रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच, भारत को रूस (Russia) से 'एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम' के ट्रेनिंग स्क्वाड्रन के लिए सिमुलेटर और अन्य उपकरण प्राप्त हुए हैं.
रिपोर्टों के मुताबिक मिसाइल सिस्टम का दूसरा स्क्वाड्रन एक ट्रेनिंग स्क्वाड्रन है और इसमें सिमुलेटर और अन्य ट्रेनिंग से संबंधित उपकरण शामिल हैं, इसमें मिसाइल या लांचर शामिल नहीं है. ये सभी डिफेंस सिस्टम समुद्री मार्ग से भारत आए हैं.
बता दें कि अमेरिका के दबाव के बावजूद रूस ने भारत को एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की दूसरी रेजिमेंट की डिलीवरी शुरू की है. भारत ने भी यहां अमेरिका की तमाम आपत्तियों को आपत्तियों को खारिज किया है.
रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष के बावजूद मॉस्को से भारत को लिए रक्षा आपूर्ति जारी है.
रूस द्वारा पहली रेजिमेंट की डिलीवरी पिछले साल दिसंबर में की गई थी. यह पंजाब में इंडियन एयरफोर्स के बेस पर तैनात है, जिसे पाकिस्तान और चीन से हवाई खतरों से निपटने के लिए रखा गया है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि यूक्रेन के साथ चल रहे संघर्ष के बावजूद एस-400 की आपूर्ति रुकी नहीं और तय किए गए समय के मुताबिक चल रही है. यह डिलीवरी अप्रैल के आखिरी तक पूरी हो जाएगी और जून तक इसकी तैनाती की उम्मीद है.
एक, एस-400 मिसाइल, दुश्मन के मिसाइल को 40 किलोमीटर दूर मार गिरा सकता है. प्रत्येक सिस्टम का अपना रडार होता है और 600 किमी की दूरी पर 100 से अधिक टारगेट को ट्रैक कर सकता है.
रूस पर अमेरिका का रक्षा प्रतिबंध
पिछले महीने मंगलवार, 24 मार्च अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं, जिसमें रक्षा प्रतिबंध भी शामिल हैं. बाइडेन सरकार भारत को रूस से S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए मंजूरी देने वाली नहीं है.
इस दौरान अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने यह भी कहा था कि रूसी हथियारों पर भारत की मजबूत निर्भरता एक ऐसे युग का परिणाम थी, जिसमें वाशिंगटन और उसके कुछ साथी देश नई दिल्ली के साथ सुरक्षा संबंध रखने के इच्छुक नहीं थे.
नई दिल्ली इस बात से चिंतित है कि एस-400 मिसाइल सिस्टम की पांच यूनिट की खरीद पर Countering America's Adversaries Through Sanctions Act (CAATSA) के तहत प्रतिबंध लग सकता है. यह एक अमेरिकी संघीय कानून जो ईरान, उत्तर कोरिया और रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को अनिवार्य करता है.नेड प्राइस
भारत का क्या है तर्क
इस पर भारत की ओर से तर्क दिया गया कि लद्दाख-तिब्बत बॉर्डर पर भारतीय क्षेत्र में चीन के कब्जे और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के भारतीय सैनिकों के साथ आक्रामक टकराव को देखते हुए वाशिंगटन को भारत को सीएएटीएसए से जल्द छूट देनी चाहिए. दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक हथियारों की आपूर्ति साझेदारी को देखते हुए भारत के पास रूस से हथियार और रक्षा उपकरण प्राप्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
बता दें कि भारत रूसी हथियारों के सबसे बड़े उपयोगकर्ताओं में से एक है, जिसमें फाइटर जेट, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, हेलीकॉप्टर, वारशिप, टैंक, पैदल सेना के लड़ाकू वाहन और पनडुब्बी जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म शामिल हैं.
इंडियन एयरफोर्स मुख्य रूप से रूसी आपूर्ति पर निर्भर है क्योंकि इसका मुख्य आधार Su30 एयरक्राफ्ट और Mi-17 हेलीकॉप्टर रूसी ही है.
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