केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में साफ किया है कि कश्मीर में हिंसा और पत्थरबाजी की घटनाओं को रोकने के लिए वो अलगाववादियों के साथ कोई बातचीत नहीं करेगी. केंद्र सरकार ने कहा कि वो मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से बातचीत करने के लिए तैयार है.
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सरकार बातचीत की मेज पर तभी आयेगी जब मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल इसमें शिरकत करेंगे न कि अलगाववादी तत्व.
उन्होंने जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के इस दावे को खारिज किया कि केंद्र संकट को सुलझाने के लिये आगे नहीं आ रहा है. रोहतगी ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री और राज्य की मुख्यमंत्री के बीच बैठक हुई थी जिसमें मौजूदा हालात पर चर्चा हुयी थी.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की थी.
‘’पत्थरबाजी बंद हो, फिर पैलेट गन का इस्तेमाल बंद करने को कहेंगे ‘’
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर में पैलेट गन के इस्तेमाल पर अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि अगर कश्मीर में हिंसा, पथराव बंद हो जाए और छात्र पढ़ाई के लिए वापस लौट जाएं, तो वो सरकार से कहेगी की पैलेट गन का इस्तेमाल नहीं किया जाए.
कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन के नेताओं को हालात सुधारने के लिए सकारात्मक सुझावों के साथ आगे आने को कहा है. चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर, जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि अगर कश्मीर में पत्थरबाजी, हिंसा बंद होती है तो हम सरकार से पैलेट गन का इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहेंगे.
चीफ जस्टिस ने कहा,
अगर आप संविधान के ढांचे के भीतर कुछ सुझाव देते हैं तो हम आपको भरोसा देते हैं कि बातचीत की जाएगी.
बार एसोसिएशन को सुझाव के साथ आने की मोहलत देते हुए कोर्ट ने कहा,
आप हमें पहले बताइए कि आप क्या करेंगे. इसके बाद हम सरकार को निर्देश देंगे. अगर आप पत्थरबाजी जारी रखेंगे, तो यह काम कैसे होगा.
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 9 मई के लिये स्थगित करते हुए ये भी कहा कि वह इस बात को जानती है कि घाटी में हालात बहुत अच्छे नहीं हैं.
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