राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने सोमवार 10 जून 2024 को आरएसएस प्रशिक्षुओं (ट्रेनी) की एक सभा को संबोधित करते हुए मणिपुर से लेकर चुनाव के दौरान मर्यादा के कथित उल्लंघन को लेकर अपने विचार सामने रखे.
उन्होंने कहा, "मणिपुर एक साल से शांति का इंतजार कर रहा है. हिंसा को रोकना होगा और इसे प्राथमिकता देनी होगी."
डॉक्टर भागवत का ये बयान मोदी सरकार 3.0 सरकार के गठन के एक रोज बाद आया है.
उन्होंने देश में हाल के चुनावों के दौरान गलत बयानबाजी के लिए टेक्नॉलॉजी का कथित दुरुपयोग पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की है.
उन्होंने आगे कहा,
"फिर से वहीं एनडीए की सरकार आई है. हमने कई क्षेत्रों में प्रगति की है जैसे- अर्थव्यवस्था, रक्षा, खेल, संस्कृति, प्रौद्योगिकी आदि. इसका मतलब यह नहीं है कि हमने सभी चुनौतियों पर काबू पा लिया है. हमें उन बातों से मुक्त होकर काम करना है जो चुनाव के आवेश में अतिरेक हो गया, हमें समस्याओं से राहत लेनी है."
बगैर किसी पार्टी का नाम लिए मोहन भागवत ने कहा, "जो मर्यादा का पालन करते हुए कार्य करता है, कर्म करता है, किन्तु लिप्त नहीं होता, अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों मे सेवक कहलाने का अधिकारी है."
"चुनाव लड़ने में मर्यादा का पालन नहीं किया गया."
हालिया लोकसभा चुनाव का जिक्र करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा, "यह स्पर्धा है कोई आपस का युद्ध नहीं. जिस तरह (चुनाव में) एक-दूसरे को लताड़ा गया, समाज में मनमुटाव बढ़ा. इसका भी ख्याल नहीं रखा गया."
"चुनाव लड़ने में भी एक मर्यादा होती है लेकिन उसका पालन नहीं किया गया. संसद में दो पक्ष जरूरी हैं...विपक्ष को विरोधी पक्ष की जगह प्रतिपक्ष कहना चाहिए."डॉ मोहन भागवत, आरएसएस प्रमुख
मोहन भागवत ने विपक्ष का नाम लिए बगैर संविधान में बदलाव और पिछड़ी जाति के समुदायों के लिए आरक्षण खत्म करने के विपक्ष के आरोपों का जिक्र किया.
उन्होंने उम्मीद जताई की कि संसद में सौहार्दपूर्ण माहौल रहेगा. आरएसएस प्रमुख ने देश के लोगों से पारिवारिक मूल्यों को बनाए रखने का आह्वान किया.
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