कोरोना की दूसरी लहर (Covid-19 Second Wave) जब अपना कहर बरपा रही थी, तब सैकड़ों जानें बचाई जा सकती थीं. लेकिन यह तब संभव होता जब हमारे देश में हेल्थकेयर यानी स्वास्थ्य का बेहतर बुनियादी ढांचा मौजूद होता. दूसरी लहर के भयावह दौर के दौरान देशभर में वेंटिलेटर की मांग काफी ज्यादा हो गई थी, विभिन्न मीडिया हाउसों द्वारा देश के कई राज्यों से आईसीयू या वेंटिलेटर बेड्स की कमी होने की सूचना दी गई थी.
लेकिन क्या वाकई में देश में वेंटिलेटर की सप्लाई में कमी थी?
द क्विंट ने 8 जुलाई को उस आरटीआई के जवाबों की पड़ताल की जो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा बिजनेसमैन नीलेश जी प्रभु को प्रदान किए गए थे. उस आरटीआई से यह बात निकलकर सामने आई कि केंद्र सरकार द्वारा खरीदे गए करीब 13 हजार (12,973) वेंटिलेटर राज्यों को वितरित ही नहीं किए गए थे.
अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों कोरोना की दूसरी लहर के पीक के दौरान 13000 वेंटिलेटरों को वितरित नहीं किया गया?
कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान पब्लिक और प्राइवेट हेल्थकेयर द्वारा वेंटिलेटर युक्त आईसीयू बेड्स की भारी मांग थी. ऐसे में अगर सरकार के पास वेंटिलेटर्स की सूची थी, लेकिन उनके द्वारा वेंटिलेटर इंस्टाल नहीं कराए गए तो यह वाकई में दुखद है. हमारे देश में इतने मूल्यवान संसाधनों को स्थापित करने, कमीशन करने, संचालित करने और डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने की कमी चलते कई लोगों की जान चली गई.राजीव नाथ, फोरम को-ऑर्डिनेटर , एआईएमईडी (एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइसेस इंडस्ट्री)
इसमें कोई शक नहीं है कि अगर इतने वेंटिलेटर्स (13000 वेंटिलेटर्स) को समय रहते वितरित कर दिया जाता और उन्हें अस्पतालों में स्थापित कर दिया जाता तो कईयों की जान बच सकती थी.
नीलेश प्रभु ने स्वास्थ्य मंत्रालय से आरटीआई क्या पूछा?
नीलेश जी प्रभु द्वारा लगाए गए आरटीआई आवेदन में उन्होंने स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय से पूछा था कि
स्वास्थ्य मंत्रालय या PM CARES फंड द्वारा खरीदे गए उन वेंटिलेटर्स की जानकारी प्रदान की जाए जो अप्रैल 2020 से जून 2021 तक खरीदे गए हैं.
उन अस्पतालों के नाम और विवरण प्रदान किया जाए जिन्हें इन वेंटिलेटर्स की आपूर्ति की गई थी.
पहले सवाल के जवाब में मंत्रालय की ओर से कहा गया कि स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय द्वारा जून 2020 तक 59,873 वेंटिलेटर खरीदे गए.
जबकि दूसरे सवाल के जवाब में मंत्रालय ने हॉस्पिटल्स का नाम देने की बजाय 36 राज्यों के नाम और उन राज्याें को केंद्र सरकार द्वारा दिए गए वेंटिलेटर्स की संख्या उपलब्ध करा दी.
आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार 1 जून 2021 तक केंद्र द्वारा 36 राज्यों और "सेंट्रल इंस्टीट्यूशन्स" यानी केंद्रीय संस्थानों को 46,900 वेंटिलेटर की आपूर्ति की गई थी. लेकिन आरटीआई में यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि 'केंद्रीय संस्थान' आखिर क्या हैं?
केंद्र द्वारा संचालित अस्पतालों और मेडिकल फैसिलिटीज को मंत्रालय "सेंट्रल इंस्टीट्यूशन्स" के तौर पर रेफर करता है.
जिन 36 राज्यों की सूची मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई थी उसमें से गुजरात को सबसे ज्यादा 5,600 वेंटिलेटर मिले, उसके बाद महाराष्ट्र को 5,555 और फिर उत्तर प्रदेश को 5,316 वेंटिलेटर्स प्रदान किए गए हैं. जबकि सिक्किम को सबसे कम 10 वेंटिलेटर्स दिए गए हैं.
इन आंकड़ों को गणित लगाने पर हम पाते हैं कि खरीदे गए कुल वेंटिलेटर्स (59,873) में यदि वितरित किए गए वेंटिलेटर्स (46,900) को घटा दें तो लगभग 13000 वेंटिलेटर्स केंद्र के पास बचते हैं.
जब मई 2020 में ऑर्डर हो गया तो खरीदी में देर क्यों?
स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय ने केंद्र और राज्य के अस्पतालों को वेंटिलेटर्स देने का उल्लेख किया है, लेकिन क्या इसमें सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) अस्पताल शामिल हैं? यह एक ऐसा सवाल है जो हमने मंत्रालय से पूछा है, हालांकि अभी तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है. लेकिन निश्चित रूप से सेना और सीएपीएफ अस्पतालों को सभी 13,000 वेंटिलेटर की आपूर्ति नहीं की जा सकती है.
