शिवसेना के मुखपत्र सामना में आज शिवसेना ने बढ़ती पेट्रोल डिजल के दामों को लेकर मोदी सरकार पर हमला किया है. संपादकीय में लिखा है महंगाई ने पिछली सरकार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और नई ऊंचाइयां छू ली हैं.
अभिनेत्री कंगना का नाम लिए बिना लिखा है- अभिनेत्री के अवैध निर्माण जैसे किसी भी व्यर्थ मुद्दे पर बेवजह छाती पीटते हुए हाय-तौबा मचानेवाले लोग अब भड़की हुई महंगाई जैसे ज्वलंत सवालों पर मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं. पहले ही कोरोना संकट की आग में जल रहे लोगों के जख्मों पर यह नमक मलने जैसा है
कोरोना जैसे संकट के समय में गैस सिलेंडर के दाम 25 रुपए और 84 रुपए बढ़ाने का मतलब साफ है कि सरकार की संवेदना खो गई है. किसी दौर में सड़कों से लेकर दिल्ली तक इसी महंगाई के मुद्दे पर गला बैठने तक नारेबाजी करनेवाले,कैमरा के सामने आकर सरकार से सवाल पूछनेवाले तत्कालीन आंदोलनकारियों के दांत अब बैठ गए हैं.
सामना में आगे लिखा है
सत्ता में आने के लिए चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किए गए ‘बहुत हो गई महंगाई की मार…’ इस नारे की टैगलाइन अब कहीं भी नजर नहीं आती है, इसी नारे पर विश्वास करके महंगाई के खिलाफ लड़नेवाली पार्टी के रूप में देशवासियों ने बीजेपी को दिल्ली के तख्त पर बिठा दिया. अब महंगाई का संकट हमेशा के लिए खत्म होगा, जेब में पैसे खनकेंगे. अच्छे दिन आएंगे. इस भ्रम के कारण देश के आम मध्यमवर्गीय, गरीब जनता ने बीजेपी को एकमुश्त मतदान किया
सामना में लिखा है- केंद्र में बीजेपी की सरकार को लगातार दो बार बहुमत से जिताया, हालांकि, सत्ता में आने के सात साल बाद भी केंद्र सरकार महंगाई के राक्षस को अभी तक मार नहीं पाई है. बल्कि महंगाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है, सरकार इस पर लगाम लगाने का कोई उपाय कर रही है, ऐसा दिख नहीं रहा है. महंगाई के दावानल में जल रहे अरबों गरीब लोग वैसे जिंदा रहेंगे? क्या सरकार के पास इसका जवाब है?
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