यूपी में गाजीपुर में बाइक सवार बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दैनिक जागरण के स्थानीय पत्रकार राजेश मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी. साथ ही मदद के लिये दौड़े, भाई अमितेश मिश्रा को भी बदमाशों ने गोली मार दी. राजेश मिश्रा आरएसएस से भी जुड़े थे. उनकी हत्या क्यों की गयी अभी तक कारण साफ नहीं हो सका है. फिलहाल पुलिस मामले की छानबीन में जुटी हैं.
बताया जा रहा है कि राजेश मिश्रा शनिवार सुबह मॉर्निंग वॉक से लौट कर अपने भाई अमितेश के साथ गांव में ही अपनी दुकान पर बैठे थे. सुबह 7.30 बजे बाइक सवार 4 बदमाशों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. जब तक वो संभल पाते तब तक बदमाशों ने उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया, और मौके पर ही उनकी मौत हो गयी.
भाई की मदद के लिए अमितेश ने बदमाशों पर ईंट-पत्थर से हमला बोला, लेकिन बदमाशों ने उन पर भी फायरिंग की. अमितेश को इलाज के लिए वाराणसी भेजा गया है.
इस बीच, लखनऊ में अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) आनंद कुमार ने बताया कि दो हमलावरों की पहचान हो चुकी है. उन्होंने कहा कि तीन में से दो हमलावरों की पहचान कर ली गई है. उन्हें जल्द ही पकड़ लिया जाएगा.
इलाके में है माफियाओं की पैठ
गाजीपुर का करंडा इलाका अवैध बालू खनन के लिए खूब चर्चा में रहता है. बैन के बावजूद यहां गंगा नदी से अवैध बालू खनन जमकर होता है, और गाजीपुर सहित आसपास के जिलों में भी यहां से बालू की सप्लाई होती है. ऐसे में माफियाओं की भी इस इलाके में अच्छी पैठ है.
बताया जा रहा है कि राजेश मिश्रा ने कई बार अवैध खनन को लेकर खबरें लिखी थी. जिसके कारण बालू माफिया काफी परेशान थे. कुछ ही दिनों पहले अवैध खनन को लेकर उनकी छपी खबर ने 11 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करा दिया था. जिससे पुलिस और माफिया दोनों ही पत्रकार से परेशान थे.
क्यों हुई हत्या?
अवैध खनन के खिलाफ खबरें छापना या फिर आरएसएस का प्रचार!
इसके साथ ही ये भी चर्चा जोरों पर है कि राजेश आरएसएस के ब्लॅाक प्रचारक थे. और एक हफ्ते पहले ही करंडा के ब्राह्मणपुरा में शाखा की शुरूआत की थी. चूंकि वो एक खास पार्टी से जुड़े थे, लिहाजा दूसरी पार्टियों को लगता था कि वो उनके खिलाफ काम करते हैं. अब कई ऐसे बिंदु हैं जिन पर पुलिस जांच कर रही है.
अपराधियों की नकेल कसने में नाकाम सरकार
करंडा इलाका गाजीपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में आता है, इस इलाके में समाजवादी पार्टी का दबदबा है, लेकिन इस बार बीजेपी ने यहां कब्जा जमा लिया है.
लेकिन इससे इतर उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तमाम कोशिशों के बावजूद अपराधियों की नकेल कसने में नाकाम साबित हो रहे हैं. मुहर्रम में कुछ जगहों पर हुई हिंसा की घटना से नाराज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते 15 दिनों में दो बाद पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जिलों के पुलिस कप्तानों को भी धमकाया था.
18 अक्टूबर को योगी ने अयोध्या में दिवाली का इतना भव्य आयोजन किया, कि लोग रामराज्य की कल्पना में डूब गये. आयोध्या और फैजाबाद में पुलिस चप्पे-चप्पे पर तैनात थी, फिर भी बदमाशों ने फैजाबाद में एक व्यापारी की उसके दुकान में गोली मारकर हत्या कर दी.
और अब दिवाली के दूसरे दिन प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सटे जिला गाजीपुर में पत्रकार राजेश मिश्रा की हत्या ने सनसनी फैला दी है.
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