रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला ने यूनियन मिनिस्टर स्मृति ईरानी, बंडारू दत्तात्रेय या यूनीवर्सिटी के वाइस चांसलर अप्पाराव के दबाव की वजह से सुसाइड नहीं की थी.
रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला की मौत की जांच के लिए गठित की गई जस्टिस रूपनवाला की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दिसंबर 2016 में ही जमा कर दी थी. मंगलवार को उन्हें सार्वजनिक किया गया है. रिपोर्ट में बताया गया-
रोहित वेमुला का सुसाइड नोट मौजूद है, उससे पता चलता है कि उसकी खुद की दिक्कतें थीं और वो दुनिया के घटनाक्रम से खुश नहीं था. उसने किसी को अपनी सुसाइड के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया. अगर वो यूनीवर्सिटी के किसी फैसले से नाराज होता तो उसका जिक्र अपने सुसाइड नोट में जरूर करता. इससे पता चलता है कि यूनीवर्सिटी में जो माहौल था वो उसकी मौत का जिम्मेदार नहीं था.
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि रोहित एससी कैटेगरी से नहीं आता था. वह वड्डेरा समुदाय से था, जो ओबीसी कैटेगरी में आता है.
रोहित वेमुला की मां वी राधिका ने खुद के दलित ‘माला’ समुदाय से होने का दावा किया था. उनका 1990 में अपने पति वी मणिकुमार से तलाक हो गया था. इसके बाद उन्होंने रोहित की परवरिश अकेले की थी. इसके अलावा कमीशन को रोहित वेमुला के साथ किसी भी तरह के अन्याय के सबूत नहीं मिले हैं.
रोहित वेमुला और उनके तीन साथियों के हैदराबाद यूनीवर्सिटी के कैंपस में आने पर रोक लगा दी गई थी. उन पर एबीवीपी कार्यकर्ता सुशील कुमार से मारपीट का आरोप था. रोहिथ ने 17 जनवरी 2016 को सुसाइड की थी. इसके बाद देश भर में रोहित के समर्थन में प्रदर्शन हुए थे.
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