्षण बिल के मुद्दे पर गरम थी, वहीं एक दिलचस्प बिल भी लोकसभा में पेश किया गया. जिसके तहत प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए छुट्टी होने के बाद ऑफिस के किसी मेल या फिर कॉल का जवाब देना जरूरी नहीं होगा. एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में यह प्राइवेट मेंबर्स बिल पेश किया.
राइट टू डिस्कनेक्ट
इस दिलचस्प बिल के नाम से ही पता चलता है कि यह क्या काम करेगा. इसका नाम राइट टू डिस्कनेक्ट रखा गया है. इस बिल के तहत अगर आप ऑफिस से चले जाते हैं तो उसके बाद अपने बॉस के किसी भी कॉल का जवाब देने के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे. इसके अलावा अगर आपने ऑफिस से छुट्टी ली है तो आपके बॉस न तो आपको कॉल कर सकते हैं और न ही मेल पर कोई सवाल जवाब.
इस तरह का बिल कुछ देशों में लागू किए गए हैं. कुछ देश इसे लागू करने की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं. इस बिल के तहत अगर कोई कर्मचारी घर जाने के बाद ऑफिस से आने वाले कॉल को डिस्कनेक्ट कर देता है तो इस पर कंपनी कोई एक्शन नहीं ले सकती है.
काम से मिलेगी राहत
इस बिल को लोकसभा में पेश करने वालीं सुप्रिया सुले ने कहा कि इससे कंपनी अपने कर्मचारियों पर ज्यादा काम का बोझ नहीं डाल पाएंगी. कर्मचारियों को राहत मिलेगी. उन्होंने कहा कि इस बिल से कर्मचारियों में बढ़ रहे तनाव को रोका जा सकता है, साथ ही उनकी पर्सनल लाइफ में भी कोई दिक्कत नहीं आएगी. हालांकि इस बिल के पास होने की संभावनाएं काफी कम हैं.
कंपनियां करें कर्मचारियों से बात
इस बिल के तहत जिस कंपनी में 10 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं उन्हें एक चार्टर तैयार करना होगा. जिसमें कर्मचारियों से बात कर उनकी पसंद की बातें शामिल होंगी. कर्मचारियों के हित में जो भी बातें होंगी वो इससे हल हो सकती हैं.
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