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रूस-यूक्रेन जंग में लगी गोली-मौत से सामना, केरल के युवक ने बताई आपबीती

Russia-Ukraine War में शामिल भारतीय युवक प्रिंस सेबेस्टिन घायल होने के बाद पिछले महीने स्वदेश लौटे हैं.

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2024 के मार्च में रूस-यूक्रेन जंग (Russia-Ukraine ) में लड़ने वाले और गंभीर रूप से घायल होने वाले प्रिंस सेबेस्टियन पिछले महीने भारत लौटे हैं. केरल के रहने वाले 24 साल के मछुआरे प्रिंस ने यह जानकर राहत की सांस ली कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अधिकारियों ने चार भारतीय तस्करों को गिरफ्तार किया है. तस्करों ने प्रिंस और उनके चचेरे भाई, विनीत सिल्वा और टीनू पानी आदिमा को जनवरी में झूठे वादे कर रूस भेज दिया था.

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प्रिंस ने द क्विंट को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा, "मेरे कलेजे को यह जानकर ठंडक मिलती है कि सीबीआई ने चार तस्करों को गिरफ्तार कर लिया है जो हम जैसे बेरोजगार युवाओं को ठग लेते हैं."

प्रिंस बताते हैं, जिन चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनमें से एक का नाम येसुदास जूनियर है. उसे प्रियन के नाम से भी जाना जाता है. ये वही शख्स है जिसने मुझे ठगा था. उसने मुझसे 7,00,000 रुपये लिए और मुझे रूस में सिक्योरिटी की नौकरी का वादा किया. हालांकि, रूस पहुंचने पर मुझे एक सेना शिविर में रखा गया, हथियार संभालने की ट्रेनिंग दी गई और यूक्रेन के लुशांक में जंग के मैदान में भेज दिया गया."

प्रिंस और उनके चचेरे भाई एक साथ रूस पहुंचे लेकिन इसके बावजूद तस्करों ने उन्हें अलग कर दिया. इन तस्करों ने उन्हें रूसी सेना को बेच दिया था. सभी को अलग-अलग कैंप में रखा गया है.

जंग के मैदान में प्रिंस की आपबीती

सीबीआई की ओर से मंगलवार को जारी एक प्रेस नोट के मुताबिक, तस्कर एक संगठित नेटवर्क के तौर पर काम कर रहे हैं और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया चैनलों के जरिए और रूस में अच्छी पगार देने वाली नौकरियों के लिए अपने स्थानीय संपर्कों/एजेंटों के जरिए भारतीय नागरिकों को लुभा रहे हैं.

सीबीआई ने नोट में कहा, इसके बाद अवैध तरीके से रूस भेजे गए भारतीय नागरिकों को जंग के लिहाज से ट्रेनिंग दिया गया और उनके इच्छा के खिलाफ रूस-यूक्रेन जंग में फ्रंट फुट पर तैनात कर दिया. इस तरह से कई भारतीय की जिंदगी खतरे में पड़ गई. हमें यह भी पता चला है कि कुछ लोग जंग में गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं.

प्रिंस के मुताबिक, तस्करों ने उनके साथ-साथ उनके चचेरे भाइयों और कुछ अन्य भारतीयों को ठगा और रूस-यूक्रेन जंग में लड़ने के लिए मजबूर किया.

4 फरवरी को शाम 6 बजे के आसपास जंग के मैदान में अपने पहले दिन के दौरान प्रिंस और उनके साथी सैनिक यूक्रेन के लुशांक की ओर आगे बढ़ रहे थे, तभी वे यूक्रेनी सैनिकों की ओर से की जा रही भारी गोलीबारी के चपेट में आ गए. प्रिंस एक टैंक के साथ-साथ आगे बढ़ रहे थे. लेकिन जैसे ही वह यूक्रेनी सैनिकों को जवाब देने के लिए आगे बढ़े वह अपनी बंदूक के पट्टे में उलझ गए. इसके बाद यूक्रेनी सैनिक के बंदूक से चली एक गोली पहले टैंक से टकराई और फिर प्रिंस के कान को चिरती हुई निकल गई. इसके बाद प्रिंस के मुंह से खून निकलने लगा. इस बीच उसके पैरों तले रूसी सैनिक की लाश पड़ी थी जिससे टकरा कर वह लुढ़क गए.

