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मैतेई-कुकी लड़कों ने तोड़ी दुश्मनी की दीवार, फुटबॉल चैंपियनशिप में दिलाई भारत को जीत

भारतीय टीम के कुल 22 खिलाड़ियों में से 16 मणिपुर से हैं, और उनमें से 11 मैतई हैं, चार कुकी समुदाय से हैं.

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भारत
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पिछले कई महीनों से मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) की आग में जल रहा है. राज्य में हिंसा के पीछे दो जातियों मैतई और कुकी के बीच विवाद है. दोनों जातियां एक-दूसरे की जान की प्यासी बनी हैं. इसी बीच मैतई और कुकी समुदाय के दो लड़कों ने दुश्मनी की दीवार को तोड़कर दोनों समुदाय के लिए संदेश दिया है. दक्षिण एशियाई फुटबॉल महासंघ SAFF अंडर-16 चैंपियन ट्रॉफी में मैतेई और कुकी समुदाय से आनेवाले दो लड़कों ने एक-एक गोल करके भारत को जीत दिलाई.

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SAFF अंडर-16 चैंपियन ट्रॉफी का ये मैच 10 सितबंर को भूटान के थिम्पू में भारत और बांग्लादेश के बीच खेले गया. अंतिम गेम में बिष्णुपुर जिले के नामबोल के भरत लायरेंजाम ने 8वें मिनट में पहला गोल किया, जबकि चुराचांदपुर के लेविस जांगमिनलुन ने 74वें मिनट में दूसरा गोल दागा.

भारतीय टीम के कुल 22 खिलाड़ियों में से 16 मणिपुर से हैं, और उनमें से 11 मैतई हैं, चार कुकी समुदाय से हैं.

11 नंबर शर्ट पहने भरत लायरेंजाम और 8 नंबर शर्ट पहने लेविस जांगमिनलुन

(फोटो: बोरुन थोकचोम/द क्विंट)

भारतीय टीम के कुल 22 खिलाड़ियों में से 16 मणिपुर से हैं. जिनमें 11 मैतेई हैं, चार कुकी समुदाय से हैं. वहीं, एक मैतई पंगल (मैतई मुस्लिम) भी है. ये सभी दुश्मनी को पीछे छोड़कर फुटबॉल के कारण एकजुट हुए हैं. अब वे मणिपुर में फिर से शांति बहाली की कामना कर रहे हैं.

100 दिन से भी अधिक पहले शुरू हुई हिंसा के बावजूद, ये युवा खिलाड़ी केवल ट्रॉफी जीतने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, एक साथ खेल रहे हैं, बात कर रहे हैं और साथ खा रहे हैं.

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खुशी में गले मिले मैतई-कुकी लड़के

खुशी जाहिर करते हुए भरत ने बताया कि वे गोल करके बहुत खुश थे क्योंकि यह उनका "चैंपियनशिप का गोल" था.

भारतीय टीम के कुल 22 खिलाड़ियों में से 16 मणिपुर से हैं, और उनमें से 11 मैतई हैं, चार कुकी समुदाय से हैं.

भरत लैरेंजम

(फोटो: बोरुन थोकचोम/द क्विंट)

उन्होंने आगे कहा कि "टीम में खिलाड़ी अलग-अलग समुदायों से हैं, हम अच्छी टीम भावना के साथ खुशी-खुशी एक साथ मिलते हैं".

“मेरी टीम के साथी, मिडफील्डर लेविस ने मैच से पहले मुझसे कहा था कि मुझे मैच जीतने के लिए स्कोर करना चाहिए और उसका (लेविस) दूसरा गोल भारत के लिए चैंपियनशिप खिताब हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण था. भरत ने कहा, ''मैं लेविस की ओर दौड़ा और गोल की खुशी में उसे कसकर गले लगा लिया.''
भरत लायरेंजाम

अपने राज्य में जारी मौजूदा संकट पर टिप्पणी करते हुए, भरत ने कहा कि वे मणिपुर को पुराने दिनों की तरह सामान्य स्थिति में लौटते हुए देखना चाहते हैं. वहीं, उनका सपना अपने स्किल को और निखारकर सीनियर स्तर पर भी देश के लिए खेलने का है.

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'फुटबॉल कॉमन पैशन के रूप में काम करता है'

भरत के टीम के साथी लेविस ने कहा कि जब वह फाइनल के लिए मैदान पर उतरे तो वे घबरा रहे थे. उन्होंने ने आगे बताया "हालांकि, जब मैंने दूसरा और आखिरी महत्वपूर्ण गोल किया तो मेरा आत्मविश्वास बढ़ गया".

भारतीय टीम के कुल 22 खिलाड़ियों में से 16 मणिपुर से हैं, और उनमें से 11 मैतई हैं, चार कुकी समुदाय से हैं.

लेविस

(फोटो: बोरुन थोकचोम/द क्विंट)

बता दें कि लेविस आई-लीग टीम श्रीनिधि डेक्कन एफसी, हैदराबाद के लिए खेल चुके हैं और पिछले साल ही हैदराबाद अकादमी में शामिल हुए थे.

मणिपुर हिंसा और टीम में विभिन्न समुदायों से आनेवाले प्लेयर्स को लेकर लेविस कहते हैं कि "फुटबॉल कॉमन पैशन हैं. ये हमें एकजुट करता है और हमें अपने मतभेदों को दूर करने में मदद करता है.

कठिन समय में भी लेविस की शानदार जर्नी और एकता को बढ़ावा देने वाली शांति की अपील उनकी स्पोर्ट्स पावर को दिखाती है.

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इसके अलावा, चैंपियनशिप में "मॉस्ट वैल्यूवल प्लेयर्स" और टॉप स्कोरर (तीन गोल के साथ) का खिताब जीतने वाले मणिपुर के मैतेई पंगल खिलाड़ी अब्बास शिंगजमायुम ने जोर देकर कहा, "हमने मणिपुर में संघर्ष के बारे में बात नहीं की. इसके बजाय फुटबॉल और टीम पर ध्यान केंद्रित किया."

भारतीय टीम की सराहना करते हुए, ऑल मणिपुर फुटबॉल एसोसिएशन (AMFA) के महासचिव लायरिकयेंगबाम ज्योतिर्मोर रॉय ने कहा कि गेम्स के दौरान, सैफ अंडर-16 चैंपियनशिप की भारतीय टीम के लिए जातीयता कोई दीवार नहीं है.

(बोरुन थोकचोम मणिपुर के इंफाल में रहते हैं, वे एक भारतीय फिल्म निर्माता और पत्रकार हैं.)

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