केंद्र सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 11 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (ED) प्रमुख संजय कुमार मिश्रा (Sanjay Kumar Mishra) को दिए गए सेवा के तीसरे विस्तार को "अवैध" करार दिया है. उन्हें पद छोड़ने के लिए 31 जुलाई तक का समय दिया गया है.
जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली तीन-जजों की बेंच ने कहा कि 2021 में सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के मद्देनजर मिश्रा को नवंबर 2022 से आगे विस्तार नहीं दिया जा सकता है.
आइए आपको बताते हैं संजय कुमार मिश्रा का अबतक का करियर कैसा रहा है?
परिवार के कहने पर सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हुए
लखनऊ के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे संजय मिश्रा के पास लखनऊ विश्वविद्यालय से बायोकैमिस्ट्री में मास्टर डिग्री है. इसके बाद वह एक सीनियर रिसर्च फेलो के रूप में सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CDRI) में शामिल हो गए. उन्होंने इम्यूनोलॉजी पर कई पेपर लिखे हैं.
अपने परिवार के कहने पर संजय मिश्रा सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हुए और उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में इसे पास कर लिया.1984 में भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में शामिल होने के बाद, उनकी पहली पोस्टिंग आयकर विभाग में सहायक निदेशक के रूप में यूपी के गोरखपुर में हुई.
चार साल के अंदर उन्हें ईडी में अपना पहला कार्यकाल मिला जब वह आगरा और जयपुर के प्रभार के साथ सहायक निदेशक के रूप में इसमें शामिल हुए. यह वे दिन थे जब ईडी केवल अब निरस्त हो चुका विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम के तहत विदेशी मुद्रा उल्लंघन के मामलों की जांच करती थी.
1994 में संजय मिश्रा अपने आयकर कैडर में वापस आ गए और नौ साल के कार्यकाल के लिए अहमदाबाद में तैनात हुए. इसके बाद वह महाराष्ट्र के कोल्हापुर चले गए और 2006 में दिल्ली वापस आ गए, जहां उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कराधान और हस्तांतरण मूल्य निर्धारण का काम संभाला.
नीति निर्माण/ पॉलिसी मेकिंग में उनकी एंट्री तब हुई जब उन्हें वित्त मंत्रालय में प्रणब मुखर्जी और बाद में पी.चिदंबरम के अधीन संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त किया गया.
जब 2014 में एनडीए सत्ता में आई, तो गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में अपने कार्यकाल के एक साल बाद, संजय मिश्रा उन 50 वरिष्ठ नौकरशाहों में से थे, जिन्हें मोदी सरकार के शुरूआती महीनों में प्रमुख मंत्रालयों से ट्रांसफर कर दिया गया था.
जैसे ही संजय मिश्रा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में वापस गए, उन्होंने दो ऐसे मामले उठाए जिन्होंने सरकार का ध्यान खींचा - एक मीडिया हाउस एनडीटीवी के खिलाफ था और दूसरा यंग इंडिया के खिलाफ है. तब दोनों मामले कर निर्धारण के दायरे में थे, जिन्हें संजय मिश्रा ने उन्हें मुकदमा चलाने योग्य अपराध में बदल दिया.
नवंबर 2018 तक, संजय मिश्रा को न केवल ईडी का नया प्रमुख नियुक्त किया गया, बल्कि सरकार ने उन्हें दो साल के कार्यकाल के बाद भी बनाए रखने के लिए हर संभव कोशिश की. जब उन्हें दिए गए पहले विस्तार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, तो सरकार एक अध्यादेश लेकर आई और बाद में ईडी और सीबीआई के निदेशकों को सशर्त पांच साल का कार्यकाल देने के लिए संसद में एक विधेयक पारित किया गया.
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