भारत 2014 से रूस से लगातार नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित दस्तावेजों या जानकारी की मांग कर रहा है. अब विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा में बताया कि रूस ने कहा है कि उसके आर्काइव में नेताजी से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं है.
24 जुलाई को विदेश राज्यमंत्री ने एक सवाल के जवाब में बताया कि भारत ने नेताजी के बारे में जानकारी मांगी थी, कि क्या वो अगस्त 1945 से पहले या बाद में कभी भी रूस में थे और क्या वो अगस्त 1945 में रूस चले गए, जैसा कि कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है.
रूस की सरकार ने बताया कि वो अपने आर्काइव में नेताजी से संबंधित कोई भी जानकारी ढूंढने में असमर्थ रहे हैं. भारतीय पक्ष के अनुरोध के आधार पर की गई अतिरिक्त जांच के बाद भी, उन्हें इस मामले पर दस्तावेज नहीं मिले.वी मुरलीधरन, विदेश राज्य मंत्री
सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के लिए 1942 में आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी. 18 अगस्त, 1945 को टोकियो जाते वक्त ताइवान में उनका प्लेन क्रैश हो गया. कहा जाता है उनका अंतिम संस्कार जापान में कर दिया गया. उनकी अस्थियां रोकोनजी टेंपल में रखी गईं. हालांकि उनकी मौत पर लगातार सवाल उठाए जाते रहे.
कुछ लोगों का ये भी मानना रहा है कि प्लेन क्रैश में सुभाष चंद्र बोस की मौत नहीं हुई थी. वो अयोध्या में गुमनामी बाबा के नाम से रह रहे थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुमनामी बाबा के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार बड़े ही गोपनीयता से कर दिया गया था. उनके कमरे से जो सामान मिले थे, उन सामानों के लिंक सुभाष चंद्र बोस से जुड़ते हैं.
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