राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने जल्द कश्मीरी पंडितों को घाटी में पुनर्स्थापित करने की मांग की है. इस संबंध में RSS की शीर्ष इकाई अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल (ABKM) की बीते दिनों हुई बेंगलुरु की बैठक में एक अहम प्रस्ताव भी पारित हुआ है.
जम्मू-कश्मीर के लिए अलग से पारित हुए इस प्रस्ताव में घाटी में विस्थापित हुए सभी हिंदुओं की वापसी करने की प्रमुखता से मांग संघ ने उठाई है. संघ ने दो दिन बाद इस प्रस्ताव की जानकारी दी है.
प्रस्ताव में J&K से आर्टिकल 370 और 35 ए हटाने की सराहना की है
RSS ने बीते 14 मार्च को हुई बैठक में पारित किए अपने प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने के केंद्र सरकार के फैसले की सराहना की है.
इस प्रस्ताव में कहा है, -आर्टिकल 370 की आड़ में बड़ी संख्या में संविधान के अनुच्छेदों को जम्मू-कश्मीर में या तो लागू नहीं किया गया अथवा संशोधित रूप में लागू किया गया. अनुच्छेद 35 ए जैसे प्रावधानों को मनमाने रूप से संविधान में जोड़ने जैसे कदमों के कारण अलगाववाद के बीज बोए गए.”
RSS ने प्रस्ताव में आगे कहा है, "अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल यह आशा करता है कि विस्थापितों और शरणार्थियों की अपेक्षाओं की भी जल्द पूर्ति की जाएगी. कश्मीर घाटी के विस्थापित हिंदू समाज के सुरक्षित और सम्मानपूर्ण पुनर्वसन की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू होनी चाहिए. इस प्रस्ताव के जरिए संघ ने केंद्र की मोदी सरकार को इस दिशा में जल्दी से सोचने के संकेत दिए हैं.
RSS सूत्रों ने कहा कि प्रस्ताव में भले ही सीधे तौर पर ‘कश्मीरी पंडित’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है मगर कश्मीर से विस्थापित हिंदू समाज कहने का मतलब है कि वहां के कश्मीरी पंडितों की बात हो रही है.
RSS ने इस प्रस्ताव में कहा है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में पुनर्गठन के बाद तीनों क्षेत्रों में रहने वाले सभी वर्गो के सामाजिक और आर्थिक विकास की नई संभावनाएं खुली हैं. राज्य के पुनर्गठन से लद्दाख क्षेत्र की जनता की लंबे समय से चली आ रही मांगों की पूर्ति हुई है. RSS ने प्रस्ताव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से अनुच्छेद 370, 35 ए हटाने और राज्य पुनर्गठन के निर्णय की प्रशंसा की है.
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