सैम पित्रोदा पहले 'विरासत कर' को लेकर दिए बयान और अब इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन पद से इस्तीफे को लेकर चर्चा में हैं. हाल ही में उन्होंने उत्तर भारत के लोगों की तुलना गोरों, पश्चिम में रहने वालों की तुलना अरब, पूर्व में रहने वाले लोगों की तुलना चाइनीज और दक्षिण भारत में रहने वालों की तुलना अफ्रीकियों से की. पीएम मोदी ने पित्रोदा के बयान की निंदा की और कांग्रेस को घेरा. हालांकि, कांग्रेस ने इस बयान से तुरंत किनारा कर लिया. चलिए जानते हैं कि सैम पित्रोदा कौन हैं? कब-कब उनके बयान के कारण वो विवादों में घिर गए?
हालिया विवादित बयान से पहले तक सैम पित्रोदा इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष थे. इकॉनोमिक टाइम्स के अनुसार, इंडियन ओवरसीज कांग्रेस "चिंतित, प्रतिबद्ध, विविध, सक्षम और साहसी प्रवासी भारतीयों और भारत के दोस्तों" का एक संगठन है, जो कांग्रेस पार्टी की विदेशी शाखा है.
उनकी निजी वेबसाइट के अनुसार, पित्रोदा "टेलीकॉम उद्यमी, निवेशक, डेवलपमेंट थिंकर और नीति निर्माता" हैं. वेबसाइट में बताया गया है कि उन्होंने आईटी इंडस्ट्री में पचास साल तक काम किया है.
प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सलाहकार के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, पित्रोदा ने दूरसंचार, जल, साक्षरता, टीकाकरण, डेयरी उत्पादन और तिलहन से संबंधित छह प्रौद्योगिकी मिशनों का नेतृत्व किया. वे भारत के दूरसंचार आयोग के संस्थापक और पहले अध्यक्ष भी थे. उन्हें भारत में टेलीफोन के प्रचार-प्रसार करने का भी श्रेय दिया जाता है.
पित्रोदा के निजी जीवन की बात करें तो सैम पित्रोदा का जन्म ओडिशा में गुजराती परिवार में हुआ. सैम के दादा बढ़ई और लोहार थे. उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात के विद्यानगर के शारदा मंदिर बोर्डिंग स्कूल और ग्रेजुएशन वल्लभ विद्यानगर से किया. इसके बाद, वडोदरा में महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय से फिजिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर की डिग्री ली. 1964 में, अपनी मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद, उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए शिकागो में इलिनोइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पढ़ने चले गए.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, सैम पित्रोदा का नाम सत्यनारायण पित्रोदा था. उनकी वेबसाइट के अनुसार, पित्रोदा के पास लगभग 20 मानद पीएचडी, लगभग 100 विश्वव्यापी पेटेंट हैं, और उन्होंने पांच किताबें और कई पेपर प्रकाशित किए हैं.
पित्रोदा 2004 में दूसरी बार भारत लौटे. उन्होंने भारत के तीन प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया, जिनमें इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह शामिल थे. उन्हें अक्सर राहुल गांधी का करीबी बताया जाता रहा है.
सिख दंगा
अगर उनके विवादित बयानों की बात करें तो मई 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान सैम पित्रोदा के बयान पर खूब हंगामा हुआ था. उन्होंने 1984 के सिख दंगा को लेकर बयान दिया.
पित्रोदा ने एक सवाल के जवाब में कहा "1984 में हुआ तो हुआ, पिछले पांच साल में क्या हुआ इस पर बात करिए." इस बयान पर विवाद बढ़ा तो सैम पित्रोदा ने अपनी खराब हिंदी का हवाला देकर माफी मांग ली.
पुलवामा हमले पर दिया बयान
साल 2019 में सैम पित्रोदा अपने बयान से एक बार फिर घिर गए. उन्होंने पुलवामा हमले और भारत की जवाबी कार्रवाई पर कहा "हमले होते रहते हैं. मुंबई में भी हमला हुआ था. हम भी प्रतिक्रिया देते हुए प्लेन भेज सकते थे लेकिन ये सही नहीं होता. मेरे हिसाब से आप दुनिया से ऐसे नहीं निपटते हैं."
मीडिल क्लास पर टिप्पणी
2019 में एक और विवादित टिप्पणी करते हुए सैम पित्रोदा ने मिडिल क्लास को स्वार्थी कहा था. पित्रोदा ने कहा- "अगर न्यूनतम आय योजना (NYAY) लागू की जाती है तो टैक्स थोड़ा बढ़ सकता है. ऐसे में मध्यम वर्ग को स्वार्थी नहीं होना चाहिए और उसका दिल बड़ा होना चाहिए." बाद में पीएम मोदी ने पित्रोदा की टिप्पणी के लिए कांग्रेस को घेरा और आरोप लगाया कि कांग्रेस ज्यादा टैक्स लगाकर मध्यम वर्ग को सजा देना चाहती है.
विरासत कर
अब हाल में सैम पित्रोदा ने विरासत कर को लेकर बयान दिया, जिसकी वजह से बीजेपी ने कांग्रेस को निशाने पर ले लिया.
अप्रैल 2024 में संपत्ति बंटवारे पर सैम पित्रोदा ने अमेरिका के इनहेरिटेंस (उत्तराधिकार) टैक्स को सही ठहराया. सैम पित्रोदा ने कहा था, "अमेरिका में इनहेरिटेंस टैक्स की व्यवस्था है. इसका मतलब है कि अगर किसी के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है तो उसके मरने के बाद बच्चों को केवल 45 फीसदी संपत्ति ही मिलेगी और बाकी 55 फीसदी सरकार ले लेगी.
उन्होंने इनहेरिटेंस टैक्स की वकालत करते हुए कहा कि "भारत में आप ऐसा नहीं कर सकते. अगर किसी की संपत्ति 10 अरब रुपये है और वह इस दुनिया में न रहे तो उनके बच्चे ही 10 अरब रुपये रखते हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता... तो ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिस पर लोगों को बहस और चर्चा करनी चाहिए. मैं नहीं जानता कि इसका नतीजा क्या निकलेगा लेकिन जब हम संपत्ति के पुनर्वितरण की बात करते हैं, तो हम नई नीतियों और नए तरह के प्रोग्राम की बात करते हैं जो जनता के हित में है.. न कि केवल अमीर लोगों के."
राम मंदिर
जून 2023 में सैम पित्रोदा ने राम मंदिर को लेकर टिप्पणी की थी, जिसके बाद बीजेपी ने कांग्रेस की खूब आलोचना की थी. पित्रोदा ने कहा था कि मंदिर भारत के बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा-"मुझे किसी भी धर्म से कोई समस्या नहीं है. कभी-कभार मंदिर जाना ठीक है, लेकिन आप उसे मुख्य मंच नहीं बना सकते. 40 फीसदी लोग बीजेपी को वोट देते हैं और 60 फीसदी लोग बीजेपी को वोट नहीं देते. वह हर किसी के प्रधानमंत्री हैं, न कि किसी पार्टी के. और यही संदेश भारत के लोग चाहते हैं कि वे रोजगार के बारे में बात करें, मुद्रास्फीति के बारे में बात करें, साइंस और टेक्नोलॉजी और चुनौतियों के बारे में बात करें. हमें ये तय करना होगा कि असली मुद्दे क्या हैं- क्या राम मंदिर असली मुद्दा है? या बेरोजगारी असली मुद्दा है? क्या राम मंदिर असली मुद्दा है?'
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