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एस.जयशंकर का राज्यसभा में फिर से चुनकर आना BJP के लिए क्यों जरूरी? | 5 वजह

Rajya Sabha Elections: चार साल पहले एस जयशंकर ने पहली बार गुजरात से राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया था.

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भारत
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विदेश मंत्री एस जयशंकर  (S. Jaishankar) ने 10 जुलाई को गुजरात से राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Elections) के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया. जयशंकर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सी आर पाटिल के साथ सोमवार को राज्य विधानसभा परिसर पहुंचे और रिटर्निंग ऑफिसर रीता मेहता को नामांकन पत्र सौंपा.

चार साल पहले एस जयशंकर ने पहली बार गुजरात से राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया था. गुजरात की 11 राज्यसभा सीटों में से आठ पर वर्तमान में बीजेपी और बाकी पर कांग्रेस का कब्जा है. आइये आपको बताते हैं कि एस जयशंकर का नामांकन बीजेपी के लिए क्यों अहम है?

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1.) भारत के मुख्य डिप्लोमेट्स में शामिल 

डॉ. एस. जयशंकर 30 मई, 2019 से भारत के विदेश मंत्री हैं. वह फिलहाल गुजरात से भारत की संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) के सदस्य हैं. वह 2015-2018 तक विदेश सचिव, संयुक्त राज्य अमेरिका (2013-2015), चीन (2009-2013) और चेक गणराज्य (2000-2004) में राजदूत थे. वह सिंगापुर में उच्चायुक्त (2007-2009) थे.

उन्होंने मॉस्को, कोलंबो, बुडापेस्ट और टोक्यो में दूतावासों के साथ-साथ विदेश मंत्रालय और राष्ट्रपति सचिवालय में अन्य राजनयिक पदों पर भी काम किया है. वह मई 2018 से टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड में ग्लोबल कॉरपोरेट अफेयर्स के अध्यक्ष भी थे.

2.) पाकिस्तान-चीन जैसे देशों को देते रहें है नपे तुले जवाब

डॉ. एस. जयशंकर ग्लोबल मंचो पर मजबूती से भारत का पक्ष रखते रहे हैं. भले ही SAARC सम्मलेन हो या फिर UN काउंसिल की मीटिंग, जयशंकर पाकिस्तान-चीन जैसे देशों के साथ उलझे हुए मुद्दों पर बेबाकी से जवाब देकर सुर्खियां बटोरते रहे हैं. उनके जवाब अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल रहते हैं.

3.) पीएम मोदी के पसंदीदा डिप्लोमेट हैं डॉ. एस. जयशंकर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सुब्रह्मण्यम जयशंकर उनके सबसे पसंदीदा डिप्लोमेट्स में से मानें जाते हैं. वह विदेश मंत्री बनने वाले पहले कैरियर राजनयिक नहीं हैं, उनसे पहले नटवर सिंह भी डिप्लोमेट से विदेश मंत्री बने हैं. लेकिन जयशंकर ऐसे पहले पूर्व विदेश सचिव हैं, जिन्हें विदेश मंत्रालय का राजनीतिक नियंत्रण दिया गया है. वह शायद ऐसे पहले नौकरशाह हैं जो रिटायरमेंट के बाद जल्दी ही कैबिनेट मंत्री बने हैं.

4.) विदेशों में भारत की मजबूत छवि बनाने में अहम योगदान 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब कहीं विदेशी दौरे पर जाते हैं तो, इस बात का जिक्र जरूर आता है कि भारत ने विदेश में अपनी पैठ मजबूत की है. इसके साथ चर्चा यह भी होती है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी विदेशों में जबरदस्त ब्रांडिंग हुई है. विदेशों में भारत और भारत के पीएम नरेंद्र मोदी को 'ब्रांड मोदी' बनाने में जयशंकर की अहम भूमिका रही है. उन्होंने पीएम मोदी की नीतियों और खूबियों का ग्लोबल मंच के माध्यम से जमकर प्रचार-प्रसार किया है.

5.) बीजेपी के शिक्षित नेताओं की टॉप लिस्ट में शामिल 

भारतीय जनता पार्टी में जहां एक ओर साध्वी प्राची, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, साक्षी महाराज, जैसे नेताओं की लंबी लिस्ट है, जो अक्सर अपनी भड़काऊ बयानबाजी के लिए सुर्खियां बटोरते रहते हैं. तो वहीं दूसरी ओर जयशंकर जैसे नेताओं का बीजेपी में मजबूत प्रतिनिधित्व पार्टी के इन तथाकतिथ 'फ्रिंज एलिमेंट्स' के कारनामों के मुकाबले एक बैलेंसिंग एक्ट बनने में बेहद मददगार साबित रहता है. डॉ. एस. जयशंकर विदेशों में इनकी कथित भड़काऊ बयानबाजी और मोदी सरकार की CAA जैसी नीतियों का अपने तरीके से बचाव करते रहे हैं.

उदहारण के लिए जब पैगंबर मुहम्मद साहब के निजी जीवन पर कतिथ तौर पर आपत्तिजनक टिपण्णी करने के लिए नूपुर शर्मा की वजह से बीजेपी और भारत सरकार को चौतरफा मुस्लिम राष्ट्रों का विरोध झेलना पड़ा था, उस वक्त सरकार का पक्ष रखने में जयशंकर ने अहम भूमिका निभाई और सभी मुस्लिम राष्ट्रों के बयान का जवाब दिया था.

यह कुछ ऐसे कारण हैं जिसकी वजह से डॉक्टर जयशंकर का राज्यसभा में मनोनीत होना बीजेपी के लिए बेहद जरुरी है.

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