केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं की एंट्री की अनुमति दे दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि अब मंदिर में हर उम्र वर्ग की महिलाएं प्रवेश कर सकती हैं. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस खानविल्कर ने कहा, अयप्पा के भक्तों में कोई भेदभाव नहीं.
सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को एंट्री नहीं थी. इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने कोर्ट में इस प्रथा को चुनौती दी थी. पांच जजों की संविधान पीठ में 4-1 के बहुमत से फैसला सुनाया गया.
केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री का रास्ता साफ
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
सभी उम्र की महिलाएं अब मंदिर में कर सकेंगी प्रवेश और पूजा
पांच जजों की संविधान पीठ में 4-1 के बहुमत से सुनाया गया फैसला
महिलाओं की एंट्री पर रोक असंवैधानिकः सुप्रीम कोर्ट
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महिलाओं की एंट्री पर रोक लैंगिक भेदभावः CJI
“मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लैंगिक भेदभाव है. सबरीमाला मंदिर की परंपरा हिन्दू महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है.”चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा
शारीरिक बनावट के आधार पर धार्मिक आजादी से रोकना असंवैधानिक
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर किसी की शारीरिक बनावट की वजह से उसे उसके धार्मिक आजादी से रोकते हैं, तो असंवैधानिक है.