ADVERTISEMENTREMOVE AD

चंद्रयान 2 को शानदार कामयाबी दिलाने वाली ये महिलाएं कौन हैं?

मिशन चंद्रयान-2 को सफल बनाने में इसरो की महिला वैज्ञानिकों का जबरदस्त योगदान रहा. जानिए कौन हैं ये महिला वैज्ञानिक

Updated
भारत
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

मिशन चंद्रयान-2 को सफल बनाने में इसरो की महिला वैज्ञानिकों का जबरदस्त योगदान रहा. मिशन को इसकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए न सिर्फ महिला वैज्ञानिकों के एक बड़े दल ने काम किया बल्कि इसकी कमान भी इसरो की दो महिला वैज्ञानिकों के हाथ में थी. जिन दो महिला वैज्ञानिकों ने इस मिशन का नेतृत्व किया है, उनमें से एक हैं मिशन डायरेक्टर रितु करिधाल और दूसरी प्रोजेक्ट डायरेक्टर एम वनिता.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लखनऊ की करिधाल पर थी चंद्रयान-2 के ऑटोनॉमी सिस्टम की जिम्मेदारी

भारत की रॉकेट वुमन के नाम से मशहूर रितु करिधाल इससे पहले मंगलयान की भी डिप्टी ऑपरेशन्स डायरेक्टर रह चुकी हैं. एयरोस्पेस इंजीनियर रितु पिछले 22 साल से इसरो से जुड़ी हैं. लखनऊ यूनिवर्सिटी की ग्रेजुएट और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से पढ़ाई कर चुकीं रितु ने मंगलयान से लेकर चंद्रयान-2 मिशन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई है. चंद्रयान मिशन की डायरेक्टर रितु ही हैं. करिधाल पर चंद्रयान-2 के ऑटोनॉमी सिस्टम को डिजाइन करने की जिम्मेदारी थी. यह चंद्रयान को इसके लांचिंग मूवमेंट में आगे बढ़ने में मदद करता है.

स्नैपशॉट

रितु करिधाल स्पेस मिशन हैंडल करने में बेहद प्रोफेशनल मानी जाती हैं. इससे पहले भी वह इसरो के कई मिशन में अहम भूमिका निभा चुकी हैं

लखनऊ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट, आईआईएस से हायर स्टडीज

लखनऊ के राजाजीपुरम में रहने वाली रितु बेहद सादगी पसंद

मंगलयान मिशन की डिप्टी डायरेक्टर रह चुकी हैं

चंद्रयान-मिशन-2 के ऑटोनॉमी सिस्टम को डिजाइन किया

0

हरफनमौला साइंटिस्ट हैं प्रोजेक्ट डायरेक्टर एम. वनिता

रितु करिधाल की तरह ही एम वनिता ने इस जटिल मिशन को सफलता तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया. वह मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं. एम वनिता इसरो में 32 साल काम कर चुकी हैं. वनिता चेन्नई से हैं. वह कहती हैं, ‘ इसरो में मैंने सबसे जूनियर इंजीनियर के तौर पर काम किया था. इसलिए मैंने लैब, टेस्टिंग कार्ट्स, हार्डवेयर, डिजाइन डेवलपमेंट विभाग समेत तमाम विभागों में काम किया.’

इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर वनिता ने देश के रिमोट सेंसिंग सेटेलाइटों के डेटा ऑपरेशन को भी संभाला है. जटिल मिशन में आने वाली दिक्कतों को दूर करने की वह एक्सपर्ट हैं. 
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वनिता कहती हैं, '' मुझे लोगों का माइंडसेट समझने में देर नहीं लगती. मैं लोगों से आसानी से घुलमिल जाती हूं. मैंने लोगों को साथ लेकर काम करना सीखा है. मैं यह भी समझती हूं कि किसी जटिल मिशन में किसी शख्स की भूमिका और जिम्मेदारी क्या-क्या हो सकती है.

स्नैपशॉट

एम वनिता का फैमिली बैकग्राउंड भी इंजीनियरों का है. शुरू में वह मिशन की जिम्मेदारी लेने में हिचकिचा रही थीं. लेकिन एक बार मिशन हाथ में लिया तो सफल बना कर छोड़ा. 

इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियरिंग में एक्सपर्ट

चेन्नई की रहने वाली वनिता इंजीनियरों के परिवार से

इसरो के लगभग हर विभाग में किया काम

टीम वर्क और जटिल मिशन के कामकाज में माहिर

रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट के डेटा सिस्टम की एक्सपर्ट

सिर्फ वनिता और करिधाल ही नहीं इनकी जैसी कई महिला वैज्ञानिकों ने इस मिशन की सफलता के लिए काम किया है. इसरो में 30 फीसदी वैज्ञानिक महिला हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×