इस भगदड़ में प्रिंस ने देखा कि उनके और एक अन्य रूसी सैनिक के ऊपर एक ड्रोन मंडरा रहा था. इसे देखते हुए प्रिंस के होश फाख्ता हो गए. लेकिन जैसे ही ड्रोन से ग्रेनेड जमीन पर गिरने वाला था, वक्त रहते प्रिंस ने कवर ले लिया. ये ग्रेनेड प्रिंस के पास पड़े रूसी सैनिक के पास फट गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई. ग्रेनेड के फटने के साथ ही प्रिंस के ऊपर हाड़-हड्डियों की बौछार हो गई. ग्रेनेड के शेल्स प्रिंस के शरीर की बाई ओर चोट कर रहे थे और इससे उनके शरीर से धारासार खून बह रहा था.

इस हमले के बाद घबराया हुआ और खून से लथपथ, प्रिंस खुद को बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगा और एक खाई के पास पहुंच गया, तभी उसके चचेरे भाई विनीत ने उसे खींचा. प्रिंस कई दिनों के बाद विनीत को देख रहा था, क्योंकि वे रूस आने के तुरंत बाद अलग हो गए थे और उन्हें अलग-अलग सेना ट्रेनिंग सेंटर में रखा गया था.

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विनीत और प्रिंस ने उस रात खाई में दुबके रहकर बिताई. जंग के मैदान बाहर निकलने के लिए वे दोनों खाई में जरिए तकरीबन चार किलोमीटर तक रेंगते रहे जब तक कि वे रूसी बेस तक नहीं पहुंच गए. लेकिन तब तक प्रिंस होश में नहीं थे.

विनीत ने अपने भाई के हालत की जानकारी कमांडरों को दी. इसके बाद प्रिंस को तत्काल इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल ले जाया गया.

'मैं हाथ पर हाथ धरे कैसे बैठ सकता हूं जब मेरे चचेरे भाई अभी भी जंग के मोर्चे पर हैं?'

प्रिंस का इम्तिहान यहीं खत्म नहीं हुआ. उन्हें पांच अस्पतालों में रेफर किया गया. आखिरकार मॉस्को पहुंचने से पहले उनके सिर में फंसी गोली को निकाल लिया गया. सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से वह केरल में अपने परिवार से संपर्क करने में कामयाब रहे. सामाजिक कार्यकर्ताओं के मानवीय आधार पर उनके अथक प्रयासों और अपीलों की वजह से प्रिंस अप्रैल के पहले सप्ताह में अपने घर लौट पाए.

भले ही प्रिंस वापस आ गए हैं, लेकिन वह अपने चचेरे भाई, विनीत और टीनू को लेकर परेशान है. दोनों अब भी रूस में जंग के मैदान में फंसे हुए हैं.

प्रिंस ने द क्विंट से कहा, "मैं हाथ पर हाथ धरे कैसे बैठ सकता हूं, जब मेरे भाई जंग के मोर्चे पर मौजूद हैं. इसलिए, मैंने तस्करों को पकड़ने के लिए सीबीआई के साथ सहयोग किया. भले ही मैं टूट गया था और सदमे का सामना कर रहा था, मैं पुलिस स्टेशनों और सीबीआई दफ्तरों में गया जब भी उन्होंने मुझे बुलाया. आखिरकार हमारी कोशिशों के नतीजे सामने आए हैं. कम से कम चार तस्करों को गिरफ्तार किया गया है. यह अपने आप में एक बड़ी बात है."

जब यह खबर सामने आई कि भारतीयों की रूस में तस्करी की जा रही है और वे रूस-यूक्रेन जंग लड़ रहे हैं, तो सीबीआई ने 6 मार्च को जांच शुरू की. इसी क्रम में सीबीआई ने दिल्ली, त्रिवेंद्रम, मुंबई, अंबाला, चंडीगढ़, मदुरै और चेन्नई में 13 जगहों पर छापे मारे थे. छापे में 50 लाख रुपये, आपत्तिजनक दस्तावेज और लैपटॉप, मोबाइल, डेस्कटॉप, सीसीटीवी फुटेज आदि जैसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड जब्त किए गए थे.

