हेल्थकेयर इंडस्ट्री की नामी कंपनी फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर्स मिलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी करार दिया है. जाापनी कंपनी दायची ने फोर्टिस हेल्थकेयर पर रेनबैक्सी डील में गड़बड़ी का आरोप लगाया था. दायची का कहना था कि दोनों भाइयों ने अपनी हिस्सेदारी बिना कोर्ट की मंजूरी के बेच दी. जिसमें कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का मामला दर्ज किया गया था.
कोर्ट के आदेश का नहीं हुआ पालन
सिंह ब्रदर्स पर फोर्टिस कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचने के मामले में फैसला सुनाया गया. 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में जापानी कंपनी दायची ने फोर्टिस हेल्थकेयर में हिस्सेदारी ट्रांसफर नहीं करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसके बाद कोर्ट ने कंपनी की हिस्सेदारी में तथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था.
दायची का आरोप था कि फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर्स सिंह ब्रदर्स ने कोर्ट की रोक के बावजूद भी अपने शेयर बेच दिए. फोर्टिस ने मलेशिया की कंपनी आईएचएच हेल्थकेयर को फोर्टिस की 31.1 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची थी. वहीं IHH हेल्थकेयर कुछ प्रतिशत हिस्सेदारी और खरीदने जा रही थी.
दोनों भाइयों के बीच लड़ाई
शिविंदर सिंह और मलविंदर सिंह भाइयों ने आध्यात्मिक संस्था से जुड़े गुरिंदर सिंह ढिल्लों को 2500 करोड़ रुपए का कर्ज दिया था. इन्होंने ढिल्लन परिवार को कर्ज क्यों दिया इसका सीधा-सीधा जवाब नहीं है. जब कर्ज दिया था तब दोनों भाइयों का कारोबार बढ़िया चल रहा था लेकिन आज हालात खराब हैं. अब इसी पैसे को वापस लेने को लेकर झगड़ा चल रहा है.
शिविंदर ने अपने बड़े भाई पर मलविंदर पर फोर्टिस को भी डुबाने का आरोप लगाते हुए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में याचिका डाल दी. बीते साल इस लड़ाई ने हद पार कर दी. 7 दिसंबर को दोनों भाइयों के बीच मारपीट होने की खबरें आईं.
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