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बिहारःमासूमों की मौत का तमाशा,काफिले के साथ अस्पताल पहुंच रहे नेता

गुरुवार को कई गाड़ियों का काफिला लेकर अस्पताल पहुंचे थे शरद यादव 

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भारत
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बिहार के मुजफ्फरपुर में इंसेफेलाइटिस से अब तक 124 बच्चों की मौत हो चुकी है. सबसे बुरा हाल मुजफ्फरपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का है. अकेले इसी अस्पताल में अब तक चमकी बुखार का इलाज करा रहे 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक इस अस्पताल का दौरा कर चुके हैं.

मुजफ्फरपुर में हो रही बच्चों की मौत के मीडिया में सुर्खियां बनने के बाद से यहां नेताओं के अलावा तमाम बड़ी हस्तियां भी पहुंच रहीं है. लिहाजा, अस्पताल में अब इलाज कम और मासूमों की मौत पर तमाशे की स्थिति ज्यादा बन रही है. नेता कहने को तो स्वास्थ्य सेवाओं का हाल जानने पहुंच रहे हैं, लेकिन बड़ी-बड़ी गाड़ियों के काफिले के साथ पहुंचने से अस्पताल में अव्यवस्था ही बढ़ रही है. आलम ये है कि मरीजों का अस्पताल पहुंचना मुश्किल हो रहा है और जरूरत से ज्यादा भीड़ अव्यवस्था फैला रही है.

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कई गाड़ियों के काफिले के साथ पहुंचे शरद यादव

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार को लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव कई गाड़ियों के काफिले के साथ श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल पहुंचे. रिपोर्ट्स की मानें तो शरद यादव के काफिले में करीब 19 गाड़ियां थीं. अस्पताल के बाहर गाड़ियों की लाइन लग गई, जिसकी वजह से अस्पताल में मरीजों का घुसना दूभर हो गया.

गुरुवार को कई गाड़ियों का काफिला लेकर अस्पताल पहुंचे थे शरद यादव 
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भोजपुरी स्टार खेसारी लाल पहुंचे तो लग गई सेल्फी की होड़

शरद यादव के जाने के बाद अभी अस्पताल में स्थिति सामान्य भी नहीं हो पाई थी कि यहां भोजपुरी फिल्मों के स्टार और सिंगर खेसारी लाल यादव भी पहुंच गए. भोजपुरी स्टार को देखने के लिए अस्पताल में भीड़ जमा हो गई. जिसे देखो वही उनके साथ सेल्फी क्लिक करने की कोशिश करने लगा.

भीड़ की वजह से अस्पताल में अव्यवस्था और अफरा-तफरी जैसी स्थिति हो गई. एंबुलेंसों का अस्पताल से आना-जाना मुश्किल हो गया.

45 डिग्री के टेंपरेचर में जब कोई नेता AC का मजा लेते हुए अपने काफिले के साथ अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल जानने पहुंचता है तो वो हमदर्द कम, और उन गरीबों का मजाक उड़ाता ज्यादा दिखता है, जो गरम हवा फेंकते छतों से झूलते पंखों के नीचे चीखों से गूंजते वार्ड में अपने मासूमों के ठीक होने के इंतजार में बैठे हैं.

क्या नेताओं को बड़ी-बड़ी गाड़ियों का काफिला लेकर अस्पताल पहुंचने से पहले ये नहीं सोचना चाहिए कि उनके ऐसा करने से क्या स्वास्थ्य सेवाओं की सूरत सुधर जाएगी?

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