चूंकि आरटीआई आवेदनकर्ता नीलेश प्रभु ने अपनी आरटीआई में अप्रैल 2020 से जून 2021 के बीच के आंकड़े मांगे थे, इसलिए यह भी तर्क दिया जा सकता है कि स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय ने जून में ही लगभग 13,000 वेंटिलेटर खरीदे होंगे. इस कारण वे उन राज्यों की जानकारी साझा नहीं कर पाएं, जिन्हें इन वेंटिलेटर्स की आपूर्ति की गई थी.
अगर ऐसा होता है तो यह और भी गंभीर सवाल खड़ा करता है-
सवाल यह है कि केंद्र सरकार द्वारा वेंटिलेटर्स खरीदने में इतनी देरी क्यों की गई जब निर्माताओं को मई 2020 में ही इनके ऑर्डर दिए गए थे?
जून 2020 तक 75,000 वेंटिलेटर की अनुमानित मांग
रसायन और उर्वरक मंत्रालय द्वारा 1 मई 2020 को जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया था कि "स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय ने जून 2020 तक 75,000 वेंटिलेटर्स की अनुमानित मांग का संकेत दिया है. वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाले एक PSU, एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड (HLL Lifecare Limited) जो केंद्रीय खरीद एजेंसी के रूप में कार्य कर रही है, उसके द्वारा 60,884 वेंटिलेटर्स के लिए ऑर्डर दिया गया."
जून 2020 में वेंटिलेटर्स की अनुमानित मांग बढ़ सकती है, इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने मई 2020 में 60,000 से अधिक वेंटिलेटर्स का आदेश दिया था.
तकनीकी तौर पर अनुमानित मांग के आधार पर सरकार को जून 2020 तक 60,000 से अधिक वेंटिलेटर्स की खरीद करनी चाहिए थी, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ.
आठ महीने में सरकार ने महज 14 हजार वेंटिलेटर्स बांटे
राज्यसभा में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दिए गए एक जवाब के अनुसार 15 सितंबर 2020 तक सरकार ने राज्यों को 50 प्रतिशत से थोड़ा अधिक यानी 32,862 वेंटिलेटर्स वितरित किए थे, जिनमें से लगभग 20,000 को अस्पतालों में स्थापित किया गया था.
वहीं इसके अगले 8 महीनों में यानी 15 सिंतबर 2020 से 1 जून 2021 तक सरकार केवल 14 हजार वेंटिलेटर्स (46,900 में 32,862 से घटाकर) वितरित करने का प्रबंध कर पायी है. जबकि मई 2020 से सितंबर 2020 के दौरान 6 महीने में सरकार ने 32 हजार से ज्यादा वेंटिलेटर्स बांटे थे.
क्या निर्माताओं द्वारा सरकार को वेंटिलेटर्स देने में देरी की गई?
क्विंट द्वारा 6 मई 2021 को की गई इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट से पता चला कि चेन्नई की एक कंपनी ट्रिविट्रॉन हेल्थकेयर को बकाया राशि का भुगतान न करने के कारण लगभग 9,000 लो फ्लो ऑक्सीजन (LFO) वेंटिलेटर की डिलीवरी रोक दी गई थी.
क्विंट की जांच के दौरान केवल एक निर्माता के बारे में ही पता लग सका है. अन्य मैन्युफैक्चरर्स के मामले में क्या हुआ और क्या सरकार द्वारा भुगतान में देरी हुई, जिसके कारण वेंटिलेटर की आपूर्ति में देरी हुई? यह सवाल अब भी अनसुलझे हैं.
इन सबके बीच दिलचस्प बात यह रही कि सरकार ने प्रेस रिलीज का हवाला देते हुए 1 अगस्त 2020 से वेंटिलेटर के निर्यात की अनुमति दे दी थी. प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि कोविड-19 मरीजों की मृत्यु दर में गिरावट आयी है. विज्ञप्ति में यह भी कहा गया था कि 31 जुलाई 2020 तक, देश भर में केवल 0.22 प्रतिशत सक्रिय मामले वेंटिलेटर पर थे.
ऐसे में सवाल यह आता है कि क्या निर्माताओं द्वारा भारत सरकार की मांग पूरी करने के बाद ही सरकार को वेंटिलेटर के निर्यात की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि वेंटिलेटर को इंस्टाल करने और उन्हें ऑपरेट करने के लिए प्रशिक्षित स्टाफ की आवश्यकता होती है जोकि एक समय लेने वाला मामला है.
अब हमें तीसरी लहर की तैयारी के लिए इनकी तुरंत तैनाती सुनिश्चित करने की आवश्यकता है. हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती इन हाई-एंड ऑक्सीजन थेरेपी इक्यूपमेंट को ऑपरेट करने के लिए चिकित्सा और पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित करने की जरूरत है. इसके लिए इन्हें अधिक स्किल की आवश्यकता होगी."राजीव नाथ, फोरम को-ऑर्डिनेटर , एआईएमईडी (एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइसेस इंडस्ट्री)
कोविड19 की तीसरी लहर आने को है, ऐसे में क्या केंद्र इन वेंटिलेटर्स को समय रहते राज्यों को भेजेगा ताकि अस्पतालों को इन्हें स्थापित करने और अपने कर्मचारियों को इसके लिए प्रशिक्षित करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके, यह एक बड़ा सवाल है.
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