7 मार्च के एक नोट में सीबीआई ने कहा था कि, अब तक पीड़ितों को विदेश भेजने के लगभग 35 मामलों की पुष्टि हुई है. आखिरकार मंगलवार को सीबीआई ने केरल के त्रिवेंद्रम निवासी अरुण नॉर्बर्ट और येसुदास जूनियर उर्फ प्रियन को गिरफ्तार कर लिया, कन्याकुमारी के निजिल जोबी बेंसम और मुंबई के एंथनी माइकल एलंगोवन को गिरफ्तार कर लिया. उन्हें गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
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सीबीआई के अनुसार, निजिल जोबी बेंसम रूस में कॉन्टेक्ट पर अनुवादक के तौर पर काम कर रहा था और रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती की सुविधा के लिए रूस में संचालित नेटवर्क के प्रमुख सदस्यों में से एक था.

सीबीआई के बयान में कहा गया है कि अन्य आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ जांच जारी है जो मानव तस्करों के इस अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा हैं.

सीबीआई की ओर से जारी बयान में कहा गया, "एंथनी दुबई में रहने वाले फैसल बाबा और रूस में रहने वाले कई लोगों को चेन्नई में वीजा प्रक्रिया पूरी कराने और पीड़ितों के रूस जाने के लिए हवाई टिकट बुक कराने में सुविधा दे रहा था. आरोपी अरुण और येसुदास रूसी सेना के लिए केरल और तमिलनाडु से संबंधित भारतीय नागरिकों की मुख्य भर्तीकर्ता थे."

दक्षिण केरल तट पर तिरुवनंतपुरम में स्थित सामाजिक कार्यकर्ता इग्नाटियस लोयला का कहना है कि जलवायु परिवर्तन मछली पकड़ने के उद्योग में कठोर परिस्थितियों का कारण बन रहा है, युवाओं को गरीबी और बेरोजगारी में धकेल रहा है, जिससे वे तस्करों की चपेट में आ रहे हैं.

इग्नाटियस कहते हैं, "जैसा कि जलवायु परिवर्तन तिरुवनंतपुरम तट से मछली पकड़ने में दिक्कतें पैदा करता है, इस वजह से प्रिंस जैसे परिवार गरीबी में डूब रहे हैं. रोजगार के लिए बेताब युवा आसानी से धुर्त तस्करों के निशाने पर आ जाते हैं. ऐसे में ये युवा अपनी जमापूंजी भी गवां देते हैं और खुद को खौफनाक पस्थितियों में रखकर अपनी जान जोखिम में डालते हैं.

बदकिस्मती से केरल में युवाओं के लिए देश में सबसे अधिक बेरोजगारी दर है. ये आंकड़ा 28 फीसदी से ज्यादा है. जबकि 15-29 आयु वर्ग के लोगों के लिए राष्ट्रीय औसत 10 फीसदी है.

प्रिंस ने द क्विंट को बताया कि उन्होंने रूसी सेना के कैंपों में हिंदी भी सुनी, जिससे उन्हें शक हुआ कि न केवल दक्षिण बल्कि पूरे भारत के युवाओं को धोखा दिया जा रहा है. उनकी तस्करी की जा रही है और यूक्रेन में पुतिन के लिए लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है. 10 मार्च को द क्विंट ने पहली बार पंजाब और हरियाणा के भारतीयों के बारे में जानकारी दी थी जो रूस के लिए सैनिकों के रूप में काम करने के लिए मजबूर थे.

इस बीच, माइग्रेशन स्पेशलिस्ट मिनी मोहन ने द क्विंट को बताया कि शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी उन्हें अपनी जान जोखिम में डालकर नौकरी की तलाश में युद्धग्रस्त देशों में पलायन करने के लिए मजबूर कर रही है.

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और मानव विकास संस्थान (IHD) की ओर से जारी भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 में बताया गया है कि भारत के 15 से 34 वर्ष की आयु के युवा देश के बेरोजगार कार्यबल का लगभग 83 प्रतिशत हिस्सा हैं.

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