क्या रोहिंग्या मुसलमानों को भारत से निकाल दिया जाएगा? क्या रोहिंग्या मुसलमानों को भारत छोड़ना होगा? इन सवालों का जवाब आज मिल सकता है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को भारत में रह रहे रोहिंग्या रिफ्यूजी की याचिका पर सुनवाई होनी है.
रोहिंग्या रिफ्यूजी ने केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें भारत से वापस उनके देश म्यांमार भेजने को कहा गया है.
“रोहिंग्या रिफ्यूजी के पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से कनेक्शन”
रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 16 पन्नों का हलफनामा दाखिल किया था. सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था,
कुछ रोहिंग्या रिफ्यूजी के पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से कनेक्शन हैं. उन्हें किसी भी कीमत पर भारत में रहने की इजाजत नहीं देनी चाहिए. वो हमारे देश के लिए खतरा हो सकते हैं.
वहीं केंद्र सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों के कोर्ट जाने पर भी टिपण्णी करते हुए कहा था कि रोहिंग्या रिफ्यूजी को देश में रह रहे नागरिक जैसी कोई सुविधा देना गैर-कानूनी है.
गृह मंत्रालय के दायर हलफनामे में सरकार ने कहा,
संविधान के अनुच्छेद 19 में स्पष्ट है कि सिर्फ देश के नागरिकों को ही देश के किसी भी हिस्से में रहने का मौलिक अधिकार है और गैरकानूनी रिफ्यूजी इस अधिकार के लिये सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं.
2 रोहिंग्या शरणार्थियों ने दायर की थी याचिका
दो रोहिंग्या शरणार्थियों मोहम्मद सलीमुल्लाह और मोहम्मद शाकिर ने रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने की सरकार की योजना के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में इसे अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों का उल्लंघन बताया गया. दोनों याचिकाकर्ता भारत में यूनाइटेड नेशन रेफ्यूजी हाई कमिशन में रजिस्टर्ड हैं.
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