राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपने गणवेश में बदलाव करने का फैसला किया है. बीते करीब 91 सालों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहचान रहे खाकी रंग के निकर की बजाय अब आरएसएस कार्यकर्ता भूरे रंग की पैंट पहने नजर आएंगे.
संघ की नीति निर्धारक इकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय सालाना बैठक में यह फैसला लिया गया है.
हमने स्वयंसेवकों की पोशाक बदलने का फैसला किया है. हमने खाकी निकर की जगह भूरे रंग की पैंट को आरएसएस की पोशाक में शामिल करने का फैसला किया है.भैयाजी जोशी, नेता, आरएसएस
संघ के इस फैसले को कई लोगों ने युवाओं को आकर्षित करने का प्रयास बताया है.
गणवेश बदलने में लग सकता है 6 महीनों का वक्त
आरएसएश नेता भैयाजी जोशी ने कहा है कि इस बदलाव को लागू करने में चार से छह महीने का समय लग सकता है क्योंकि पोशाक बदलने का संदेश देश के कम से कम 50,000 गांवों, कस्बों और शहरों तक पहुंचाना है.
खाकी निकर के बजाय भूरे रंग के पैंट में दिखेंगे स्वयंसेवक
भैयाजी जोशी ने कहा कि भूरे रंग के चुनाव का कोई खास कारण नहीं है. इस रंग का चुनाव इसलिए किया गया क्योंकि यह आसानी से मिल जाता है और आकर्षक लगता है. जोशी ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि पैंट के कारण स्वयंसेवकों को व्यायाम या अभ्यास में कोई परेशानी होगी.
आरएसएस नेता ने कहा, “क्रिकेट और जूडो कराटे खिलाड़ी के अलावा योग करने वाले भी ट्रैक सूट और पैंट पहनते हैं. इसलिए यह कहना गलत है कि पैंट पहनने से स्वयंसेवकों का प्रशिक्षण या व्यायाम प्रभावित होगा.”
स्थापना समय से संघ की पहचान था खाकी निकर
भैयाजी जोशी ने कहा, हमने खाकी निकर की जगह भूरे रंग की पैंट को गणवेश में शामिल करने का निर्णय लिया है. हम अडि़यल रुख नहीं रखते और समय के अनुसार फैसले लेते हैं. साल 1925 में संघ की स्थापना के बाद से ढीला-ढाला खाकी निकर संगठन की पहचान रहा है.
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